नई दिल्ली: दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) की अकादमिक परिषद के एक सदस्य ने आरोप लगाया है कि अंग्रेजी पत्रकारिता के नए पाठ्यक्रम में मुजफ्फरनगर दंगों और भीड़ द्वारा पीट-पीट कर हत्या किए जाने की घटनाओं पर पाठ शामिल हैं जो आरएसएस एवं उससे संबद्ध संगठनों को निशाना बनाने और गलत छवि पेश करने का प्रयास हैं।
विश्वविद्यालय की अकादमिक परिषद के सदस्य रसल सिंह ने यह भी कहा कि ऐसे पाठों की स्रोत सामग्री ‘पक्षपाती’ समाचार पोर्टलों से ली गई है जो अक्सर सरकार की आलोचना करते हैं। उन्होंने कहा, ‘वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) और उससे संबद्ध संगठनों यहां तक कि हमारे प्रधानमंत्री को भी निशाना बना रहे हैं। मैं अकादमिक परिषद की बैठक में यह मुद्दा उठाउंगा और सुनिश्चित करूंगा कि इसे अनुमति न मिले।’
रसल सिंह ने दावा किया पाठ्यक्रम में शामिल 2002 में हुए गुजरात दंगों पर आधारित शिल्पा पारलकर की ‘मणिबेन उर्फ बीबीजान’ कहानी, ‘लिटरेचर इन कास्ट’ और ‘इंटेरोगेटिंग क्वीरनेस’ नाम के पेपर में दक्षिणपंथी संगठन और भारतीय संस्कृति की गलत तस्वीर पेश की गई है।
इस बीच अंग्रेजी विभाग के प्रमुख प्रोफेसर राज कुमार ने कहा कि उनके विभाग का रुख किसी भी समुदाय की भावनाओं को आहत न करने को लेकर दृढ़ है। सूत्रों ने बताया कि इस मुद्दे को विश्वविद्यालय की स्नातक पाठ्यक्रम संशोधन समिति पहले से ही उठा चुकी है और विवादित हिस्सों में सुधार होगा।
यह पाठ्यक्रम तैयार करने वाले पत्रकारिता के शिक्षकों में से एक ने कहा कि इन पाठों को किसी का पक्ष लेने के लिए पाठ्यक्रम में शामिल नहीं किया गया है, बल्कि इसके जरिये यह कोशिश की गई है कि छात्र-छात्राओं को यह सिखाया जा सके कि संवेदनशील मुद्दों की रिपोर्ट कैसे की जाए।
उन्होंने कहा, ‘कक्षा में छात्र-छात्राओं को यह सिखाए जाने की जाने की जरूरत है कि विभिन्न मुद्दों की रिपोर्टिंग कैसे की जाए। हम उन्हें यूं ही नहीं बता सकते हैं कि अगर दंगा हो तो आपको यह करना चाहिए। हम उन्हें इसी तरह से समझा सकते हैं कि उस घटना को समाचार चैनलों, अखबारों और समाचार वेबसाइट्स ने किस तरह से कवर किया।’
पाठ्यक्रम को लेकर एबीवीपी का प्रदर्शन
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) ने अंग्रेजी पत्रकारिता के नए पाठ्यक्रमों में कथित आपत्तिजनक सामग्री शामिल करने को लेकर सोमवार को दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) के कुलपति के खिलाफ प्रदर्शन किया। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की छात्र इकाई एबीवीपी ने कहा कि वह छात्रों पर वामपंथी विचारधारा का एजेंडा थोपने के विश्वविद्यालय के कुछ विभागों के प्रयासों की निंदा करता है।
परिषद ने मांग की कि राष्ट्रवादी संगठनों और हिंदू धर्म को लेकर आपत्तिजनक सामग्री पर कथित पक्षपाती लेख हटाए जाएं। दिल्ली विश्वविद्यालय छात्रसंघ अध्यक्ष शक्ति सिंह ने कहा, ‘हम वाम को दिल्ली विश्वविद्यालय में प्रोपेगेंडा थोपने की अनुमति नहीं देंगे। नए पाठ्यक्रम से झूठे और पक्षपात पर आधारित लेखों को हटाना ही होगा।’
विश्वविद्यालय की अकादमिक परिषद के सदस्य रसल सिंह ने यह भी कहा कि ऐसे पाठों की स्रोत सामग्री ‘पक्षपाती’ समाचार पोर्टलों से ली गई है जो अक्सर सरकार की आलोचना करते हैं। उन्होंने कहा, ‘वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) और उससे संबद्ध संगठनों यहां तक कि हमारे प्रधानमंत्री को भी निशाना बना रहे हैं। मैं अकादमिक परिषद की बैठक में यह मुद्दा उठाउंगा और सुनिश्चित करूंगा कि इसे अनुमति न मिले।’
रसल सिंह ने दावा किया पाठ्यक्रम में शामिल 2002 में हुए गुजरात दंगों पर आधारित शिल्पा पारलकर की ‘मणिबेन उर्फ बीबीजान’ कहानी, ‘लिटरेचर इन कास्ट’ और ‘इंटेरोगेटिंग क्वीरनेस’ नाम के पेपर में दक्षिणपंथी संगठन और भारतीय संस्कृति की गलत तस्वीर पेश की गई है।
इस बीच अंग्रेजी विभाग के प्रमुख प्रोफेसर राज कुमार ने कहा कि उनके विभाग का रुख किसी भी समुदाय की भावनाओं को आहत न करने को लेकर दृढ़ है। सूत्रों ने बताया कि इस मुद्दे को विश्वविद्यालय की स्नातक पाठ्यक्रम संशोधन समिति पहले से ही उठा चुकी है और विवादित हिस्सों में सुधार होगा।
यह पाठ्यक्रम तैयार करने वाले पत्रकारिता के शिक्षकों में से एक ने कहा कि इन पाठों को किसी का पक्ष लेने के लिए पाठ्यक्रम में शामिल नहीं किया गया है, बल्कि इसके जरिये यह कोशिश की गई है कि छात्र-छात्राओं को यह सिखाया जा सके कि संवेदनशील मुद्दों की रिपोर्ट कैसे की जाए।
उन्होंने कहा, ‘कक्षा में छात्र-छात्राओं को यह सिखाए जाने की जाने की जरूरत है कि विभिन्न मुद्दों की रिपोर्टिंग कैसे की जाए। हम उन्हें यूं ही नहीं बता सकते हैं कि अगर दंगा हो तो आपको यह करना चाहिए। हम उन्हें इसी तरह से समझा सकते हैं कि उस घटना को समाचार चैनलों, अखबारों और समाचार वेबसाइट्स ने किस तरह से कवर किया।’
पाठ्यक्रम को लेकर एबीवीपी का प्रदर्शन
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) ने अंग्रेजी पत्रकारिता के नए पाठ्यक्रमों में कथित आपत्तिजनक सामग्री शामिल करने को लेकर सोमवार को दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) के कुलपति के खिलाफ प्रदर्शन किया। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की छात्र इकाई एबीवीपी ने कहा कि वह छात्रों पर वामपंथी विचारधारा का एजेंडा थोपने के विश्वविद्यालय के कुछ विभागों के प्रयासों की निंदा करता है।
परिषद ने मांग की कि राष्ट्रवादी संगठनों और हिंदू धर्म को लेकर आपत्तिजनक सामग्री पर कथित पक्षपाती लेख हटाए जाएं। दिल्ली विश्वविद्यालय छात्रसंघ अध्यक्ष शक्ति सिंह ने कहा, ‘हम वाम को दिल्ली विश्वविद्यालय में प्रोपेगेंडा थोपने की अनुमति नहीं देंगे। नए पाठ्यक्रम से झूठे और पक्षपात पर आधारित लेखों को हटाना ही होगा।’