आज के अखबारों में पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान छाए हुए हैं। सोशल मीडिया पर कल लश्कर-ए-तैयबा पर किताब लिख चुकी जॉर्जटाउन यूनिवर्सिटी की असोसिएट प्रोफेसर क्रीस्टीन फेयर की चर्चा थी। उन्होंने लिखा है कि पाकिस्तान के उनके सूत्रों ने 2014 में उन्हें बताया था कि जैश एलओसी के आस पास अपनी मौजूदगी बढ़ा रहा है और 2016 में पठानकोट के एयरफोर्स बेस पर आतंकवादी हमला कर के मसूद अज़हर का जैश कश्मीर में पाकिस्तान की आईएसआई का सबसे विश्वासपात्र मोहरा बन गया।
प्रोफेसर क्रिस्टीन फेयर ने द क्विंट में लिखा है कि पुलवामा हमले की टाइमिंग हैरान करने वाली है और साफ इशारा कर रही है कि भारत के लोकसभा चुनाव को आईएसआई प्रभावित करना चाहती है। हमले से पाकिस्तान के मंसूबे साफ दिखते हैं। पाकिस्तान मोदी को सत्ता में बनाए रखना चाहता है। कश्मीर में ये हमला उस वक़्त किया गया है जब मोदी की राजनीतिक स्थिति कमजोर पड़ रही थी। क्रिस्टीन का मानना है कि पाकिस्तान अपने देशवासियों को ये संदेश देना चाहता है कि भारत में मुसलमान कितने असुरक्षित हैं और मोदी का सत्ता में बने रहना उसके इस मंसूबे को पुख्ता करता है।
वरिष्ठ पत्रकार Prashant Tandon ने कल क्रिस्टीन को विस्तार से उद्धृत करते हुए बताया है कि पुलवामा हमले के जरिए पाकिस्तान ने राजनीतिक मुश्किल में पड़े मोदी को अपने एजेंडे पर आने का मौका दे दिया है और मोदी के पास पाकिस्तान की इस चालाकी भरे खेल में न घिरने के विकल्प कम हैं। टंडन के मुताबिक, रक्षा मामलों पर कॉलम लिखने वाले सीनियर जर्नलिस्ट अजय शुक्ला ने भी एक ट्वीट के जरिये हमले की टाइमिंग पर सवाल उठाया है कि क्या पाकिस्तान की आईएसआई मोदी को चुनाव जितवाना चाहती है। सुरक्षा में हुई चूक की टाइमिंग पर ममता बनर्जी ने भी सवाल उठाया है।
इस बारे में मैं कल लिख चुका हूं। और पुलवामा हमले के बाद जिस ढंग से राजनीति चल रही है वह नजर रखने लायक तो है ही। इस लिहाज से आज दैनिक भास्कर में लीड का फ्लैग शीर्षक है, पुलवामा हमले के छठे दिन आया पाक प्रधानमंत्री का बयान, लेकिन सेना के प्रवक्ता की तरह ....। मुख्य शीर्षक है, इमरान की जुबान पर जंग। बोले – यह नया पाकिस्तान है, भारत ने हमला किया तो हम भी करारा जवाब देंगे .....। भारत ने कहा – इमरान का नया पाकिस्तान वही है जिसमें उनके मंत्री आतंकवादियों के साथ मंच पर दिखते हैं। अखबार ने पाकिस्तान का आरोप, “चुनाव है, इसलिए जंग की बात” को भी प्रमुखता से छापा है। इसपर भारत का जवाब भी, खान ने हमले की निन्दा नहीं की।
इसके मुकाबले दैनिक जागरण पाकिस्तान को अच्छी तरह जानता समझता लगता है। अखबार का फ्लैग शीर्षक है, इमरान का पैंतरा, सबूत दें तो कार्रवाई, जंग छेड़ी तो मुश्किल होगा संभलना। मुख्य शीर्षक है, पलटवार के डर से सहमा पाकिस्तान। नई दिल्ली डेटलाइन से जयप्रकाश रंजन की इस खबर का इंट्रो है, आतंकवाद पर वार्ता को तैयार, तनाव घटाने में मांगी संयुक्त राष्ट्र से मदद। अखबार ने अपनी इस खबर के साथ प्रशांत मिश्र की त्वरित टिप्पणी भी छापी है। इसका शीर्षक है, भय से घिरे इमरान खान को है हकीकत का अहसास। इसका इंट्रो है, भारत के डर से घबराए हुए हैं पाकिस्तानी प्रधानमंत्री, इस नापाक पड़ोसी देश के छलावे पर कोई विश्वास करने को तैयार नहीं।
दूसरे अखबार इन्हीं दोनों अखबारों के बीच में है। नवभारत टाइम्स ने फ्लैग शीर्षक लगाया है, पुलवामा हमले पर गम और गुस्से के बीच भारत-पाक में तनाव और गहराया। मुख्य शीर्षक अगर आप समझ सकें तो, "आतंक की नो बॉल पर इमरान बोल्ड" है। अखबार ने इमरान खान और नरेन्द्र मोदी की फोटो के बीच बॉक्स में दो कोट छापे हैं, पहला इमरान खान का है, भारत अगर कार्रवाई लायक कोई खुफिया जानकारी साझा करता है तो हम गारंटी के साथ ऐक्शन लेंगे। .... भारत अगर हमला करता है तो हम सोचेंगे नहीं पलटवार करेंगे। प्रधानमंत्री की फोटो जरूर है पर कोट विदेश मंत्रालय का है, हमले की जिम्मेदारी लेने वाला जैश-ए-मोहम्मद और उसका नेता मसूद अजहर पाकिस्तान में है, क्या यह सबूत काफी नहीं है (यह पाठकों और देश के नागरिकों को भी तय करना है)।
दैनिक हिन्दुस्तान ने इस खबर को दो हिस्सों में सात कॉलम में छापा है। पहले में इमरान खान की फोटो है और खबर चार कॉलम में है जिसका मुख्य शीर्षक है, घुड़की : पाक पर हमला हुआ तो पलटवार करेंगे। दूसरी खबर में वित्त मंत्री अरुण जेटली की फोटो है और शीर्षक है, दो टूक : पाकिस्तान को और कितने सबूत चाहिए : जेटली। अखबार ने सबूत की चर्चा अपने फ्लैग शीर्षक में भी की है। पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान ने पुलवामा हमले पर सबूत मांगे। भारत ने कहा - दुनिया को गुमराह करने के बजाय पाक कार्रवाई करे। इन खबरों से यही लग रहा है कि भारत के पास पुलवामा हमले में पाकिस्तान के शामिल होने का सबूत यही है कि जैश ने पुलवामा हमले की जिम्मेदारी सार्वजनिक रूप से ली है। हिन्दुस्तान के मुताबिक, अरुण जेटली ने यह भी कहा है कि मुंबई हमले से जुड़े कई सूबत दिए हैं। लेकिन उसका क्या हुआ नतीजा सबके सामने है।
नवोदय टाइम्स ने सेना की मुनादी, बंदूक उठाओगे तो मारे जाओगे को लीड बनाया है। इमरान खान की खबर सेकेंड लीड है। शीर्षक है, सबूत दें, कार्रवाई करेंगे : इमरान। दूसरी लाइन जवाब है, पाक बहाना नहीं बनाए : भारत। अखबार ने इसपर पंजाब के मुख्य अमरिन्दर सिंह और जम्मू व कश्मीर की पूर्व मुख्य मंत्री महबूबा मुफ्ती के बयान भी छापे हैं। महबूबा ने कहा है कि पठानकोट हमले के समय डोजियर दिया गया था लेकिन षडयंत्रकारियों को दंडि़त करने के लिए कोई कार्रवाई नहीं की गई। यह समय कथनी और करनी एक होने का है।
अमर उजाला ने सेना के आरोप को लीड बनाया है। शीर्षक है, "जैश पाकिस्तान का बच्चा, पुलवामा हमले में आईएसआई का हाथ : सेना"। अखबार ने सेना के बयान को ही प्राथमिकता दी है और मुख्य खबर भी सेना की दो टूक चेतावनी है, जो भी घुसपैठ करेगा या हथियार उठाएगा जिन्दा नहीं बचेगा। हालांकि इसमें कुछ नया नहीं है। इमरान यहां सिगल कॉलम में हैं। शीर्षक है, इमरान फौज की भाषा बोले - सबूत दें, कार्रवाई करेंगे, बदला लिया तो जंग। यहां भी जेटली का बयान है। रक्षा मंत्री या विदेश मंत्री कहीं नहीं हैं।
राजस्थान पत्रिका ने इमरान खान की बातों को अलग से प्रमुखता से छापा है। मुख्य लीड और उसका शीर्षक यहां भी सेना की अपील और चेतवानी है। पर अखबार ने इमरान खान की बातों को भी प्रमुखता दी है। अखबार ने इसका शीर्षक लगाया है, पाकिस्तान पहली बार आतंक पर भी बातचीत को तैयार। इसके मुताबिक, पुलवामा हमले पर इमरान खान ने कहा है कि कोई मूर्ख ही ऐसा करेगा। आमतौर पर यह अखबारों में प्रमुखता से नहीं छपा है। इमरान ने कहा है कि (आरोप लगाने से पहले) यह भी नहीं सोचा कि इससे हमें क्या फायदा होगा। हम सऊदी क्राउन प्रिंस के अहम दौरे में व्यस्त थे तो कोई मूर्ख ही ऐसा काम करेगा, दौरा खराब करने के लिए।
अंग्रेजी अखबारों में द टेलीग्राफ ने भी कई हिन्दी अखबारों की तरह सेना की चेतावनी और इमरान खान के बयान को मिलाकर लीड बनाया है। हालांकि इसमें सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान का स्वागत करते प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की फोटो भी है। सिंगल कॉलम की इस फोटो के साथ कोई खबर नहीं है। कैप्शन में ही बताया गया है कि सउदी क्राउन प्रिंस पाकिस्तान से होकर आ रहे हैं। अखबार ने इमरान खान की खबर को मुख्य शीर्षक बनाया है, इमरान ने अंतरराष्ट्रीय दबाव का कार्ड चला। भारत ने हमला किया जो जवाबी कार्रवाई यहां मुख्य शीर्षक नहीं है।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार, अनुवादक और मीडिया समीक्षक हैं।)
प्रोफेसर क्रिस्टीन फेयर ने द क्विंट में लिखा है कि पुलवामा हमले की टाइमिंग हैरान करने वाली है और साफ इशारा कर रही है कि भारत के लोकसभा चुनाव को आईएसआई प्रभावित करना चाहती है। हमले से पाकिस्तान के मंसूबे साफ दिखते हैं। पाकिस्तान मोदी को सत्ता में बनाए रखना चाहता है। कश्मीर में ये हमला उस वक़्त किया गया है जब मोदी की राजनीतिक स्थिति कमजोर पड़ रही थी। क्रिस्टीन का मानना है कि पाकिस्तान अपने देशवासियों को ये संदेश देना चाहता है कि भारत में मुसलमान कितने असुरक्षित हैं और मोदी का सत्ता में बने रहना उसके इस मंसूबे को पुख्ता करता है।
वरिष्ठ पत्रकार Prashant Tandon ने कल क्रिस्टीन को विस्तार से उद्धृत करते हुए बताया है कि पुलवामा हमले के जरिए पाकिस्तान ने राजनीतिक मुश्किल में पड़े मोदी को अपने एजेंडे पर आने का मौका दे दिया है और मोदी के पास पाकिस्तान की इस चालाकी भरे खेल में न घिरने के विकल्प कम हैं। टंडन के मुताबिक, रक्षा मामलों पर कॉलम लिखने वाले सीनियर जर्नलिस्ट अजय शुक्ला ने भी एक ट्वीट के जरिये हमले की टाइमिंग पर सवाल उठाया है कि क्या पाकिस्तान की आईएसआई मोदी को चुनाव जितवाना चाहती है। सुरक्षा में हुई चूक की टाइमिंग पर ममता बनर्जी ने भी सवाल उठाया है।
इस बारे में मैं कल लिख चुका हूं। और पुलवामा हमले के बाद जिस ढंग से राजनीति चल रही है वह नजर रखने लायक तो है ही। इस लिहाज से आज दैनिक भास्कर में लीड का फ्लैग शीर्षक है, पुलवामा हमले के छठे दिन आया पाक प्रधानमंत्री का बयान, लेकिन सेना के प्रवक्ता की तरह ....। मुख्य शीर्षक है, इमरान की जुबान पर जंग। बोले – यह नया पाकिस्तान है, भारत ने हमला किया तो हम भी करारा जवाब देंगे .....। भारत ने कहा – इमरान का नया पाकिस्तान वही है जिसमें उनके मंत्री आतंकवादियों के साथ मंच पर दिखते हैं। अखबार ने पाकिस्तान का आरोप, “चुनाव है, इसलिए जंग की बात” को भी प्रमुखता से छापा है। इसपर भारत का जवाब भी, खान ने हमले की निन्दा नहीं की।
इसके मुकाबले दैनिक जागरण पाकिस्तान को अच्छी तरह जानता समझता लगता है। अखबार का फ्लैग शीर्षक है, इमरान का पैंतरा, सबूत दें तो कार्रवाई, जंग छेड़ी तो मुश्किल होगा संभलना। मुख्य शीर्षक है, पलटवार के डर से सहमा पाकिस्तान। नई दिल्ली डेटलाइन से जयप्रकाश रंजन की इस खबर का इंट्रो है, आतंकवाद पर वार्ता को तैयार, तनाव घटाने में मांगी संयुक्त राष्ट्र से मदद। अखबार ने अपनी इस खबर के साथ प्रशांत मिश्र की त्वरित टिप्पणी भी छापी है। इसका शीर्षक है, भय से घिरे इमरान खान को है हकीकत का अहसास। इसका इंट्रो है, भारत के डर से घबराए हुए हैं पाकिस्तानी प्रधानमंत्री, इस नापाक पड़ोसी देश के छलावे पर कोई विश्वास करने को तैयार नहीं।
दूसरे अखबार इन्हीं दोनों अखबारों के बीच में है। नवभारत टाइम्स ने फ्लैग शीर्षक लगाया है, पुलवामा हमले पर गम और गुस्से के बीच भारत-पाक में तनाव और गहराया। मुख्य शीर्षक अगर आप समझ सकें तो, "आतंक की नो बॉल पर इमरान बोल्ड" है। अखबार ने इमरान खान और नरेन्द्र मोदी की फोटो के बीच बॉक्स में दो कोट छापे हैं, पहला इमरान खान का है, भारत अगर कार्रवाई लायक कोई खुफिया जानकारी साझा करता है तो हम गारंटी के साथ ऐक्शन लेंगे। .... भारत अगर हमला करता है तो हम सोचेंगे नहीं पलटवार करेंगे। प्रधानमंत्री की फोटो जरूर है पर कोट विदेश मंत्रालय का है, हमले की जिम्मेदारी लेने वाला जैश-ए-मोहम्मद और उसका नेता मसूद अजहर पाकिस्तान में है, क्या यह सबूत काफी नहीं है (यह पाठकों और देश के नागरिकों को भी तय करना है)।
दैनिक हिन्दुस्तान ने इस खबर को दो हिस्सों में सात कॉलम में छापा है। पहले में इमरान खान की फोटो है और खबर चार कॉलम में है जिसका मुख्य शीर्षक है, घुड़की : पाक पर हमला हुआ तो पलटवार करेंगे। दूसरी खबर में वित्त मंत्री अरुण जेटली की फोटो है और शीर्षक है, दो टूक : पाकिस्तान को और कितने सबूत चाहिए : जेटली। अखबार ने सबूत की चर्चा अपने फ्लैग शीर्षक में भी की है। पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान ने पुलवामा हमले पर सबूत मांगे। भारत ने कहा - दुनिया को गुमराह करने के बजाय पाक कार्रवाई करे। इन खबरों से यही लग रहा है कि भारत के पास पुलवामा हमले में पाकिस्तान के शामिल होने का सबूत यही है कि जैश ने पुलवामा हमले की जिम्मेदारी सार्वजनिक रूप से ली है। हिन्दुस्तान के मुताबिक, अरुण जेटली ने यह भी कहा है कि मुंबई हमले से जुड़े कई सूबत दिए हैं। लेकिन उसका क्या हुआ नतीजा सबके सामने है।
नवोदय टाइम्स ने सेना की मुनादी, बंदूक उठाओगे तो मारे जाओगे को लीड बनाया है। इमरान खान की खबर सेकेंड लीड है। शीर्षक है, सबूत दें, कार्रवाई करेंगे : इमरान। दूसरी लाइन जवाब है, पाक बहाना नहीं बनाए : भारत। अखबार ने इसपर पंजाब के मुख्य अमरिन्दर सिंह और जम्मू व कश्मीर की पूर्व मुख्य मंत्री महबूबा मुफ्ती के बयान भी छापे हैं। महबूबा ने कहा है कि पठानकोट हमले के समय डोजियर दिया गया था लेकिन षडयंत्रकारियों को दंडि़त करने के लिए कोई कार्रवाई नहीं की गई। यह समय कथनी और करनी एक होने का है।
अमर उजाला ने सेना के आरोप को लीड बनाया है। शीर्षक है, "जैश पाकिस्तान का बच्चा, पुलवामा हमले में आईएसआई का हाथ : सेना"। अखबार ने सेना के बयान को ही प्राथमिकता दी है और मुख्य खबर भी सेना की दो टूक चेतावनी है, जो भी घुसपैठ करेगा या हथियार उठाएगा जिन्दा नहीं बचेगा। हालांकि इसमें कुछ नया नहीं है। इमरान यहां सिगल कॉलम में हैं। शीर्षक है, इमरान फौज की भाषा बोले - सबूत दें, कार्रवाई करेंगे, बदला लिया तो जंग। यहां भी जेटली का बयान है। रक्षा मंत्री या विदेश मंत्री कहीं नहीं हैं।
राजस्थान पत्रिका ने इमरान खान की बातों को अलग से प्रमुखता से छापा है। मुख्य लीड और उसका शीर्षक यहां भी सेना की अपील और चेतवानी है। पर अखबार ने इमरान खान की बातों को भी प्रमुखता दी है। अखबार ने इसका शीर्षक लगाया है, पाकिस्तान पहली बार आतंक पर भी बातचीत को तैयार। इसके मुताबिक, पुलवामा हमले पर इमरान खान ने कहा है कि कोई मूर्ख ही ऐसा करेगा। आमतौर पर यह अखबारों में प्रमुखता से नहीं छपा है। इमरान ने कहा है कि (आरोप लगाने से पहले) यह भी नहीं सोचा कि इससे हमें क्या फायदा होगा। हम सऊदी क्राउन प्रिंस के अहम दौरे में व्यस्त थे तो कोई मूर्ख ही ऐसा काम करेगा, दौरा खराब करने के लिए।
अंग्रेजी अखबारों में द टेलीग्राफ ने भी कई हिन्दी अखबारों की तरह सेना की चेतावनी और इमरान खान के बयान को मिलाकर लीड बनाया है। हालांकि इसमें सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान का स्वागत करते प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की फोटो भी है। सिंगल कॉलम की इस फोटो के साथ कोई खबर नहीं है। कैप्शन में ही बताया गया है कि सउदी क्राउन प्रिंस पाकिस्तान से होकर आ रहे हैं। अखबार ने इमरान खान की खबर को मुख्य शीर्षक बनाया है, इमरान ने अंतरराष्ट्रीय दबाव का कार्ड चला। भारत ने हमला किया जो जवाबी कार्रवाई यहां मुख्य शीर्षक नहीं है।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार, अनुवादक और मीडिया समीक्षक हैं।)