खबरों में भ्रष्टाचार की चर्चा नहीं, अभी जांच होनी है, आप समझ रहे हैं भ्रष्टाचार खत्म हो गया
दरार, रिसाव की पूर्व सूचना और दो ही महीने पहले, कथित मरम्मत के बावजूद सिर्फ 19 साल पुराने बांध का एक तिहाई हिस्सा बह गया। इससे सात गांवों में बाढ़ आ गई 23, लोग बह गए पर नभाटा में शीर्षक है, महाराष्ट्र में रेकॉर्डतोड़ बारिश से बांध में दरार, 7 गांव डूबे, 23 लोग लापता। इंडियन एक्सप्रेस ने लिखा है कि इसकी मरम्मत दो महीने पहले हुई थी। और अब इसकी लगभग पूरी लंबाई टूटने से कोई 3000 लोग पानी में घिर गए हैं और बाकी दुनिया से कटे हुए हैं। अखबार ने 14 शव बरामद होने की खबर दी है। यूनिवार्ता की एक खबर के अनुसार महाराष्ट्र के रत्नागिरी में लगातार मूसलाधार बारिश के कारण तिवरे बांध टूटने से मरने वालों की संख्या बढ़कर 11 हो गयी है। 21 लोग लापता हैं। चिपलून तहसील स्थित तिवरे बांध के पानी के कारण निचले इलाके के गांवों में बाढ़ जैसी स्थिति हो गयी। भेंडेवाड़ी गांव के लगभग एक दर्जन घर बह गये। इसमें लगभग 14 परिवार के लोग रहते थे। इनमें से कई लोग लापता हैं। स्थानीय प्रशासन, पुलिस और समाज सेवकों के अलावा राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन के लोग बचाव और राहत कार्य में लगे हुए हैं।
अधिकारियों ने आशंका जतायी है कि मरने वालों की संख्या बढ़ सकती है। तिवरे बांध का निर्माण वर्ष 2000 में हुआ था। रिपोर्ट के अनुसार बचाव दल ने आज अपराह्न तक 11 शव बरामद किया। महाराष्ट्र के जल संसाधन मंत्री गिरीश ने बांध दुर्घटना के लिए जांच के आदेश दिये हैं। स्थानीय लोगों ने बांध से पानी रिसने की शिकायत की थी लेकिन किसी ने इस पर ध्यान नहीं दिया जबकि अधिकारियों ने कहा था कि मरम्मत का काम हो गया है। टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार मरने वाले 14 हैं तथा नौ लोग लापता है। यह जगह पुणे से 250 किलोमीटर दूर है। बांध टूटने की खबर जिन अखबारों में पहले पन्ने पर नहीं दिखी उनमें (गृहमंत्री) अमित शाह ने दिल्ली पुलिस प्रमुख को तलब किया खबर दिखी। ये अखबार हैं राजस्थान पत्रिका और नवोदय टाइम्स। अमर उजाला में बांध टूटने की खबर अंदर होने की सूचना है पर शाह ने पुलिस कमिश्नर को फटकार लगाई - को पहले पन्ने पर ज्यादा जगह दी गई है।
इस खबर से जुड़ी खास बात यह है कि इसके निर्माण के अभी 19 साल ही हुए हैं। टाइम्स ऑफ इंडिया ने लिखा है कि इसका निर्माण 2014 में हुआ था और गांव वालों ने कहा कि वे कम से कम दो साल से बांध से रिसाव की शिकायत कर रहे थे पर किसी ने ध्यान नहीं दिया। नतीजतन 308 मीटर की बांध का 100 मीटर हिस्सा बह गया। नवभारत टाइम्स में इस खबर का शीर्षक है, महाराष्ट्र में रेकॉर्डतोड़ बारिश से बांध में दरार, 7 गांव डूबे, 23 लोग लापता। नभाटा ने इस बांध को 14 साल पुराना बताया है और लिखा है दरार की सूचना पर भी प्रशासन ने सुध नहीं ली फिर भी टूटने का कारण भारी बारिश बताया है। यह वैसे ही है जैसे हरेक मौत का कारण हृदय की धड़कन रुकना होता है। दैनिक जागरण में यह खबर पहले पन्ने पर सिंगल कॉलम में है। इसमें शीर्षक है, रत्नागिरि में 19 साल पुराना बांध टूटा, 11 की मौत, लापता 13 ग्रामीणों की खोज जारी। राज्य ब्यूरो की इस खबर के अनुसार कोंकण के रत्नागिरि जिले में मात्र 19 साल पुराना तिवरे बांध टूट जाने से 11 लोगों की मौत हो गई और 13 लापता हैं।
एनडीआरएफ और स्थानीय पुलिस ड्रोन की मदद से उनकी तलाश में जुटी है। मंगलवार रात करीब नौ बजे बांध टूटने से उसके आसपास बसे 12 घरों का एक छोटा गांव पूरी तरह बह गया। करीब 24 लोग एवं 20 वाहन बह गए। आसपास के 12 गांव प्रभावित हुए हैं। सात गांव पूरी तरह डूब गए हैं। दैनिक भास्कर में यह खबर पहले पन्ने पर है जिसका शीर्षक है, बांध टूटने से सात गांवों में अचानक आई बाढ़, 23 लोग बहे, 11 के शव मिले। मुद्दा यह है कि ज्यादा से ज्यादा 19 साल पुराने बांद का एक तिहाई हिस्सा दरार की सूचना होने के बावजूद बह जाए, मरम्मत न हुई हो या होने के बावजूद कई लोग मर जाएं और कई बह जाएं तो क्या खबर पहले पन्ने की नहीं है? क्या शीर्षक यह होगा कि भारी बारिश से बांध टूटा? टाइम्स ऑफ इंडिया, इंडियन एक्सप्रेस, हिन्दुस्तान टाइम्स, द टेलीग्राफ के साथ नवभारत टाइम्स और दैनिक जागरण में यह पहले पन्ने पर तो है लेकिन शीर्षक?
कहने की जरूरत नहीं है कि पहली नजर में यह भ्रष्टाचार और प्रशासनिक लापरवाही का मामला है। लोगों की जान तो गई ही है 3000 के करीब लोग मुसीबत में हैं। हर तरह से यह खबर अच्छा ट्रीटमेंट मांगती है। किसी प्रभावशाली नेता के भ्रष्टाचार की खोजी खबर नहीं है कि इसके छपने से कोई नेताजी नाराज हो जाएंगे। जनहित की खबर है और इसे प्राथमिकता के साथ पूरा महत्व मिलना चाहिए तब भी यह खबर कई अखबारों में गृहमंत्री ने दिल्ली के पुलिस कमिश्नर को तलब किया – से ज्यादा महत्व नहीं पा सकी है। वह भी तब जब यह हादसा मंगलवार की रात हुआ था। इस तरह कल का पूरा दिन इस खबर से संबंधित तैयारियों के लिए था और इस दौरान इससे संबंधित योजना बनाकर काम किया जा सकता था। उसके बाद यह खबर ऐसे छपी है जिसका विवरण मैंने ऊपर दिया। नवभारत टाइम्स की प्रस्तुति सबसे घटिया है। शीर्षक ही नहीं, ब्यौरा भी सबसे कम और चलताऊ है।
टाइम्स ऑफ इंडिया में अंदर के पन्ने पर इस खबर के शीर्षक का अनुवाद होगा, हम दो साल से बांध में रिसाव की शिकायत कर रहे थे। इसके साथ सिंगल कॉलम की दो खबरें हैं। इनमें एक के शीर्षक का अनुवाद इस तरह होगा, बाढ़ में बहे एक बच्चे का शव उसके घर से सिर्फ 20-30 फीट की दूरी पर मिला। अमर उजाला में यब खबर मुंबई में बारिश और बाढ़ जैसी हालत के कारण उड़ान रद्द होने की खबर के साथ तीन कॉलम में है। दो लाइन का इसका शीर्षक है, रत्नागिरि में बांध टूटने से 23 लापता, 11 शव मिले। इस बीच, आज उज्जैन में होटल एक होटल गिराए जाने की खबर तो है पर इंदौर की उस विवादास्पद बिल्डिंग का क्या हुआ यह पता नहीं चला और ना ही कैलाश विजयवर्गीय के बल्लामार बेटे के खिलाफ किसी कार्रवाई की खबर है। कल प्रधानमंत्री ने जो कहा वह छापने के बाद आज कुछ अखबारों में खबर है कि आकाश विजयवर्गीय को कारण बताओ नोटस जारी हो सकता है पर अभी यह नोटिस जारी होने की कोई खबर नहीं है और मुझे लगता है कि कार्रवाई जब होगी तब होगी फिलहाल छवि निर्माण योजना तो कामयाब रही है।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार, अनुवादक व मीडिया समीक्षक हैं।)
दरार, रिसाव की पूर्व सूचना और दो ही महीने पहले, कथित मरम्मत के बावजूद सिर्फ 19 साल पुराने बांध का एक तिहाई हिस्सा बह गया। इससे सात गांवों में बाढ़ आ गई 23, लोग बह गए पर नभाटा में शीर्षक है, महाराष्ट्र में रेकॉर्डतोड़ बारिश से बांध में दरार, 7 गांव डूबे, 23 लोग लापता। इंडियन एक्सप्रेस ने लिखा है कि इसकी मरम्मत दो महीने पहले हुई थी। और अब इसकी लगभग पूरी लंबाई टूटने से कोई 3000 लोग पानी में घिर गए हैं और बाकी दुनिया से कटे हुए हैं। अखबार ने 14 शव बरामद होने की खबर दी है। यूनिवार्ता की एक खबर के अनुसार महाराष्ट्र के रत्नागिरी में लगातार मूसलाधार बारिश के कारण तिवरे बांध टूटने से मरने वालों की संख्या बढ़कर 11 हो गयी है। 21 लोग लापता हैं। चिपलून तहसील स्थित तिवरे बांध के पानी के कारण निचले इलाके के गांवों में बाढ़ जैसी स्थिति हो गयी। भेंडेवाड़ी गांव के लगभग एक दर्जन घर बह गये। इसमें लगभग 14 परिवार के लोग रहते थे। इनमें से कई लोग लापता हैं। स्थानीय प्रशासन, पुलिस और समाज सेवकों के अलावा राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन के लोग बचाव और राहत कार्य में लगे हुए हैं।
अधिकारियों ने आशंका जतायी है कि मरने वालों की संख्या बढ़ सकती है। तिवरे बांध का निर्माण वर्ष 2000 में हुआ था। रिपोर्ट के अनुसार बचाव दल ने आज अपराह्न तक 11 शव बरामद किया। महाराष्ट्र के जल संसाधन मंत्री गिरीश ने बांध दुर्घटना के लिए जांच के आदेश दिये हैं। स्थानीय लोगों ने बांध से पानी रिसने की शिकायत की थी लेकिन किसी ने इस पर ध्यान नहीं दिया जबकि अधिकारियों ने कहा था कि मरम्मत का काम हो गया है। टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार मरने वाले 14 हैं तथा नौ लोग लापता है। यह जगह पुणे से 250 किलोमीटर दूर है। बांध टूटने की खबर जिन अखबारों में पहले पन्ने पर नहीं दिखी उनमें (गृहमंत्री) अमित शाह ने दिल्ली पुलिस प्रमुख को तलब किया खबर दिखी। ये अखबार हैं राजस्थान पत्रिका और नवोदय टाइम्स। अमर उजाला में बांध टूटने की खबर अंदर होने की सूचना है पर शाह ने पुलिस कमिश्नर को फटकार लगाई - को पहले पन्ने पर ज्यादा जगह दी गई है।
इस खबर से जुड़ी खास बात यह है कि इसके निर्माण के अभी 19 साल ही हुए हैं। टाइम्स ऑफ इंडिया ने लिखा है कि इसका निर्माण 2014 में हुआ था और गांव वालों ने कहा कि वे कम से कम दो साल से बांध से रिसाव की शिकायत कर रहे थे पर किसी ने ध्यान नहीं दिया। नतीजतन 308 मीटर की बांध का 100 मीटर हिस्सा बह गया। नवभारत टाइम्स में इस खबर का शीर्षक है, महाराष्ट्र में रेकॉर्डतोड़ बारिश से बांध में दरार, 7 गांव डूबे, 23 लोग लापता। नभाटा ने इस बांध को 14 साल पुराना बताया है और लिखा है दरार की सूचना पर भी प्रशासन ने सुध नहीं ली फिर भी टूटने का कारण भारी बारिश बताया है। यह वैसे ही है जैसे हरेक मौत का कारण हृदय की धड़कन रुकना होता है। दैनिक जागरण में यह खबर पहले पन्ने पर सिंगल कॉलम में है। इसमें शीर्षक है, रत्नागिरि में 19 साल पुराना बांध टूटा, 11 की मौत, लापता 13 ग्रामीणों की खोज जारी। राज्य ब्यूरो की इस खबर के अनुसार कोंकण के रत्नागिरि जिले में मात्र 19 साल पुराना तिवरे बांध टूट जाने से 11 लोगों की मौत हो गई और 13 लापता हैं।
एनडीआरएफ और स्थानीय पुलिस ड्रोन की मदद से उनकी तलाश में जुटी है। मंगलवार रात करीब नौ बजे बांध टूटने से उसके आसपास बसे 12 घरों का एक छोटा गांव पूरी तरह बह गया। करीब 24 लोग एवं 20 वाहन बह गए। आसपास के 12 गांव प्रभावित हुए हैं। सात गांव पूरी तरह डूब गए हैं। दैनिक भास्कर में यह खबर पहले पन्ने पर है जिसका शीर्षक है, बांध टूटने से सात गांवों में अचानक आई बाढ़, 23 लोग बहे, 11 के शव मिले। मुद्दा यह है कि ज्यादा से ज्यादा 19 साल पुराने बांद का एक तिहाई हिस्सा दरार की सूचना होने के बावजूद बह जाए, मरम्मत न हुई हो या होने के बावजूद कई लोग मर जाएं और कई बह जाएं तो क्या खबर पहले पन्ने की नहीं है? क्या शीर्षक यह होगा कि भारी बारिश से बांध टूटा? टाइम्स ऑफ इंडिया, इंडियन एक्सप्रेस, हिन्दुस्तान टाइम्स, द टेलीग्राफ के साथ नवभारत टाइम्स और दैनिक जागरण में यह पहले पन्ने पर तो है लेकिन शीर्षक?
कहने की जरूरत नहीं है कि पहली नजर में यह भ्रष्टाचार और प्रशासनिक लापरवाही का मामला है। लोगों की जान तो गई ही है 3000 के करीब लोग मुसीबत में हैं। हर तरह से यह खबर अच्छा ट्रीटमेंट मांगती है। किसी प्रभावशाली नेता के भ्रष्टाचार की खोजी खबर नहीं है कि इसके छपने से कोई नेताजी नाराज हो जाएंगे। जनहित की खबर है और इसे प्राथमिकता के साथ पूरा महत्व मिलना चाहिए तब भी यह खबर कई अखबारों में गृहमंत्री ने दिल्ली के पुलिस कमिश्नर को तलब किया – से ज्यादा महत्व नहीं पा सकी है। वह भी तब जब यह हादसा मंगलवार की रात हुआ था। इस तरह कल का पूरा दिन इस खबर से संबंधित तैयारियों के लिए था और इस दौरान इससे संबंधित योजना बनाकर काम किया जा सकता था। उसके बाद यह खबर ऐसे छपी है जिसका विवरण मैंने ऊपर दिया। नवभारत टाइम्स की प्रस्तुति सबसे घटिया है। शीर्षक ही नहीं, ब्यौरा भी सबसे कम और चलताऊ है।
टाइम्स ऑफ इंडिया में अंदर के पन्ने पर इस खबर के शीर्षक का अनुवाद होगा, हम दो साल से बांध में रिसाव की शिकायत कर रहे थे। इसके साथ सिंगल कॉलम की दो खबरें हैं। इनमें एक के शीर्षक का अनुवाद इस तरह होगा, बाढ़ में बहे एक बच्चे का शव उसके घर से सिर्फ 20-30 फीट की दूरी पर मिला। अमर उजाला में यब खबर मुंबई में बारिश और बाढ़ जैसी हालत के कारण उड़ान रद्द होने की खबर के साथ तीन कॉलम में है। दो लाइन का इसका शीर्षक है, रत्नागिरि में बांध टूटने से 23 लापता, 11 शव मिले। इस बीच, आज उज्जैन में होटल एक होटल गिराए जाने की खबर तो है पर इंदौर की उस विवादास्पद बिल्डिंग का क्या हुआ यह पता नहीं चला और ना ही कैलाश विजयवर्गीय के बल्लामार बेटे के खिलाफ किसी कार्रवाई की खबर है। कल प्रधानमंत्री ने जो कहा वह छापने के बाद आज कुछ अखबारों में खबर है कि आकाश विजयवर्गीय को कारण बताओ नोटस जारी हो सकता है पर अभी यह नोटिस जारी होने की कोई खबर नहीं है और मुझे लगता है कि कार्रवाई जब होगी तब होगी फिलहाल छवि निर्माण योजना तो कामयाब रही है।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार, अनुवादक व मीडिया समीक्षक हैं।)