छत्तीसगढ़ समेत पूरे देश में रोजगार तो युवाओं को मिल नहीं रहा साथ ही इन युवाओं को भर्ती के नाम पर लूटा भी जा रहा है। सरकारी विभागों और निजी कंपनियों में खाली पदों के विज्ञापन निकालकर हजारों युवों से लाखों रुपए आवेदन की फीस के नाम पर ले लिए जाते हैं और फिर वो भर्ती परीक्षाएं होती ही नहीं, न उनका पैसा वापस किया जाता है।
पत्रिका की रिपोर्ट के अनुसार, राजधानी रायपुर के दाऊ कल्याण सिंह सुपर स्पेशयलिटी अस्पताल में 22 हजार युवाओं ने विभिन्न पदों के लिए आवेदन भेजे लेकिन 66 लाख रुपए आवेदन फीस लेने के बाद भी परीक्षा नहीं हुई। आवेदकों की फीस भी वापस नहीं की और फिर प्लेसमेंट कंपनी सहित अन्य वैकल्पिक व्यवस्था के जरिए कर्मियों की नियुक्तियां शुरू कर दी गईं।
हालत ये है कि नौकरी नहीं मिलने से प्रदेश के युवा परेशान हो रहे हैं और उनकी जेब भी कट रही है। कई युवा रोजगार के अभाव में अपराध की दुनिया में बढ़ रहे हैं। कई तो आईएसआई की जासूसी क करने को तैयार हो गए। ये हालत तब है जबकि प्रदेश के कई सरकारी विभागों में स्वीकृत पदों की तुलना में कई पद रिक्त हैं।
छत्तीसगढ़ में कई तरह के संयंत्र स्थापित होने का ऐलान होता है। ग्रामीणों और किसानों की जमीन ले ली जाती है और जब उद्योग खुलते हैं तो उनमें स्थानीय लोगों को कोई नौकरी नहीं मिलती। कई युवा नौकरी का इंतजार करते-करते ओवरएज हो चुके हैं।
पत्रिका की रिपोर्ट के अनुसार, राजधानी रायपुर के दाऊ कल्याण सिंह सुपर स्पेशयलिटी अस्पताल में 22 हजार युवाओं ने विभिन्न पदों के लिए आवेदन भेजे लेकिन 66 लाख रुपए आवेदन फीस लेने के बाद भी परीक्षा नहीं हुई। आवेदकों की फीस भी वापस नहीं की और फिर प्लेसमेंट कंपनी सहित अन्य वैकल्पिक व्यवस्था के जरिए कर्मियों की नियुक्तियां शुरू कर दी गईं।
हालत ये है कि नौकरी नहीं मिलने से प्रदेश के युवा परेशान हो रहे हैं और उनकी जेब भी कट रही है। कई युवा रोजगार के अभाव में अपराध की दुनिया में बढ़ रहे हैं। कई तो आईएसआई की जासूसी क करने को तैयार हो गए। ये हालत तब है जबकि प्रदेश के कई सरकारी विभागों में स्वीकृत पदों की तुलना में कई पद रिक्त हैं।
छत्तीसगढ़ में कई तरह के संयंत्र स्थापित होने का ऐलान होता है। ग्रामीणों और किसानों की जमीन ले ली जाती है और जब उद्योग खुलते हैं तो उनमें स्थानीय लोगों को कोई नौकरी नहीं मिलती। कई युवा नौकरी का इंतजार करते-करते ओवरएज हो चुके हैं।