पूरी कोशिश के बाद भी पाकिस्तान युद्ध के लिए तैयार नहीं है। उसे मौका मिला – भारतीय पायलट उसके कब्जे में था। भारत सरकार इस पर कोई बात नहीं कर रही थी और पाकिस्तान को ‘चेतावनी’ दी गई कि वह पायलट को कोई नुकसान पहुंचाए बगैर बिना शर्त छोड़े। अंत में पाकिस्तान ने छोड़ने की घोषणा भी कर दी और इस बीच प्रधानमंत्री ने बूथ मजबूत करने का अपना काम भी किया। इसके पक्ष में तर्क भी दिए और इमरान खान ने जब विंग कमांडर अभिनंदन को छोड़ने की घोषणा कर दी तो शाम को चुटकी भी ली कि पायलट प्रोजेक्ट पूरा हुआ अभी रीयल होगा।
इस तरह युद्ध का जो माहौल बना था उसकी इमरान खान ने हवा निकाल दी। आप कह सकते हैं कि पाकिस्तान डर गया और भारत अभी रीयल करेगा। पर हिन्दी अखबारों के आज के पहले पन्ने से लगता है कि युद्ध पूरा हुआ और पाकिस्तान हार गया, डर भी गया लेकिन भारत का पायलट प्रोजेक्ट ही पूरा हुआ है। असली अभी होना है। यह कैसे होगा, चुनाव से पहले होगा या बाद में यह सब कुछ आज के अखबारों की खबरों से समझ में नहीं आया।
दैनिक हिन्दुस्तान ने लिखा है, मोदी ने कहा कि आतंकी हमले के साथ दुश्मनों का मकसद होता है कि हमारी प्रगति रुक जाए, गति रुक जाए और देश थम जाए। युद्ध से ऐसा नहीं होगा इसकी कोई गारंटी तो नहीं है पर माना यही जाता है कि युद्ध से दोनों पक्षों का भारी नुकसान होता है और प्रगति चाहे न रुके युद्ध करने वाले एक तरह से उठाकर पीछे जरूर कर दिए जाते हैं। इसलिए आतंकवादी हमला बुरा है तो युद्ध उससे भी बुरा है और हमला न हो इसका उपाय होना चाहिए। फिर भी देश का मीडिया युद्ध के मूड में लगता है।
अंग्रेजी अखबारों में आज टेलीग्राफ का शीर्षक बहुत बढ़िया है - सर्जिकल पीस यानी सर्जिकल स्ट्राइक के बाद अब सर्जिकल शांति हुई। अखबार ने इमरान खान की फोटो के साथ भारतीय पायलट को रिहा करने की घोषणा और नरेन्द्र मोदी की फोटो के साथ पायलट प्रोजेक्ट का उनका बयान छापा है। और इमरान व मोदी की आमने सामने की फोटो छापी है। अखबार की मुख्य खबर में कहा गया है कि हमें सबूत को सार्वजनिक करना चाहिए। इसके मुताबिक भारतीय हमले में पाकिस्तान को नुकसान की बात यकीन करने लायक नहीं है। यह अखबार ने पहले दिन भी लिखा था। तब भी रायटर की खबर छापी थी। आज भी रायटर की ही है।
द हिन्दू में सीधी सपाट खबर है, पाकिस्तान अभिनंदन को आज रिहा कर देगा। टाइम्स ऑफ इंडिया ने आठ कॉलम का शीर्षक लगाया है, अभिनंदन घर आ रहे हैं, आतंकवाद पर भारत नहीं झुकेगा। अखबार ने प्रधानमंत्री की फोटो के साथ दो कॉलम की एक खबर शीर्षक लगाया है जो हिन्दी में ही है - पायलट प्रोजेक्ट हो गया अभी रीयल करना है : पीएम।
इंडियन एक्सप्रेस का मुख्य शीर्षक है, रिलीज एंड रीलीफ। इसका संदर्भ विंग कमाडर अभिनंदन को रिहा कर दिए जाने और उससे मिली राहत से है। हालांकि, अखबार की खबर का इंट्रो है, भारत ने रेखांकित किया कि आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई पर कोई करार नहीं हुआ है। पायलट प्रोजेक्ट वाली खबर को अखबार ने सिंगल कॉलम में काफी संभाल कर छापा है। शीर्षक में में और खबर में भी बताया गया है कि वे कहां बोल रहे थे और यह भी कि इसे आईएएफ के हमले से जोड़कर देखा जा रहा है।
हिन्दुस्तान टाइम्स में पांच कॉलम का शीर्षक है वायुसैनिक की घर वापसी। अखबार के पहले पन्ने पर आज आधा विज्ञापन है। इसलिए खबरें कम हैं और इनमें पायलट प्रोजक्ट वाली खबर भी नहीं है।
कुल मिलाकर आज अखबार भ्रमित लग रहे हैं। युद्ध जरूरी समझने वाले तय नहीं कर पा रहे हैं कि पाकिस्तान लड़ने को तैयार नहीं है तो क्या किया जाए और इधर प्रधानंमत्री ने कहा है कि पायलट प्रोजेक्ट हो गया अब असली होगा तो क्या होगा और कब होगा। वो बताते हैं नहीं और अखबार वाले उनसे पूछेंगे नहीं।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार, अनुवादक व मीडिया समीक्षक हैं।)
इस तरह युद्ध का जो माहौल बना था उसकी इमरान खान ने हवा निकाल दी। आप कह सकते हैं कि पाकिस्तान डर गया और भारत अभी रीयल करेगा। पर हिन्दी अखबारों के आज के पहले पन्ने से लगता है कि युद्ध पूरा हुआ और पाकिस्तान हार गया, डर भी गया लेकिन भारत का पायलट प्रोजेक्ट ही पूरा हुआ है। असली अभी होना है। यह कैसे होगा, चुनाव से पहले होगा या बाद में यह सब कुछ आज के अखबारों की खबरों से समझ में नहीं आया।
दैनिक हिन्दुस्तान ने लिखा है, मोदी ने कहा कि आतंकी हमले के साथ दुश्मनों का मकसद होता है कि हमारी प्रगति रुक जाए, गति रुक जाए और देश थम जाए। युद्ध से ऐसा नहीं होगा इसकी कोई गारंटी तो नहीं है पर माना यही जाता है कि युद्ध से दोनों पक्षों का भारी नुकसान होता है और प्रगति चाहे न रुके युद्ध करने वाले एक तरह से उठाकर पीछे जरूर कर दिए जाते हैं। इसलिए आतंकवादी हमला बुरा है तो युद्ध उससे भी बुरा है और हमला न हो इसका उपाय होना चाहिए। फिर भी देश का मीडिया युद्ध के मूड में लगता है।
अंग्रेजी अखबारों में आज टेलीग्राफ का शीर्षक बहुत बढ़िया है - सर्जिकल पीस यानी सर्जिकल स्ट्राइक के बाद अब सर्जिकल शांति हुई। अखबार ने इमरान खान की फोटो के साथ भारतीय पायलट को रिहा करने की घोषणा और नरेन्द्र मोदी की फोटो के साथ पायलट प्रोजेक्ट का उनका बयान छापा है। और इमरान व मोदी की आमने सामने की फोटो छापी है। अखबार की मुख्य खबर में कहा गया है कि हमें सबूत को सार्वजनिक करना चाहिए। इसके मुताबिक भारतीय हमले में पाकिस्तान को नुकसान की बात यकीन करने लायक नहीं है। यह अखबार ने पहले दिन भी लिखा था। तब भी रायटर की खबर छापी थी। आज भी रायटर की ही है।
द हिन्दू में सीधी सपाट खबर है, पाकिस्तान अभिनंदन को आज रिहा कर देगा। टाइम्स ऑफ इंडिया ने आठ कॉलम का शीर्षक लगाया है, अभिनंदन घर आ रहे हैं, आतंकवाद पर भारत नहीं झुकेगा। अखबार ने प्रधानमंत्री की फोटो के साथ दो कॉलम की एक खबर शीर्षक लगाया है जो हिन्दी में ही है - पायलट प्रोजेक्ट हो गया अभी रीयल करना है : पीएम।
इंडियन एक्सप्रेस का मुख्य शीर्षक है, रिलीज एंड रीलीफ। इसका संदर्भ विंग कमाडर अभिनंदन को रिहा कर दिए जाने और उससे मिली राहत से है। हालांकि, अखबार की खबर का इंट्रो है, भारत ने रेखांकित किया कि आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई पर कोई करार नहीं हुआ है। पायलट प्रोजेक्ट वाली खबर को अखबार ने सिंगल कॉलम में काफी संभाल कर छापा है। शीर्षक में में और खबर में भी बताया गया है कि वे कहां बोल रहे थे और यह भी कि इसे आईएएफ के हमले से जोड़कर देखा जा रहा है।
हिन्दुस्तान टाइम्स में पांच कॉलम का शीर्षक है वायुसैनिक की घर वापसी। अखबार के पहले पन्ने पर आज आधा विज्ञापन है। इसलिए खबरें कम हैं और इनमें पायलट प्रोजक्ट वाली खबर भी नहीं है।
कुल मिलाकर आज अखबार भ्रमित लग रहे हैं। युद्ध जरूरी समझने वाले तय नहीं कर पा रहे हैं कि पाकिस्तान लड़ने को तैयार नहीं है तो क्या किया जाए और इधर प्रधानंमत्री ने कहा है कि पायलट प्रोजेक्ट हो गया अब असली होगा तो क्या होगा और कब होगा। वो बताते हैं नहीं और अखबार वाले उनसे पूछेंगे नहीं।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार, अनुवादक व मीडिया समीक्षक हैं।)