प्रसार भारती की आपत्ति के बाद दूरदर्शन ने लोकसभा चुनाव के लिए भारतीय कम्यूनिस्ट पार्टी (CPI) का 5 मिनट का चुनावी संदेश रिकॉर्ड करने से बृहस्पतिवार को इनकार कर दिया। प्रसार भारती ने चुनाव प्रचार संदेश में आरएसएस, फासीवादी विचारधारा और एनडीए सरकार आरएसएस की नस्लीय श्रेष्ठता की विचारधारा से संचालित हो रही है, के संदर्भ को हटाने को कहा। प्रचार संदेश में यह भी कहा गया था कि यह विचारधारा मुसोलिनी और हिटलर के स्कूल से ली गई है।
प्रसार भारती के सीईओ शशि शेखर वेम्पति ने कहा कि जो समिति इस तरह के भाषणों पर निर्णय लेती है वह प्रसार भारती से स्वतंत्र है। राज्यसभा सांसद और सीपीआई के महासचिव बिनॉय विश्वम को पार्टी को दूरदर्शन की तरफ से आवंटित किए गए प्रचार समय के लिए चुनावी संदेश रिकॉर्ड करवाना था।
विश्वम ने कहा कि पार्टी ने पहले ही प्रचार सामग्री को लिखित रूप में प्रसार भारती के पास जमा करा दिया था। प्रसार भारती की स्क्रिप्ट पुनरीक्षण समिति ने पाया कि प्रचार सामग्री की बात चुनावी आचार संहिता का उल्लंघन हैं। संहिता के तहत अपुष्ट आरोपों के आधार पर दूसरी पार्टी की आलोचना करना इसका उल्लंघन है।
समिति को जिस पैराग्राफ पर आपत्ति थी उसमें लिखा था, दलित, आदिवासी, अल्पसंख्यक और महिलाओं को एनडीए सरकार जो आरएसएस की नस्लीय श्रेष्ठता की विचारधारा से संचालित है, के द्वारा द्वारा दबाया जा रहा है। उन्होंने इस विचारधारा को मुसोलिनी और हिटलर के स्कूल से उधार लिया है। इनका सिद्धांत हमेशा अमीरों और सांप्रदायिक ताकतों के अधीन है। यदि ये ताकतें दुबारा सत्ता में आ गईं तो ये भारत की सांस्कृतिक विविधता को खत्म कर देंगी।
विश्वम ने कहा कि पार्टी इस मुद्दे को निर्वाचन आयोग के पास लेकर जाएगी। मोदी सरकार इस बात को साबित कर रही है कि वह अधिनायकवादी और फासीवादी सरकार है। दूरदर्शन यह साबित कर रहा है कि यह उसके आका की आवाज है। इस मुद्दे पर ट्वीट करते हुए प्रसार भारती के सीईओ ने कहा, स्क्रिप्ट वेटिंग कमेटी में लोकसभा के पूर्व महासचिव जैसे स्वतंत्र लोग हैं।
प्रसार भारती के सीईओ शशि शेखर वेम्पति ने कहा कि जो समिति इस तरह के भाषणों पर निर्णय लेती है वह प्रसार भारती से स्वतंत्र है। राज्यसभा सांसद और सीपीआई के महासचिव बिनॉय विश्वम को पार्टी को दूरदर्शन की तरफ से आवंटित किए गए प्रचार समय के लिए चुनावी संदेश रिकॉर्ड करवाना था।
विश्वम ने कहा कि पार्टी ने पहले ही प्रचार सामग्री को लिखित रूप में प्रसार भारती के पास जमा करा दिया था। प्रसार भारती की स्क्रिप्ट पुनरीक्षण समिति ने पाया कि प्रचार सामग्री की बात चुनावी आचार संहिता का उल्लंघन हैं। संहिता के तहत अपुष्ट आरोपों के आधार पर दूसरी पार्टी की आलोचना करना इसका उल्लंघन है।
समिति को जिस पैराग्राफ पर आपत्ति थी उसमें लिखा था, दलित, आदिवासी, अल्पसंख्यक और महिलाओं को एनडीए सरकार जो आरएसएस की नस्लीय श्रेष्ठता की विचारधारा से संचालित है, के द्वारा द्वारा दबाया जा रहा है। उन्होंने इस विचारधारा को मुसोलिनी और हिटलर के स्कूल से उधार लिया है। इनका सिद्धांत हमेशा अमीरों और सांप्रदायिक ताकतों के अधीन है। यदि ये ताकतें दुबारा सत्ता में आ गईं तो ये भारत की सांस्कृतिक विविधता को खत्म कर देंगी।
विश्वम ने कहा कि पार्टी इस मुद्दे को निर्वाचन आयोग के पास लेकर जाएगी। मोदी सरकार इस बात को साबित कर रही है कि वह अधिनायकवादी और फासीवादी सरकार है। दूरदर्शन यह साबित कर रहा है कि यह उसके आका की आवाज है। इस मुद्दे पर ट्वीट करते हुए प्रसार भारती के सीईओ ने कहा, स्क्रिप्ट वेटिंग कमेटी में लोकसभा के पूर्व महासचिव जैसे स्वतंत्र लोग हैं।