UIDAI: मेरे मुर्गे की एक टांग

Written by Girish Malviya | Published on: August 2, 2018
ट्राई के चीफ RS शर्मा के अपने आधार नम्बर सोशल मीडिया पर शेयर कर चेलेंज देने के बाद जिस तरह से उनकी व्यक्तिगत जानकारियां कुछ ही घण्टो में बाहर आई है उससे UIDAI को थोड़ी शर्म आयी है अब वह कह रही है कि अपना आधार नम्बर किसी सोशल साइट पर शेयर न करे.



लेकिन UIDAI द्वारा यह कोई अनोखी बात नही कही गयी हैं आधार ऐक्ट 2016 के तहत कलेक्ट किया गया कोई भी आधार नंबर या कोर बायोमैट्रिक इनफॉर्मेशन पब्लिक नहीं किया जा सकता और न ही इसे किसी पब्लिक प्लैटफॉर्म पर पोस्ट किया जा सकता है.

तो यह प्रावधान तो पहले से मौजूद हैं बस अब नाक कट गयी है तो UADAI अपनी बची खुची इज्जत की दुहाई दे रही है.

भारत साइबर सिक्यॉरिटी के हिसाब से विश्व के सबसे 10 असुरक्षित देशों में शामिल है। भारत में पिछले दो सालों में लगभग 1000 हजार करोड़ की साइबर ठगी हुई है, जबकि सुरक्षा पर मात्र 10 करोड़ खर्च हुए हैं जो विश्व के दूसरे विकसित देशों के हिसाब से काफी कम है क्या UIDAI ने कभी सरकार से अपील की है कि साइबर सुरक्षा को लेकर नए तरह का कानून बनाया जाए जिसमे आधार से जुड़ी इनफार्मेशन लीक किये जाने पर सजा का प्रावधान किया जाए ?

चार साल इस सरकार को हो गए हैं क्या डिजिटल इंडिया का सुबह शाम भजन करती इस सरकार को इतनी फुर्सत नही मिल पाई कि साइबर सुरक्षा पर एक ठोस कानून का कम से कम ड्राफ्ट ही तैयार कर ले ?

पिछले साल इंडियन एक्सप्रेस की खबर है एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर अभिनव श्रीवास्तव फर्जी Aadhaar e-KYC verification app बना कर UIDAI के डाटा बैंक में सेंध लगाता है और 50 हजार लोगो के डाटा चोरी कर लेता है

दी वायर की एक रिपोर्ट के मुताबिक 2017 में डेटा रिसर्चर श्रीनीवास कोडाली ने थर्ड पार्टी वेबसाइट के द्वारा गलती लीक किए गए 5-6 लाख लोगों के पर्सनल डेटा के बारे में बताया था. इस डेटा में आधार नंबर, नाम, कास्ट, जेंडर और फोटोज शामिल थे. खुद मानव संसाधन विकास मंत्रालय की वेबसाइट से ऐसे डेटा ऐक्सेल शीट आसानी से गूगल के जरिए डाउनलोड की जा सकती थी

बात घूम फिर कर वही आ जाती है UIDAI डाटा सुरक्षित रख नहीं सकती ओर फिर भी अपने मुर्गे की एक टांग पर अड़ी रहती है !

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