पुणे। भीमा-कोरेगांव हिंसा के एक साल पूरे होने पर पुणे और आसपास के इलाकों में पुलिस ने सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए हैं। संबंधित इलाके में ड्रोन, सीसीटीवी कैमरे और करीब 5000 पुलिसकर्मियों की तैनाती की गई है। साथ ही 520 पुलिस अधिकारी, 12 टुकड़िया एसआरपी की, 1200 होमगार्ड और 2000 स्वयंसेवक भी तैनात किए गए हैं। संवेदनशील इलाकों में इंटरनेट बंद कर दिया गया है। पिछले साल पुणे के भीमा-कोरेगांव में एक जनवरी को हिंसा भड़क गई थी, जिसमें एक शख्स की जान चली गई और कई जख्मी हो गए थे।
5 लाख लोगों के जुटने का अनुमान
पुणे के डीएम नवलकिशोर राम ने बताया कि भीमा-कोरेगांव के विजय स्तंभ पर मंगलवार (1 जनवरी) को पांच लाख लोगों के जुटने का अनुमान है। नियंत्रण कक्ष, सूचना केंद्र, ऐम्बुलेंस, मोबाइल टॉइलटों और पानी की व्यवस्था की गई है। कोंकण क्षेत्र के आईजी विश्वास नागरे पाटील भी वहीं तैनात हैं। टूर ऐंड ट्रैवल्स पर नजर रखी जा रही है। इसी के तहत रविवार को पुणे स्थित सावित्रीबाई फुले विद्यापीठ में विद्यार्थियों के साथ होने वाले आजाद के संवाद कार्यक्रम को भी पुणे पुलिस ने अनुमति नहीं दी।
पिछले साल भड़की थी हिंसा
बता दें कि पिछले साल एक जनवरी को भीमा-कोरेगांव संघर्ष की 200वीं वर्षगांठ पर हिंसा भड़क उठी थी। 1 जनवरी को पुणे से 40 किलोमीटर दूर कोरेगांव-भीमा गांव में दलित समुदाय के लोगों का एक कार्यक्रम आयोजित हुआ था, जिसका कुछ दक्षिणपंथी संगठनों ने विरोध किया था। इसी कार्यक्रम के दौरान इस इलाके में हिंसा भड़की थी, जिसके बाद भीड़ ने वाहनों में आग लगा दी और दुकानों-मकानों में तोड़फोड़ की थी। इस हिंसा में एक शख्स की जान चली गई और कई लोग जख्मी हो गए थे।
इन नेताओं को कार्यक्रमों की अनुमति नहीं
पुलिस ने दक्षिणपंथी नेता मिलिंद दक्षिणपंथी हिंदू नेता मिलिंद एकबोटे और कबीर कला मंच के सदस्यों को कार्यक्रम की अनुमति नहीं दी है। साथ ही भीम आर्मी के चीफ चंद्रशेखर आजाद को भी पुणे में रैली की अनुमति देने से इनकार कर दिया। इस फैसले के खिलाफ चंद्रशेखर हाई कोर्ट भी गए, लेकिन उन्हें निराशा हाथ लगी।
साभार- NBT
5 लाख लोगों के जुटने का अनुमान
पुणे के डीएम नवलकिशोर राम ने बताया कि भीमा-कोरेगांव के विजय स्तंभ पर मंगलवार (1 जनवरी) को पांच लाख लोगों के जुटने का अनुमान है। नियंत्रण कक्ष, सूचना केंद्र, ऐम्बुलेंस, मोबाइल टॉइलटों और पानी की व्यवस्था की गई है। कोंकण क्षेत्र के आईजी विश्वास नागरे पाटील भी वहीं तैनात हैं। टूर ऐंड ट्रैवल्स पर नजर रखी जा रही है। इसी के तहत रविवार को पुणे स्थित सावित्रीबाई फुले विद्यापीठ में विद्यार्थियों के साथ होने वाले आजाद के संवाद कार्यक्रम को भी पुणे पुलिस ने अनुमति नहीं दी।
पिछले साल भड़की थी हिंसा
बता दें कि पिछले साल एक जनवरी को भीमा-कोरेगांव संघर्ष की 200वीं वर्षगांठ पर हिंसा भड़क उठी थी। 1 जनवरी को पुणे से 40 किलोमीटर दूर कोरेगांव-भीमा गांव में दलित समुदाय के लोगों का एक कार्यक्रम आयोजित हुआ था, जिसका कुछ दक्षिणपंथी संगठनों ने विरोध किया था। इसी कार्यक्रम के दौरान इस इलाके में हिंसा भड़की थी, जिसके बाद भीड़ ने वाहनों में आग लगा दी और दुकानों-मकानों में तोड़फोड़ की थी। इस हिंसा में एक शख्स की जान चली गई और कई लोग जख्मी हो गए थे।
इन नेताओं को कार्यक्रमों की अनुमति नहीं
पुलिस ने दक्षिणपंथी नेता मिलिंद दक्षिणपंथी हिंदू नेता मिलिंद एकबोटे और कबीर कला मंच के सदस्यों को कार्यक्रम की अनुमति नहीं दी है। साथ ही भीम आर्मी के चीफ चंद्रशेखर आजाद को भी पुणे में रैली की अनुमति देने से इनकार कर दिया। इस फैसले के खिलाफ चंद्रशेखर हाई कोर्ट भी गए, लेकिन उन्हें निराशा हाथ लगी।
साभार- NBT