पीयूष गोयल साहब आखिर फ्लेशनेट कम्पनी में कर क्या रहे थे?

Written by Girish Malviya | Published on: June 23, 2019
मोदी सरकार में वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने उद्योग मंडल सीआईआई (भारतीय उद्योग परिसंघ) के सदस्यों के साथ बातचीत में CII सदस्यों को हड़काते हुए कहा कि.....‘कानून की भावना काली कमाई को घूमा-फिराकर फिर से यहां लाने को गंभीरता से लेती है और अगर आपमें से किसी ने ऐसा कुछ किया है, तो यह बेहतर होगा कि आप पाक-साफ होइये और उस अध्याय को बंद कीजिए। अन्यथा आपको देश के कानून से बचने के लिये संघर्ष करना होगा।’



अब जरा यह ज्ञान बघारने वाले पीयूष गोयल के बारे में जान लीजिए पीयूष गोयल के पिता वेद प्रकाश गोयल भाजपा के कोषाध्यक्ष थे. कोषाध्यक्ष के रूप में इनका कार्यकाल भी विवादित रहा था बाद में वह अटल सरकार में मंत्री बने और इनकी माता तीन बार विधायक बनी। पीयूष खुद चार्टड अकॉउंटेट रहे हैं। राजनीती में आने से पहले पीयूष इन्वेस्टमेंट बैंकर थे और दो बार इन्हे SBI और बैंक ऑफ़ बरोदा का डायरेक्टर भी बनाया गया।

पीयूष गोयल के पास 2013 तक शिरडी इंडस्ट्रीज की भी हिस्सेदारी थी. यह कंपनी इसके अगले ही साल 650 करोड़ रुपये के करीब के कर्जे को चुकाने से मुकर गयी. इनमें से अधिकांश कर्ज सरकारी बैंकों से लिया गया था. बाद में जैसे तैसे सेटलमेंट किया गया

इन्ही पीयूष गोयल और उनकी पत्नी ने साल 2000 में मिलकर फ्लैशनेट की स्थापना की थी।  2010 में राज्यसभा का सदस्य बनने के बाद उन्होंने राज्यसभा सचिवालय में अपने आर्थिक हितों का ब्यौरा देते हुए यह स्वीकार किया था कि फ्लैशनेट में उनकी हिस्सेदारी की प्रकृति ‘मालिकाना हक वाली’है। लेकिन कुछ सालो बाद प्रधानमंत्री कार्यालय में 2014 और 2015 में गोयल द्वारा की गयी संपत्तियों की घोषणा में फ्लैशनेट के स्वामित्व का कोई जिक्र नहीं मिला।

बाद में पता चला कि गोयल ने पूरा स्वामित्व चुपचाप इसके बाजार मूल्य से करीब 1,000 गुना मूल्य पर अजय पीरामल के स्वामित्व वाली एक कंपनी को बेच दिया है। अजय पीरामल ग्रुप ने जिसने उसी क्षेत्र में निवेश किया था, जिसका जिम्मा पीयूष गोयल स्वतंत्र प्रभार वाले राज्य मंत्री के तौर पर संभाल रहे थे यह पूरी बात वायर ने अपनी एक स्टोरी में प्रकाशित की थी।

लेकिन द क्विंट ने इस बारे एक ओर स्टोरी की .......उसमे पता चला कि वित्तीय साल 2011 और 2013 के बीच फ्लैशनेट ने दिल्ली में अंडर कस्ट्रक्शन फ्लैट के लिए 4 करोड़ रुपए का एडवांस पेमेंट किया था......पीरामल समूह ने भी इस बात की पुष्टि की है कि जुलाई 2014 में फ्लैशनेट की खरीद के वक्त कंपनी के पास दिल्ली के शांति निकेतन में 535 स्क्वैयर मीटर का फ्लैट और उससे लगी हुई 141 स्क्वैयर मीटर जमीन भी थी। शांति निकेतन दिल्ली का बहुत पॉश इलाका माना जाता है। पीरामल के मुताबिक 24 जुलाई 2014 को इस प्रॉपर्टी की मार्केट वैल्यु 10.10 करोड़ रुपए थी।

फ्लैशनेट को बेचने के एक साल बाद ही पीय़ूष गोयल ने पीरामल एस्टेट से वही फ्लैट दोबारा खरीद लिया. गोयल ने टाइम्स ऑफ इंडिया को इस बात की पुष्टि की और पीरामल ने भी ब्लूमबर्ग क्विंट को दिए जवाब में ये बात मानी. जुलाई 2012 में इसकी कीमत 10.10 करोड़ रुपए थी और 2015 में इसे 12.02 करोड़ में बेच दिया गया।

आजतक भी किसी के समझ मे नही आया कि पीरामल ने आखिर फ्लैशनेट क्यों खरीदी थी क्योंकि कंपनी के पास वह फ्लेट ही सबसे बड़ी संपत्ति थी जो कुछ ही महीनों बाद पीरामल ने पीयूष गोयल को वापस बेच दी?

अब साफ साफ ऐसी वित्तीय अनियमितता करने वाले पीयूष गोयल बड़े बड़े उद्योगपतियों को ज्ञान बाँट रहे है कि काली कमाई को इधर उधर से घुमा कर लाने से बाज आइये ..... तो माननीय उद्योग मंत्री पीयूष गोयल साहब आप ही बता दीजिए कि आप फ्लेशनेट कम्पनी में और आखिर कर क्या रहे थे?

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