यशवंत सिन्हा ने सरकार के मंत्रियों पर बोला हमला, कहा- 'अटपटे' बयानों से अर्थव्यवस्था का नहीं होगा कल्याण

Written by Sabrangindia Staff | Published on: September 17, 2019
वाजपेयी सरकार में वित्त मंत्री रहे यशवंत सिन्हा ने सरकार पर जमकर हमला बोला है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और पीयूष गोयल जैसे केंद्रीय मंत्रियों के हाल ही में बयानों का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि आर्थिक संकट से घिरी घरेलू अर्थव्यवस्था का ऐसे "अटपटे" बयानों से भला नहीं होगा।



सिन्हा ने कहा, "सरकार में बैठे लोग अक्सर अटपटे बयान दे रहे हैं। इन अटपटे बयानों से अर्थव्यवस्था का कल्याण नहीं होगा। लेकिन इनसे सरकार की छवि पर असर अवश्य पड़ेगा।"

उन्होंने कहा कि देश के ऑटोमोबाइल क्षेत्र की मंदी को लेकर ओला और उबर जैसी ऑनलाइन टैक्सी सेवा प्रदाताओं को लेकर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के हालिया बयान पर उन्हें "आश्चर्य" हुआ। सिन्हा ने प्रश्न किया, "यदि ओला-उबर जैसी कम्पनियों के चलते यात्री गाड़ियों की बिक्री में गिरावट आयी, तो फिर दोपहिया वाहनों और ट्रकों की बिक्री में गिरावट क्यों आयी?"

यशवंत सिन्हा ने भाजपा के दो अन्य मंत्रियों के बयानों का उल्लेख करते हुए तंज किया, "बिहार के वित्त मंत्री (सुशील कुमार मोदी) कह रहे हैं कि सावन-भादो के चलते देश में मंदी का माहौल है। केंद्र के एक मंत्री (वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल) आइंसटीन के गुरुत्वाकर्षण के नियम के बारे में बात कर रहे हैं।"

निर्यात को बढ़ावा देने के लिये दुबई शॉपिंग फेस्टिवल की तर्ज पर भारत में सालाना मेगा शॉपिंग फेस्टिवल आयोजित करने की सीतारमण की ताजा घोषणा पर भी पूर्व वित्त मंत्री ने सवाल उठाये। उन्होंने कहा, "संयुक्त अरब अमीरात और भारत की अर्थव्यवस्थाओं के हालात अलग-अलग हैं। भारत की अर्थवस्था तभी विकास करेगा, जब मध्यप्रदेश के मंदसौर जैसे क्षेत्रों के किसान तरक्की करेंगे।"

सिन्हा ने यह भी कहा कि गुजरे वर्षों में वक्त रहते सुधार के कदम नहीं उठाये जाने से देश को मौजूदा आर्थिक संकट का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने कहा, "हमें कम से कम 8 प्रतिशत की दर से विकास करना चाहिये था। मगर मौजूदा वित्तीय वर्ष की पहली तिमाही में जीडीपी विकास दर घटकर पांच प्रतिशत पर आ गयी।"

पूर्व वित्त मंत्री ने दावा किया कि जीडीपी विकास दर में तीन फीसदी के इस अंतर से सिर्फ एक तिमाही में देश की आमदनी में 6 लाख करोड़ रुपये का घाटा हुआ है। उन्होंने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के विलय की सरकार की नयी योजना को लेकर पूछे गये सवाल पर कहा, मैं सरकारी बैंकों के विलय का विरोधी नहीं हूं। लेकिन बैंकों के विलय से इनके फंसे कर्जों (एनपीए) में अपने आप कमी नहीं आयेगी। सरकार की मौजूदा योजना की वजह से संबंधित बैंकों का प्रशासन अपने मूल काम छोड़कर विलय प्रक्रिया में लगा रहेगा जिससे इन संस्थाओं को नुकसान होगा।

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