पिछले साल आज ही के दिन बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के कैंपस में छात्र- छात्राओं ने छेड़खानी, कैंपस में उत्पीड़न व प्रशासन के पितृसत्तात्मक रवैये के खिलाफ पचास घंटे तक धरना कर ऐतिहासिक आंदोलन छेड़ा था। जिसके दौरान प्रशासन छात्र-छात्राओं पर बेरहमी से लाठीचार्ज किया था। तब आंदोलन कर रहे छात्र-छात्राओं की मांग थी कि कैंपस में छेड़खानी के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए और परिसर के सभी प्रशासनिक कर्मचारियों व अध्यापकों में लैंगिक संवेदनशीलता लायी जाए। इसके अलावा प्रदर्शनकारी छात्रों की मांग थी कि सभी महिला छात्रावास में टाइमिंग्स को हटाया जाए व महिओं को खाने के व्यंजन व सभी आहारों मे समानता हो।
लेकिन ठीक एक साल गुजर जाने के बाद भी परिसर की हालत जस की तस हैं। इसी के खिलाफ छात्र-छात्राएं शांतिपूर्ण तरीके से आंदोलन कर रही थीं कि छात्र संगठन एबीवीपी से जुड़े कुछ गुंडों ने जय श्रीराम, वंदे मातरम के नारे लगाते हुए उनपर हमला बोल दिया। जानकारी के मुताबिक, इस हमले में लड़कियों को बुरी तरह पीटा गया, भद्दी गालियां व धमकी दी गई। लड़कियों के साथ छेड़खानी, सेक्सुअल हरैसमेंट की और उस दौरान प्राॅक्टर बोर्ड और पुलिस तमाशा देख रही थी। गुंडो ने छात्राओं पर लाठी से भी हमला करने की कोशिश की।
इसके बाद चीफ प्रॉक्टर और गार्डों द्वारा छात्र- छात्राओं पर ठीक पिछले साल की तरह ही बेरहमी से लाठीचार्ज किया गया जिसमें छात्र-छात्राएं गंभीर रूप से घायल हुए है। इस दौरान पत्रकारों से भी गुंडो ने बदसलूकी की।
बीएचयू प्रशासन का महिला विरोधी, छात्र विरोधी रवैया फिर से सामने आया है। अब सवाल यह उठ रहे हैं कि एक घंटे से अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) व अन्य बदमाशों द्वारा कार्यक्रम को रोकने के लिए छात्रों से हाथापाई की जा रही थी तब सुरक्षाकर्मी क्यों मूकदर्शक बने रहे ? इन गुंडो को रोकने के बजाय छात्राओं पर बेरहमी से लाठीचार्ज कैसे किया गया? प्रशासन के इस रवैया से सवाल उठने शुरु हो गए हैं कि क्या छात्राओं पर हमला उनके द्वारा ही प्रायोजित था?
लेकिन ठीक एक साल गुजर जाने के बाद भी परिसर की हालत जस की तस हैं। इसी के खिलाफ छात्र-छात्राएं शांतिपूर्ण तरीके से आंदोलन कर रही थीं कि छात्र संगठन एबीवीपी से जुड़े कुछ गुंडों ने जय श्रीराम, वंदे मातरम के नारे लगाते हुए उनपर हमला बोल दिया। जानकारी के मुताबिक, इस हमले में लड़कियों को बुरी तरह पीटा गया, भद्दी गालियां व धमकी दी गई। लड़कियों के साथ छेड़खानी, सेक्सुअल हरैसमेंट की और उस दौरान प्राॅक्टर बोर्ड और पुलिस तमाशा देख रही थी। गुंडो ने छात्राओं पर लाठी से भी हमला करने की कोशिश की।
इसके बाद चीफ प्रॉक्टर और गार्डों द्वारा छात्र- छात्राओं पर ठीक पिछले साल की तरह ही बेरहमी से लाठीचार्ज किया गया जिसमें छात्र-छात्राएं गंभीर रूप से घायल हुए है। इस दौरान पत्रकारों से भी गुंडो ने बदसलूकी की।
बीएचयू प्रशासन का महिला विरोधी, छात्र विरोधी रवैया फिर से सामने आया है। अब सवाल यह उठ रहे हैं कि एक घंटे से अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) व अन्य बदमाशों द्वारा कार्यक्रम को रोकने के लिए छात्रों से हाथापाई की जा रही थी तब सुरक्षाकर्मी क्यों मूकदर्शक बने रहे ? इन गुंडो को रोकने के बजाय छात्राओं पर बेरहमी से लाठीचार्ज कैसे किया गया? प्रशासन के इस रवैया से सवाल उठने शुरु हो गए हैं कि क्या छात्राओं पर हमला उनके द्वारा ही प्रायोजित था?