मध्यप्रदेश के जबलपुर में सरकारी स्कूल की शिक्षिका की जीपीएफ की रकम इस कदर नियमों में उलझी कि वह मौत से जूझ रही अपनी बच्ची तक का इलाज नहीं करा पाई और आखिरकार बच्ची की मौत हो गई।
नईदुनिया की रिपोर्ट के अनुसार, जबलपुर के अधारताल संकुल के शासकीय प्राथमिक स्कूल आनंद नगर की शिक्षिका सुषमा तिवारी की 25 वर्षीय बेटी शगुन आचार्य कैंसर से पीड़ित थी। बेटी का इलाज कराने में उनकी पूरी जमा पूंजी खर्च हो गई, तो उन्होंने जीपीएफ राशि के लिए अप्रैल माह में आईएफएमआईएस की नई व्यवस्था के तहत ऑनलाइन और फिर ऑफलाइन आवेदन भी किया। इसके अलावा जिला शिक्षा अधिकारी (डीईओ) और ब्लॉक शिक्षा अधिकारी (बीईओ) ऑफिस के कई चक्कर भी लगाए लेकिन जीपीएफ का पैसा उन्हें नहीं मिला। इसी बीच इलाज के अभाव में 22 सितंबर को शगुन की मौत हो गई।
शिक्षिका का कहना है कि अगर समय रहते जीपीएफ का पैसा मिल जाता तो शायद उनकी बेटी की जान बच जाती। शिक्षा विभाग की संवेदनहीनता उजागर होने के बाद मप्र तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ विरोध में उतर आया है। संघ ने मामले की जांच कर दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग की है।
मप्र तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ ने संभाग कमिश्नर को ज्ञापन देकर जीपीएफ प्रकरण की जांच कर हीलाहवाली करने वाले बीईओ और डीईओ पर कार्रवाई की मांग की है।
संघ के प्रांतीय महामंत्री योगेन्द्र दुबे ने बताया कि शिक्षिका के जीपीएफ प्रकरण में मामूली सी आपत्ति थी, जिसका निराकरण जिम्मेदारों ने समय रहते नहीं किया। 22 अगस्त को डीईओ स्तर पर यह आपत्ति लगाई गई थी कि शिक्षिका ने अपनी सेवाकाल के दौरान जीपीएफ की 90 प्रतिशत राशि निकाली है या नहीं, इसका प्रमाण-पत्र देने को कहा गया था। प्रकरण फिर संकुल कार्यालय लौटाया गया, लेकिन निराकरण नहीं हो सका।
नईदुनिया की रिपोर्ट के अनुसार, जबलपुर के अधारताल संकुल के शासकीय प्राथमिक स्कूल आनंद नगर की शिक्षिका सुषमा तिवारी की 25 वर्षीय बेटी शगुन आचार्य कैंसर से पीड़ित थी। बेटी का इलाज कराने में उनकी पूरी जमा पूंजी खर्च हो गई, तो उन्होंने जीपीएफ राशि के लिए अप्रैल माह में आईएफएमआईएस की नई व्यवस्था के तहत ऑनलाइन और फिर ऑफलाइन आवेदन भी किया। इसके अलावा जिला शिक्षा अधिकारी (डीईओ) और ब्लॉक शिक्षा अधिकारी (बीईओ) ऑफिस के कई चक्कर भी लगाए लेकिन जीपीएफ का पैसा उन्हें नहीं मिला। इसी बीच इलाज के अभाव में 22 सितंबर को शगुन की मौत हो गई।
शिक्षिका का कहना है कि अगर समय रहते जीपीएफ का पैसा मिल जाता तो शायद उनकी बेटी की जान बच जाती। शिक्षा विभाग की संवेदनहीनता उजागर होने के बाद मप्र तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ विरोध में उतर आया है। संघ ने मामले की जांच कर दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग की है।
मप्र तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ ने संभाग कमिश्नर को ज्ञापन देकर जीपीएफ प्रकरण की जांच कर हीलाहवाली करने वाले बीईओ और डीईओ पर कार्रवाई की मांग की है।
संघ के प्रांतीय महामंत्री योगेन्द्र दुबे ने बताया कि शिक्षिका के जीपीएफ प्रकरण में मामूली सी आपत्ति थी, जिसका निराकरण जिम्मेदारों ने समय रहते नहीं किया। 22 अगस्त को डीईओ स्तर पर यह आपत्ति लगाई गई थी कि शिक्षिका ने अपनी सेवाकाल के दौरान जीपीएफ की 90 प्रतिशत राशि निकाली है या नहीं, इसका प्रमाण-पत्र देने को कहा गया था। प्रकरण फिर संकुल कार्यालय लौटाया गया, लेकिन निराकरण नहीं हो सका।