आगरा: पुलिस की थ्योरी से संतुष्ट नहीं संजलि के परिजन

Written by Sabrangindia Staff | Published on: December 27, 2018
आगरा। उत्तर प्रदेश के आगरा क्षेत्र के मलपुरा के लालऊ में आठ दिन पहले मंगलवार को 15 वर्षीय संजली पेट्रोल डालकर जला दी गई थी। 36 घंटे बाद उसकी अस्पताल में सांसें थम गईं। इस मामले को लेकर देशभर में सोशल मीडिया पर इंसाफ के लिए कैंपेन चलाया गया। आखिर पुलिस ने संजलि की हत्या के लिए उसके तयेरे भाई योगेश को जिम्मेदार ठहराया है जिसने संजलि के आग लगने के अगले दिन ही सुसाइड कर लिया था।

इस पूरे मामले पर बीबीसी की ग्राउंड रिपोर्ट कहती है कि संजलि के परिजन पुलिस जांच से खुश नहीं हैं। उनका आरोप है कि पुलिस परिजनों पर ही हत्या का आरोप थोप रही है। योगेश की मां राजन देवी का आरोप है कि पुलिस ने योगेश को टॉर्चर किया इसलिए उसने सदमे में आकर ख़ुदकुशी कर ली।

पुलिस का क्या कहना है?
एसएसपी (आगरा) अमित पाठक ने बीबीसी को बताया, "योगेश पर हमारी शक़ की सुई जाने की एक नहीं, कई वजहें हैं। शक़ करने की पहली वजह तो योगेश की ख़ुदकुशी ही है। शायद वो संजलि की ओर आकर्षित था और उसके इनकार करने की वजह से उसने ये कदम उठाया।''

पुलिस ने योगेश के अलावा उसके ममेरे भाई आकाश और योगेश के ही एक और रिश्तेदार विजय को गिरफ़्तार किया है।

योगेश को मुख्य अभियुक्त मानने के पक्ष में पुलिस कुछ ऐसी दलीलें पेश कर रही है:

- पुलिस का कहना है कि उसे योगेश के घर से कुछ चिट्ठियां मिलीं हैं जो उसने संजलि के लिए लिखी थीं।

- योगेश के फ़ोन कॉल्स की डिटेल और वॉट्सऐप मेसेज।

- योगेश के फ़ोन में संजलि की तस्वीरें जिनमें उसकी स्कूल ड्रेस पहने भी एक तस्वीर है।

- पुलिस के मुताबिक योगेश ने संजलि को एक साइकिल तोहफ़े में दी थी और साथ ही एक जाली सर्टिफ़िकेट भी बनवाकर दिया था ताकि वो घर में साइकिल को इनाम बता सके।

- पुलिस का कहना है कि योगेश को 'क्राइम पेट्रोल' देखने का शौक़ था और मुमकिन है कि अपराध की योजना बनाने की पीछे यह एक वजह भी रही हो।

- पुलिस के मुताबिक अन्य दो अभियुक्तों ने भी कबूला है कि उन्हें इस अपराध को अंजाम देने से लिए योगेश ने ही उकसाया था और बदले में 15,000 रुपये देने की बात भी कही थी।

पुलिस की दलील से असंतुष्ट संजलि का परिवार
संजलि के माता-पिता और उसका परिवार पुलिस के इन नतीजों से असहमत हैं। संजलि के पिता हरेंद्र सिंह जाटव ने बीबीसी से कहा, "पुलिस मुझे आधी रात को मलपुरा थाने में ले गई। वहां मुझसे कहा गया कि मैं कुछ बोलूं न, बस चुपचाप सुनूं। उन्होंने मुझे एक लड़का दिखाया जो नीचे सहमा हुआ बैठा था। ऐसा लग रहा था जैसे उसे बहुत पीटा और डराया धमकाया गया हो।।। "

हरेंद्र सिंह के मुताबिक, "पुलिस वालों के पूछने पर उस लड़के ने पूरी कहानी ऐसे सुनाई जैसे उसे सब कुछ रटाया गया हो। पिछले महीने पहले काम से लौटते वक़्त मुझ पर दो लोगों ने हमला किया था। उन्होंने मेरे सिर पर किसी चीज़ से मारा था। उस लड़के ने कहा कि इस हमले को भी उन्होंने ही (योगेश और बाकी दो अभियुक्तों) ने अंजाम दिया। पुलिस ने मुझे उस लड़के से कोई बात नहीं करने दी।"

पुलिस के दावों से असहमति की वजह बताते हुए हरेंद्र सिंह कहते हैं, "मुझ पर हमला रात 9 बजे के क़रीब हुआ था और उस लड़के ने कहा कि उन्होंने शाम 6 बजे हमला किया। यहीं, मैंने पुलिस का झूठ पकड़ लिया। पुलिस ने मुझे फ़ोन में चिट्ठियों की तस्वीरें दिखाईं, असली चिट्ठियां नहीं दिखाईं। फिर मैं कैसे मान लूं कि वो चिट्ठियां योगेश ने लिखीं? बाकी दो अभियुक्तों को भी वो हमारे रिश्तेदार बता रहे हैं, जबकि हम उनसे कभी मिले ही नहीं।"

योगेश की मां राजन देवी का भी मानना है कि उनका बेटा पहले ही मर चुका है और पुलिस असली गुनेहगार को पकड़ नहीं पा रही है इसलिए मरे हुए इंसान पर अपराध का बोझ डालकर मामला निबटाने की कोशिश कर रही है।

राजन देवी कहती हैं, "आप मेरा भरोसा मत कीजिए, पूरे मुहल्ले से पूछिए कि योगेश कैसा लड़का था। मेरा बेटा तो मर गया लेकिन मैं चाहती हूं कि असली गुनहगार पकड़े जाएं ताकि संजलि को इंसाफ़ मिले और मेरे बेटे के नाम से ये दाग़ धुले।"

क्या चाहता है संजलि का परिवार?
संजलि की मां रोते-रोते कहती हैं, "जबसे बेटी गई है, मेरे घर में ठीक से चूल्हा नहीं जला है। गुनाहगार को फांसी मिलेगी तभी मेरी बेटी को इंसाफ़ मिलेगा।" वहीं, संजलि के पिता मामले की सीबीआई जांच की मांग कर रहे हैं।

आगरा के ज़िलाधिकारी रवि कुमार एमजी ने संजलि के परिवार को 50,000 रुपये मुआवज़ा दिया है।

उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री दिनेश शर्मा ने भी परिवार को पांच लाख रुपये दिलाने का वादा किया है।

हालांकि ये पैसे कब और कैसे मिलेंगे, इस बारे में संजलि के परिजनों को कोई जानकारी नहीं है।

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