अखबारनामा: युद्धमय हिंदी अखबार और टेलिग्राफ की रिपोर्टिंग

Written by संजय कुमार सिंह | Published on: February 27, 2019
आज के ज्यादातर अखबार युद्धमय हैं। हिन्दी अखबार कुछ ज्यादा ही जोश में। अखबारों से नहीं लगता कि किसी को युद्ध से चिन्ता या कोई डर है। सब समझ रहे हैं कि जिस तरह कल बम गिरा आए और 350 आतंकवादी मर गए उससे पाकिस्तान को सबक मिल गई और वह अब ऐसा या पहले जैसा कुछ करने की हिम्मत नहीं करेगा। अव्वल तो हमले की सफलता पर ज्यादातर अखबारों को कोई शक नहीं है और सबने सरकारी दावे को मान लिया है जबकि पाकिस्तान के दावे को बहुत कम तरजीह दी गई है। दैनिक भास्कर ने नाचती महिलाओं की फोटो छापी है तो नवोदय टाइम्स ने बताया है कि पाक सेना ने 55 भारतीय सैन्य चौकियो को निशाना बनाकर भारी गोलीबारी की है। यानी पाकिस्तान नहीं मानेगा।

इस माहौल में हिन्दुस्तान टाइम्स में प्रकाशित 'खबरों से आगे' की खबर में हाऊ द बीजेपी विन्स (भाजपा कैसे जीतती है) के लेखक प्रशांत झा ने लिखा है, “विद एयर स्ट्राइक्स, मोदी लॉक्स हिज पॉलिटिकल स्क्रिप्ट फॉर पॉल्स”। इसका हिन्दी होगा, 'हवाई हमलों से प्रधानमंत्री मोदी ने चुनाव के लिए अपना राजनीतिक स्क्रिप्ट तय कर लिया है'। इसमें प्रशांत ने लिखा है, चुनौतीपूर्ण राजनीतिक माहौल में आए इस स्क्रिप्ट में एक-दूसरे से जुड़ी तीन प्रमुख चीजें होंगी - एक "निर्णायक" और "शक्तिशाली" नेता की जिस पर भरोसा किया जा सकता है; एक "राष्ट्रवादी" पार्टी की जो भारतीय हितों की रक्षा करने के लिए तैयार हैं और एक "मजबूत" भारत की, जिसने अपने विरोधी से निपटने ता तरीका बदल दिया है।

हमले के बाद अखबारों से जिस संयम की अपेक्षा थी वह तो द टेलीग्राफ में ही है। अंग्रेजी के अखबारों ने मोटे तौर पर खबर छापी है पर हिन्दी अखबार सरकार के पक्ष में युद्ध का प्रचार करते लग रहे हैं। भारतीय वायु सेना द्वारा मंगलवार को सीमा पार कर पाकिस्तान में की गई कार्रवाई की खबर द टेलीग्राफ ने सबसे अलग अंदाज में दी है। सात कॉलम की इसकी खबर और शीर्षक तो अलग है ही, मुख्य खबर के साथ, क्या हुआ पर दो तरह की बातें प्रमुखता से छापी गई हैं। एक खबर दो कॉलम में है और दो लाइन का इसका शीर्षक है, बम? 'हां', मौतें? 'नहीं'। बालाकोट डेटलाइन से यह रायटर की खबर है और अंदर के पन्ने पर जारी है। इसके ठीक ऊपर लीड के साथ टॉप में दो कॉलम का ही एक बॉक्स है - क्या हुआ, दो विवरण।

इसमें अखबार ने भारत के आरोप या दावे के साथ पाकिस्तान का भी पक्ष छापा है। इसमें कहा गया है कि भारत ने आतंकवादी शिविर को निशाना बनाया पर पाकिस्तान ने कहा है कि चुनौती दिए जाने पर भारतीय वायु सेना ने पेलोड को जब्बा टॉप पर गिरा दिया। यही रायटर की खबर में है। इसी तरह भारत ने आधिकारिक तौर पर मरने वालों की संख्या नहीं बताई पर सूत्रों ने दावा किया कि 350 आतंकवादी और उनके प्रशिक्षक मारे गए हैं। लेकिन पाकिस्तान ने आधिकारिक तौर पर कहा कि कोई नहीं मरा है।

अखबार ने बम हां, मौत नहीं - शीर्षक जो खबर छापी है वह बालाकोट डेटलाइन से रायटर की है। इसमें गांव वालों के हवाले से कहा गया है कि एक व्यक्ति की मौत हुई और उन्हें किसी अन्य के हताहत होने की सूचना नहीं है। एक ग्रामीण ने नाम न बताने की शर्त पर कहा कि वहां एक मदरसा है जिसे जैश-ए-मोहम्मद चलाता है। हालांकि, ज्यादातर ग्रामीण पड़ोस में आतंकी होने की बात बहुत संभल कर कर रहे थे। एक अन्य व्यक्ति ने अपना नाम नहीं बताया और कहा कि इलाके में आतंकवादी वर्षों से रह रहे हैं।

इस व्यक्ति ने कहा कि मैं उसी इलाके का हूं और यकीन के साथ कह सकता हूं कि वहां एक प्रशिक्षण शिविर है। मैं जानता हूं कि जैश के लोग इसे चलाते थे। अखबार ने लिखा है कि यह इलाका 2005 में आए भूकंप में बुरी तरह तबाह हुआ था। ग्रामीणों ने कहा कि कल गिराए गए बम मदरसे से एक किलोमीटर दूर गिरे। 25 साल के ग्रामीण मोहम्मद अजमल ने बताया कि उसने तीन बजे से कुछ ही पहले चार तेज आवाज सुनी और समझ नहीं पाया कि क्या हुआ है। सुबह समझ पाए कि यह हमला था।

उसने बताया कि वहां हमने देखा कि कुछ पेड़ गिर गए हैं और जहां बम गिरे वहां चार गड्ढे हो गए हैं। एक क्षतिग्रस्त घर भी दिखा। ग्रामीणों ने कहा कि अपने घर में सो रहा एक व्यक्ति मारा गया है। बालाकोट से तीन किलोमीटर दूर एक ग्रामीण अतर शीशा ने न्यूयॉर्क टाइम्स से कहा कि उसका नाम उजागर नहीं किया जाए। उसने फोन पर बताया कि बालाकोट में स्कूल तो चलता है पर हमले से बच गया।

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार, अनुवादक व मीडिया समीक्षक हैं।)

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