नई दिल्ली। 13 प्वाइंट रोस्टर पर सुप्रीम कोर्ट की मुहर और सरकार की लचर प्रतिक्रिया को देखते हुए आरक्षित वर्ग के छात्रों और शिक्षकों में खासा आक्रोश है। दिल्ली विश्वविद्यालय में आज शाम इसी मुद्दे पर बुलाई गई बैठक, इसी वजह से आक्रोश सभा में तब्दील हो गई जहाँ मानव संसाधन मंत्री प्रकाश जावड़ेकर और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का पुतला फूँका गया।
दिल्ली विश्वविद्यालय में आज शाम नार्थ कैंपस के सेंट्रल लॉन में रोस्टर के मुद्दे पर एक आपातकालीन बैठक बुलाई गई थी। बैठक आंदोलन की रणनीति बनाने के लिए यह बुलाई गई थी लेकिन इसमें शामिल लोगों के आक्रोश ने बैठक को एक आक्रोश प्रदर्शन में तब्दील कर दिया। आनन-फानन में नरेंद्र मोदी और प्रकाश जावडेकर का पुतला बनाया और बहुजन नारों के साथ पुतला दहन किया। ज़्यादा गुस्सा इस बात पर था कि सरकार सवर्णों को 10 फीसदी आरक्षण देने के नाम पर 24 घंटे भी नहीं लगाती जबकि 13 प्वाइंट रोस्टर रोकने के लिए न अध्यादेश लाती है और न सुप्रीम कोर्ट में ही क़ायदे से पैरवी करती हैै। जबकि 13 प्वाइंट रोस्टर की प्रक्रिया से साफ़ है कि दलितों, पिछड़ों और आदिवासियों के लिए उच्च शिक्षा संस्थानों में शिक्षक बनना अब टेढ़ी खीर होगा।
बैठक में शामिल शिक्षकों, शोधार्थियों और तमाम ऐक्टिविष्ट साथियों ने सुझाव दिया कि बिना किसी देरी के तत्काल सड़क से संसद तक आक्रोश प्रदर्शन शुरू कर देना चाहिए। साथ ही 26 जनवरी के बाद डीयू में एक बड़ा सम्मेलन हो और जनवरी के आख़िरी दिनों में MHRD पर एक बड़ा प्रदर्शन। यही नहीं इस मामले में एक अखिल भारतीय कॉल दिया जाए और देश के तमाम विश्वविद्यालयों में इस आंदोलन को फैलाया जाए। 24 जनवरी को इस मुद्दे पर नार्थ कैंपस के गेट नंबर चार से आक्रोश मार्च निकालने का फैसला हुआ।
इस आक्रोश को देखते हुए साफ़ है कि 13 प्वाइंट रोस्टर का मसला मोदी सरकार के लिए भारी संकट बनने जा रहा है।
दिल्ली विश्वविद्यालय में आज शाम नार्थ कैंपस के सेंट्रल लॉन में रोस्टर के मुद्दे पर एक आपातकालीन बैठक बुलाई गई थी। बैठक आंदोलन की रणनीति बनाने के लिए यह बुलाई गई थी लेकिन इसमें शामिल लोगों के आक्रोश ने बैठक को एक आक्रोश प्रदर्शन में तब्दील कर दिया। आनन-फानन में नरेंद्र मोदी और प्रकाश जावडेकर का पुतला बनाया और बहुजन नारों के साथ पुतला दहन किया। ज़्यादा गुस्सा इस बात पर था कि सरकार सवर्णों को 10 फीसदी आरक्षण देने के नाम पर 24 घंटे भी नहीं लगाती जबकि 13 प्वाइंट रोस्टर रोकने के लिए न अध्यादेश लाती है और न सुप्रीम कोर्ट में ही क़ायदे से पैरवी करती हैै। जबकि 13 प्वाइंट रोस्टर की प्रक्रिया से साफ़ है कि दलितों, पिछड़ों और आदिवासियों के लिए उच्च शिक्षा संस्थानों में शिक्षक बनना अब टेढ़ी खीर होगा।
बैठक में शामिल शिक्षकों, शोधार्थियों और तमाम ऐक्टिविष्ट साथियों ने सुझाव दिया कि बिना किसी देरी के तत्काल सड़क से संसद तक आक्रोश प्रदर्शन शुरू कर देना चाहिए। साथ ही 26 जनवरी के बाद डीयू में एक बड़ा सम्मेलन हो और जनवरी के आख़िरी दिनों में MHRD पर एक बड़ा प्रदर्शन। यही नहीं इस मामले में एक अखिल भारतीय कॉल दिया जाए और देश के तमाम विश्वविद्यालयों में इस आंदोलन को फैलाया जाए। 24 जनवरी को इस मुद्दे पर नार्थ कैंपस के गेट नंबर चार से आक्रोश मार्च निकालने का फैसला हुआ।
इस आक्रोश को देखते हुए साफ़ है कि 13 प्वाइंट रोस्टर का मसला मोदी सरकार के लिए भारी संकट बनने जा रहा है।