अभी तीन दिन पहले ही ट्राई के चेयरमैन को ट्विटर पर अपने आधार डिटेल्स को ट्विट करके हैकर्स को चैलेंज करने पर मुँह की खानी पड़ी तो कल एन्ड्रायड फोन के सभी यूज़र के कांटेक्ट लिस्ट में भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण "यूआईडीएआई" का हेल्प लाईन नंबर 18003001947 स्वतः ही सेव हो गया जिसकी जानकारी एन्ड्रायड यूज़र को भी नहीं।
भारतीय सुरक्षा एजेन्सीज़ की तत्परता देखिए कि आधार से जुड़े इस मामले को भारत की किसी एजेन्सी ने नहीं बल्कि सबसे पहले तब संज्ञान में आया जब एक फ्रांसीसी सुरक्षा विशेषज्ञ "इलियट एल्डरसन" ने इस संदर्भ में ट्विट किया कि "हेलो यूआईडीएआई , कई लोगों को अपने मोबाईल में आपका फोन नंबर डिफाल्ट मिला है। क्या ये आपकी ओर से किया गया है ?"
हालाँकि कल दिन भर मचे बवंडर के बाद सारी गलती "एन्ड्रायड" के मालिक "गुगल" की निकली और गूगल ने इसके लिए माफी भी माँग ली।
गुगल का स्पष्टीकरण है कि उसने अनजाने में यूआईडीएआई के पुराने टोलफ्री नंबर समेत 112 अन्य हेल्पलाईन नंबर एंड्रायड फोन के सेटअप विज़ार्ड में दर्ज हो गये थे।
समझिए इस खेल को कि आप की निजता किस तरह "आधार" के कारण असुरक्षित है। समझिए इस खेल को कि गुगल की यह कारगुजारी अनजाने में है या जानबूझ कर है जिससे वह आपके और हमारे फोन में सेव सभी डाटा चुराने का प्रयास कर चुका है और अनजाने में की गयी गलती बता कर लीपापोती कर रहा है।
इसे ऐसे समझिए कि यदि वह हमारे आपके फोन के कांटेक्ट लिस्ट में कोई नंबर सेव कर सकता है तो वह हमारे आपके फोन से क्या क्या चुरा सकता है ?
दरअसल इस शक और डर का आधार , आधार से सभी खातों और मोबाईल का लिंक होना है , और मोबाईल नंबर से "आधार" नंबर , आधार नंबर से बैंक खाते , एफडी खाते , क्रेडिट कार्ड , पैन कार्ड , पेंशन खाते इत्यादि इत्यादि के लिंक होने से सभी जानकारी स्वतः ही चुराई जा सकती है।
ताज़ा मामला TRAI के चेयरमैन आर एस शर्मा का ही देख लीजिए कि अपने आधार की जानकारी सार्वजनिक करने और इसके कारण उनकी डीटेल्स प्राप्त करने के चैलेन्ज के बाद हैकर ने उनकी बैंक डिटेल्स उसी आधार कार्ड के नंबर के सहारे हैक कर ली और उनके खाते में ₹1/= ट्रान्सफर करके ट्रांजेक्शन आईडी का स्क्रीनशाट भी उनको थमा दिया।
एथिकल हैकर्स जिसमें एलियट एंडरसन, पुष्पेंद्र सिंह, कनिष्क सजनानी, अनिनार अरविंद और करण सैनी शामिल हैं, ने उनको यह भी बताया कि उनकी 14 जानकारियां लीक हो चुकी हैं।
यह आधार के सहारे हमारे निजता को दुनिया के सामने खोल देने का खेल है यूं है कि यदि आपने क्रेडिट या डेबिट कार्ड से यदि शापिंग की तो आधार के लिंक होने के कारण आपके क्रेडिट या डेबिट कार्ड और फिर उससे खरीद की सारी डीटेल्स किसी को भी आसानी से मिल सकती है और वह पता कर सकता है कि आपके घर में कब क्या बना , किस नंबर की कौन से ब्रांड की चड्ढी बनियान आप पहनते हैं , घर में महिलाओं की किस साईज़ की ब्रा पैन्टी आती है और इससे घर की महिलाओं के शरीर का फिगर भी लीक हो जाएगा और फिर यह भी लीक होगा कि किसी के घर में कितना नैपकीन पैड यूज़ होता है और एक महीने में कितना , कौन सा और किस साईज़ का कंडोम यूज़ होता है।
गूगल ने भी सबके फोन में घुस कर यही किया है।
भारतीय सुरक्षा एजेन्सीज़ की तत्परता देखिए कि आधार से जुड़े इस मामले को भारत की किसी एजेन्सी ने नहीं बल्कि सबसे पहले तब संज्ञान में आया जब एक फ्रांसीसी सुरक्षा विशेषज्ञ "इलियट एल्डरसन" ने इस संदर्भ में ट्विट किया कि "हेलो यूआईडीएआई , कई लोगों को अपने मोबाईल में आपका फोन नंबर डिफाल्ट मिला है। क्या ये आपकी ओर से किया गया है ?"
हालाँकि कल दिन भर मचे बवंडर के बाद सारी गलती "एन्ड्रायड" के मालिक "गुगल" की निकली और गूगल ने इसके लिए माफी भी माँग ली।
गुगल का स्पष्टीकरण है कि उसने अनजाने में यूआईडीएआई के पुराने टोलफ्री नंबर समेत 112 अन्य हेल्पलाईन नंबर एंड्रायड फोन के सेटअप विज़ार्ड में दर्ज हो गये थे।
समझिए इस खेल को कि आप की निजता किस तरह "आधार" के कारण असुरक्षित है। समझिए इस खेल को कि गुगल की यह कारगुजारी अनजाने में है या जानबूझ कर है जिससे वह आपके और हमारे फोन में सेव सभी डाटा चुराने का प्रयास कर चुका है और अनजाने में की गयी गलती बता कर लीपापोती कर रहा है।
इसे ऐसे समझिए कि यदि वह हमारे आपके फोन के कांटेक्ट लिस्ट में कोई नंबर सेव कर सकता है तो वह हमारे आपके फोन से क्या क्या चुरा सकता है ?
दरअसल इस शक और डर का आधार , आधार से सभी खातों और मोबाईल का लिंक होना है , और मोबाईल नंबर से "आधार" नंबर , आधार नंबर से बैंक खाते , एफडी खाते , क्रेडिट कार्ड , पैन कार्ड , पेंशन खाते इत्यादि इत्यादि के लिंक होने से सभी जानकारी स्वतः ही चुराई जा सकती है।
ताज़ा मामला TRAI के चेयरमैन आर एस शर्मा का ही देख लीजिए कि अपने आधार की जानकारी सार्वजनिक करने और इसके कारण उनकी डीटेल्स प्राप्त करने के चैलेन्ज के बाद हैकर ने उनकी बैंक डिटेल्स उसी आधार कार्ड के नंबर के सहारे हैक कर ली और उनके खाते में ₹1/= ट्रान्सफर करके ट्रांजेक्शन आईडी का स्क्रीनशाट भी उनको थमा दिया।
एथिकल हैकर्स जिसमें एलियट एंडरसन, पुष्पेंद्र सिंह, कनिष्क सजनानी, अनिनार अरविंद और करण सैनी शामिल हैं, ने उनको यह भी बताया कि उनकी 14 जानकारियां लीक हो चुकी हैं।
यह आधार के सहारे हमारे निजता को दुनिया के सामने खोल देने का खेल है यूं है कि यदि आपने क्रेडिट या डेबिट कार्ड से यदि शापिंग की तो आधार के लिंक होने के कारण आपके क्रेडिट या डेबिट कार्ड और फिर उससे खरीद की सारी डीटेल्स किसी को भी आसानी से मिल सकती है और वह पता कर सकता है कि आपके घर में कब क्या बना , किस नंबर की कौन से ब्रांड की चड्ढी बनियान आप पहनते हैं , घर में महिलाओं की किस साईज़ की ब्रा पैन्टी आती है और इससे घर की महिलाओं के शरीर का फिगर भी लीक हो जाएगा और फिर यह भी लीक होगा कि किसी के घर में कितना नैपकीन पैड यूज़ होता है और एक महीने में कितना , कौन सा और किस साईज़ का कंडोम यूज़ होता है।
गूगल ने भी सबके फोन में घुस कर यही किया है।