देश में एक ओर महिला-पुरुष में समानता की बात कही जा रही है, वहीं दूसरी ओर महिलाओं के लिए अटपटे नियम बनाए जा रहे हैं। गुजरात के दांतीवाड़ा जिले के जलोल गाँव में ठाकोर समुदाय ने अविवाहित लड़कियों द्वारा मोबाइल रखने पर प्रतिबंध लगा दिया है। गाँव में रविवार को हुई पंचायत की बैठक में यह निर्णय लिया गया है।
पंचायत के इस नए नियम के अनुसार, अगर अविवाहित लड़कियों के पास मोबाइल फोन बरामद होता है, तो उनके पिता को जुर्माने के तौर पर 1.5 लाख रुपये जमा कराना होगा। बता दें कि गांव के लोग पंचायत के आदेश को अपना संविधान मानते हैं, जहाँ समुदाय के लोग अपने लिए नियम तय करते हैं।
जिला पंचायत सदस्य ने बताया कि पंचायत ने समाज-हित में भी कई फैसले लिए हैं। विवाह में फ़िज़ूलखर्ची रोकने के लिए डी-जे और आतिशबाजी पर रोक लगाने का निर्णय भी किया गया है। मोबाइल फोन रखने और जुर्माना लगाने के मुद्दे पर चर्चा हुई है, लेकिन इसे लागू नहीं किया गया है।
फिलहाल मोबाइल रखने पर 1.5 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया है। साथ ही, अगर लड़की घर वालों की सहमति के बिना शादी करती है, तो उसे भी अपराध माना जाएगा। परंतु, सवाल यह है कि क्या लड़कियों पर लगाई गई पाबंदी उनके मौलिक अधिकारों का हनन नहीं है?
पंचायत के इस नए नियम के अनुसार, अगर अविवाहित लड़कियों के पास मोबाइल फोन बरामद होता है, तो उनके पिता को जुर्माने के तौर पर 1.5 लाख रुपये जमा कराना होगा। बता दें कि गांव के लोग पंचायत के आदेश को अपना संविधान मानते हैं, जहाँ समुदाय के लोग अपने लिए नियम तय करते हैं।
जिला पंचायत सदस्य ने बताया कि पंचायत ने समाज-हित में भी कई फैसले लिए हैं। विवाह में फ़िज़ूलखर्ची रोकने के लिए डी-जे और आतिशबाजी पर रोक लगाने का निर्णय भी किया गया है। मोबाइल फोन रखने और जुर्माना लगाने के मुद्दे पर चर्चा हुई है, लेकिन इसे लागू नहीं किया गया है।
फिलहाल मोबाइल रखने पर 1.5 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया है। साथ ही, अगर लड़की घर वालों की सहमति के बिना शादी करती है, तो उसे भी अपराध माना जाएगा। परंतु, सवाल यह है कि क्या लड़कियों पर लगाई गई पाबंदी उनके मौलिक अधिकारों का हनन नहीं है?