अडानी कम्पनी द्वारा भेजे गए जेसीबी झारखण्ड के गोड्डा ज़िले के पोड़ैयाहाट थाना क्षेत्र के माली गांव में 16 बीघा ज़मीन में लगी धान की फ़सल को तहस-नहस कर दिया और दर्जनों पेड़ उखाड़ दिए. घटना 31 अगस्त 2018 की है.
संघर्ष संवाद की ख़बर के मुताबिक माली गांव के लोगों का कहना है कि उन्होंने अपनी ज़मीन अडानी को नहीं दी है और ना ही देना चाहते हैं. इस सम्बन्ध में न वे किसी जनसुनवाई में शामिल हुए और ना ही उन्हें कोई नोटिस प्राप्त हुआ. शुक्रवार के दिन अचानक ही कम्पनी के कुछ लोग और सैकड़ों की संख्या में पुलिस वाले आ धमके और फसलों को बर्बाद कर दिया. गांव के भगत हेंब्रम ने कहा “हम लोगों ने इसको लेकर उपायुक्त को कई बार आवेदन दिया है. एसपी से फोन से बात किया वो बोलता है थाना में जाकर बात करो. थाना को फोन करते हैं तो थाना हम लोगों की बात नहीं सुनता है अडानी की ही बात सुनता है. हम लोग जान दे देंगे लेकिन जमीन किसी भी शर्त पर जाने नहीं देंगे.” गांव में भारी तनाव का माहौल है.
ग्रामीणों ने राज्यपाल, मुख्यमंत्री, उपायुक्त, भू-अर्जन पदाधिकारी, अंचलाधिकारी सहित तमाम पदाधिकारियों को इसकी लिखित जानकारी भी दी है परन्तु कहीं कोई सुनवाई नहीं हुई. अडानी कम्पनी के अधिकारियों का कहना है कि उनके पास सरकार द्वारा जारी किया जिला प्रशासन का एलपीसी है और उसी एलपीसी के तहत वे ज़मीन पर कब्जा करने की कार्रवाई कर रहे हैं.
घटना का वीडियो भी यूट्यूब पर उपलब्ध है. वीडियो में गांव की महिलाएं कम्पनी के अधिकारियों के पैर पकड़ कर ज़मीन बक्श देने के लिए रोती देखी जा सकती हैं. इस घटना से साफ़ ज़ाहिर होता है कि जनता द्वारा जनता के लिए चुनी सरकार अब अडानी अम्बानी जैसे उद्योगपतियों के इशारों पर काम कर रही है.
संघर्ष संवाद की ख़बर के मुताबिक माली गांव के लोगों का कहना है कि उन्होंने अपनी ज़मीन अडानी को नहीं दी है और ना ही देना चाहते हैं. इस सम्बन्ध में न वे किसी जनसुनवाई में शामिल हुए और ना ही उन्हें कोई नोटिस प्राप्त हुआ. शुक्रवार के दिन अचानक ही कम्पनी के कुछ लोग और सैकड़ों की संख्या में पुलिस वाले आ धमके और फसलों को बर्बाद कर दिया. गांव के भगत हेंब्रम ने कहा “हम लोगों ने इसको लेकर उपायुक्त को कई बार आवेदन दिया है. एसपी से फोन से बात किया वो बोलता है थाना में जाकर बात करो. थाना को फोन करते हैं तो थाना हम लोगों की बात नहीं सुनता है अडानी की ही बात सुनता है. हम लोग जान दे देंगे लेकिन जमीन किसी भी शर्त पर जाने नहीं देंगे.” गांव में भारी तनाव का माहौल है.
ग्रामीणों ने राज्यपाल, मुख्यमंत्री, उपायुक्त, भू-अर्जन पदाधिकारी, अंचलाधिकारी सहित तमाम पदाधिकारियों को इसकी लिखित जानकारी भी दी है परन्तु कहीं कोई सुनवाई नहीं हुई. अडानी कम्पनी के अधिकारियों का कहना है कि उनके पास सरकार द्वारा जारी किया जिला प्रशासन का एलपीसी है और उसी एलपीसी के तहत वे ज़मीन पर कब्जा करने की कार्रवाई कर रहे हैं.
घटना का वीडियो भी यूट्यूब पर उपलब्ध है. वीडियो में गांव की महिलाएं कम्पनी के अधिकारियों के पैर पकड़ कर ज़मीन बक्श देने के लिए रोती देखी जा सकती हैं. इस घटना से साफ़ ज़ाहिर होता है कि जनता द्वारा जनता के लिए चुनी सरकार अब अडानी अम्बानी जैसे उद्योगपतियों के इशारों पर काम कर रही है.