IL&FS घोटाला , घोटाला नही घोटालो का बाप है!........अब संभवतः यह घोटाला विश्व के सबसे बड़े वित्तीय घोटालों में शामिल होने जा रहा है।
इस घोटाले में आरंभिक अनुमान के अनुसार कम से कम 91 हजार करोड़ की रकम दाँव पर लगी हुई है। बीसीयों प्रोविडेंट फंड- पेंशन फंड मैनेज करने वाले ट्रस्ट ओर कंपनियों के भी हजारों करोड़ रुपये इसमे फसे हुए हैं जिसमें इंडियन ऑयल ईपीएफ, इन्फोसिस ईपीएफ, ईआईएल ईपीएफ, एचयूएल यूनियन प्रोविडेंट फंड, टाइटन पीएफ, आईडीबीआई ट्रस्टशिप, यूटीआई रिटायरमेंट फंड, पोस्टल लाइफ इंश्योरेंस और आर्मी ग्रुप इंश्योरेंस फंड भी शामिल हैं।
IL&FS मूलतः सरकारी कंपनी है। इसके 25 प्रतिशत शेयर लाइफ इंश्योरेंस कॉर्पोरेशन के हाथ में हैं और 6 प्रतिशत स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया के हाथ में। ये दोनों कम्पनियां सरकारी उपक्रम हैं इसलिए इस घोटाले से मोदी सरकार अपना दामन नही बचा सकती।
आज पता लग रहा है कि इस घोटाले में देश की बड़ी बड़ी रेटिंग एजेंसियां भी शामिल थी IL&FS ने अपनी रेटिंग बेहतर कराने के लिए रेटिंग एजेंसियों के बड़े अधिकारियों, प्रबंधकों और उनके परिवार के सदस्यों को रीयल मैड्रिड के फुटबाल मैच की टिकटें, लक्जरी विला पर भारी छूट, कमीजें, फिटबिट बैंड जैसे कई महंगे तोहफे दिए IL&FS समूह को रेटिंग देने वालों में केयर, इक्रा, इंडिया रेटिंग्स और ब्रिकवर्क जैसी एजेंसियां शामिल है दो रेटिंग एजेंसियों के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स ने उनके मुख्य कार्यकारी अधिकारियों को लंबी छुट्टी पर भेज दिया है।
इससे पहले पता चला था कि इस घोटाले में ऑडिटर भी शामिल थे IL&FS का ऑडिट का काम कर चुकी कंपनी डिलॉयट, हैसकिन्स एंड सेल्स को समूह में ऋणदाताओं के साथ की जा रही धोखाधड़ी की जानकारी थी, ऑडिटर धोखाधड़ी में न सिर्फ शीर्ष प्रबंधन के साथ मिले हुए थे बल्कि उन्होंने अपने कुछ उत्पाद एवं सेवाओं को भी बेचने की कोशिश की थी।
इसके अलावा बहुत सारे बैंको के शीर्ष अधिकारी इस घोटाले में शामिल थे इसमे बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज के पूर्व अध्यक्ष शामिल है ...........CBI के अनुसार IDBI के पूर्व सीएमडी एमएस राघवन, सिडिकेट बैंक के पूर्व एमडीसीईईओ मेलविन रीगो, बैंक ऑफ बड़ौदा के पूर्व सीएमडी पीएस शेनॉय, IDBI बैंक के पूर्व डेप्युटी एमडी बीके बत्रा, IDBI बैंक के पूर्व स्वतंत्र निदेशक निनाद कारपे और बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज के पूर्व चेयरमैन एस रवि इस घोटाले में शामिल है।
इस तरह के करीब 20 बैंकों ने IL&FS को कर्ज दिया है जिसमें सरकारी और गैर सरकारी दोनों तरह के बैंक शामिल हैं।
यानी रेटिंग एजेंसी से लेकर ऑडिटर तक, ऑडिटर से लेकर बैंको के CEO लेबल के अधिकारी तक सब के सब इस घोटाले का हिस्सा है। पर घपलेबाजी का विस्तार जो भी हो, इसकी जिम्मेदारी से वित्त मंत्रालय बच नहीं सकता। IL&FS का मालिकाना हक लाइफ इंश्योरेंस कॉर्पोरेशन का था, जिस पर मालिकाना हक वित्त मंत्रालय का है। अत: यदि आईएलएफएस के निदेशकों ने गलत ऋण दिए तो इसकी जिम्मेदारी लाइफ इंश्योरेंस कॉर्पोरेशन के माध्यम से वित्त मंत्रालय की बनती है मोदी सरकार की बनती है....लगभग 1 लाख करोड़ का घोटाला मोदी सरकार की नाक के नीचे होता रहा और वह खामोश बैठी रही यह कैसे बर्दाश्त किया जा सकता है?
इस घोटाले में आरंभिक अनुमान के अनुसार कम से कम 91 हजार करोड़ की रकम दाँव पर लगी हुई है। बीसीयों प्रोविडेंट फंड- पेंशन फंड मैनेज करने वाले ट्रस्ट ओर कंपनियों के भी हजारों करोड़ रुपये इसमे फसे हुए हैं जिसमें इंडियन ऑयल ईपीएफ, इन्फोसिस ईपीएफ, ईआईएल ईपीएफ, एचयूएल यूनियन प्रोविडेंट फंड, टाइटन पीएफ, आईडीबीआई ट्रस्टशिप, यूटीआई रिटायरमेंट फंड, पोस्टल लाइफ इंश्योरेंस और आर्मी ग्रुप इंश्योरेंस फंड भी शामिल हैं।
IL&FS मूलतः सरकारी कंपनी है। इसके 25 प्रतिशत शेयर लाइफ इंश्योरेंस कॉर्पोरेशन के हाथ में हैं और 6 प्रतिशत स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया के हाथ में। ये दोनों कम्पनियां सरकारी उपक्रम हैं इसलिए इस घोटाले से मोदी सरकार अपना दामन नही बचा सकती।
आज पता लग रहा है कि इस घोटाले में देश की बड़ी बड़ी रेटिंग एजेंसियां भी शामिल थी IL&FS ने अपनी रेटिंग बेहतर कराने के लिए रेटिंग एजेंसियों के बड़े अधिकारियों, प्रबंधकों और उनके परिवार के सदस्यों को रीयल मैड्रिड के फुटबाल मैच की टिकटें, लक्जरी विला पर भारी छूट, कमीजें, फिटबिट बैंड जैसे कई महंगे तोहफे दिए IL&FS समूह को रेटिंग देने वालों में केयर, इक्रा, इंडिया रेटिंग्स और ब्रिकवर्क जैसी एजेंसियां शामिल है दो रेटिंग एजेंसियों के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स ने उनके मुख्य कार्यकारी अधिकारियों को लंबी छुट्टी पर भेज दिया है।
इससे पहले पता चला था कि इस घोटाले में ऑडिटर भी शामिल थे IL&FS का ऑडिट का काम कर चुकी कंपनी डिलॉयट, हैसकिन्स एंड सेल्स को समूह में ऋणदाताओं के साथ की जा रही धोखाधड़ी की जानकारी थी, ऑडिटर धोखाधड़ी में न सिर्फ शीर्ष प्रबंधन के साथ मिले हुए थे बल्कि उन्होंने अपने कुछ उत्पाद एवं सेवाओं को भी बेचने की कोशिश की थी।
इसके अलावा बहुत सारे बैंको के शीर्ष अधिकारी इस घोटाले में शामिल थे इसमे बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज के पूर्व अध्यक्ष शामिल है ...........CBI के अनुसार IDBI के पूर्व सीएमडी एमएस राघवन, सिडिकेट बैंक के पूर्व एमडीसीईईओ मेलविन रीगो, बैंक ऑफ बड़ौदा के पूर्व सीएमडी पीएस शेनॉय, IDBI बैंक के पूर्व डेप्युटी एमडी बीके बत्रा, IDBI बैंक के पूर्व स्वतंत्र निदेशक निनाद कारपे और बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज के पूर्व चेयरमैन एस रवि इस घोटाले में शामिल है।
इस तरह के करीब 20 बैंकों ने IL&FS को कर्ज दिया है जिसमें सरकारी और गैर सरकारी दोनों तरह के बैंक शामिल हैं।
यानी रेटिंग एजेंसी से लेकर ऑडिटर तक, ऑडिटर से लेकर बैंको के CEO लेबल के अधिकारी तक सब के सब इस घोटाले का हिस्सा है। पर घपलेबाजी का विस्तार जो भी हो, इसकी जिम्मेदारी से वित्त मंत्रालय बच नहीं सकता। IL&FS का मालिकाना हक लाइफ इंश्योरेंस कॉर्पोरेशन का था, जिस पर मालिकाना हक वित्त मंत्रालय का है। अत: यदि आईएलएफएस के निदेशकों ने गलत ऋण दिए तो इसकी जिम्मेदारी लाइफ इंश्योरेंस कॉर्पोरेशन के माध्यम से वित्त मंत्रालय की बनती है मोदी सरकार की बनती है....लगभग 1 लाख करोड़ का घोटाला मोदी सरकार की नाक के नीचे होता रहा और वह खामोश बैठी रही यह कैसे बर्दाश्त किया जा सकता है?