UIDAI ने 127 लोगों को नोटिस भेजकर मांगा नागरिकता का सबूत

Written by Sabrangindia Staff | Published on: February 19, 2020
हैदराबाद: तेलंगाना स्थित हैदराबाद के एक निवासी ने यूनिक आईडेंटिफिकेशन अथॉरिटी ऑफ इंडिया (यूआईडीएआई) द्वारा कथित तौर पर उनकी नागरिकता का सबूत मांगे जाने के खिलाफ हाईकोर्ट जाने की तैयारी कर ली है। यूआईएडीआई में पहली सुनवाई पूरी हो जाने के बाद वे यह कदम उठाएंगे। निवासी के बचाव में सामने आने वाले वकीलों के समूह ने दावा किया कि यूआईडीएआई ने 1,000 से अधिक लोगों को ऐसा ही नोटिस भेजा है।



द हिंदू के अनुसार, तालाबकट्टा के भवानी नगर के रहने वाले एक कारपेंटर और ऑटो चालक मोहम्मद सत्तार खान के वकील मुजफ्फर उल्लाह खान ने बताया, ‘खान को आधार के नियम 30 (नामांकन और अपडेटेशन), 2016 नियमन का नोटिस मिला है। उन्हें यह नोटिस 16 फरवरी को उनके घर पर आया।’ धारा 30 कार्ड के निष्क्रियकरण के संबंध में कार्डधारक को सूचना देने से संबंधित है। 

वकील ने कहा, ‘खान एक भारतीय नागरिक हैं। उन्होंने कभी भी देश नहीं छोड़ा। वे यहां पैदा हुए हैं, उनके माता-पिता यहां पैदा हुए हैं। वास्तव में उनके पिता हैदराबाद आलवीन लिमिटेड के लिए काम कर चुके हैं।’

हैदराबाद क्षेत्रीय कार्यालय की उपनिदेशक अमिता बिंद्रू द्वारा हस्ताक्षरित नोटिस में उन्हें कहा गया है कि एक शिकायत में आरोप लगाया गया है कि खान भारतीय नागरिक नहीं थे और झूठे दस्तावेजों के आधार पर उन्होंने आधार कार्ड हासिल किया है।

नोटिस में आगे उन्हें निर्देश दिया गया है कि वे अपनी नागरिकता साबित करने के लिए आवश्यक दस्तावेजों की मूलप्रति लेकर बालापुर स्थित एक फंक्शन हॉल में उपस्थित हों। बालापुर रंगारेड्डी जिले में स्थित है जहां पर रोहिंग्या कैंप है।

नोटिस में खान को निर्देश दिया गया है कि वे साबित करें कि वे देश में कानूनी तौर पर आए थे और अगर वे विदेशी राष्ट्रीयता के हैं तो उनका यहां रहना वैध है। अगर खान उपस्थित होने में विफल होते हैं तो मामले पर स्वत: संज्ञान लिया जाएगा।

वकील ने कहा, ‘यूआईडीएआई के पास किसी भी व्यक्ति को नागरिकता साबित करने के लिए कहने की कोई शक्तियां नहीं हैं। धारा 33 क के तहत वह केवल आधार को निष्क्रिय कर सकता है। हम उप निदेशक के सामने पेश होने जा रहे हैं और आदेश दिए जाने के बाद उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाएंगे।’ वकील ने कहा कि नोटिस पाने वाले दो अन्य लोगों ने उनके संपर्क किया है।

इससे पहले मंगलवार को ‘द एडवोकेट्स जॉइंट एक्शन कमिटी’ ने नोटिस की आलोचना की और नोटिस पाने वाले लोगों को मुफ्त कानूनी सहायता देने की घोषणा की। कमिटी के संयोजक मोहम्मद वली-उर रहमान ने कहा, ‘एक बार जब हमें इस नोटिस का पता चला, तो हमने अपनी पूछताछ शुरू की। दर्जनों लोगों ने हमें फोन करना शुरू किया, यही कारण है कि हम कह सकते हैं कि लगभग 1,000 नोटिस भेजे गए हैं। लोग बाहर आने से डरते हैं, यही वजह है कि हम मुफ्त कानूनी सहायता और प्रतिनिधित्व दे रहे हैं।’

वहीं, एक बयान जारी करते  हुए यूआईडीएआई ने कहा कि आधार का नागरिकता से कोई लेना-देना नहीं है। उसने कहा कि यूआईडीएआई के हैदराबाद स्थित क्षेत्रीय कार्यालय को पुलिस से जानकारी मिली कि 127 लोगों ने झूठी दावों के आधार पर आधार हासिल कर लिया क्योंकि वे अवैध प्रवासी के रुप में पकड़े गए थे। ऐसे आधार नंबर रद्द करने योग्य होते हैं। इसलिए, क्षेत्रीय कार्यालय ने उन्हें 20 फरवरी को उपनिदेशक के समक्ष पेश होने को कहा है। चूंकि उन्हें मूल दस्तावेजों को जुटाने में समय लगेगा इसलिए यूआईडीएआई ने सुनवाई की तारीख मई तक के लिए बढ़ा दी है।

 

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