हाजी इकबाल पर अनुचित गैंगस्टर एक्ट सहारनपुर के विकास और शोषित-बहुजनों पर हमला है

Written by खालिद अनीस अंसारी | Published on: July 30, 2018
बसपा के पूर्व एमएलसी और नेता हाजी इकबाल, उनके भाई एमएलसी महमूद अली और दो बेटों को उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार ने 23 जुलाई को गैंगस्टर एक्ट के तहत निरुद्ध कर दिया एवं पुत्र जावेद अली को गिरफ्तार कर लिया. क्षेत्र के सभी लोग जानते हैं कि हाजी इकबाल कोई बाहुबली नेता नहीं हैं और हत्या,अपहरण या डकैती जैसे अपराध से उनका दूर-दूर तक कोई संबंध नहीं है. खनन के विवादों को लेकर वह ज़रूर चर्चा में रहे हैं मगर इसके साथ-साथ अपने खिलाफ हुए केसों को मजबूती के साथ वह कोर्ट में चुनौती दे रहे हैं.



जहां सहारनपुर जैसे पिछड़े इलाक़े में अंतर्राष्ट्रीय स्तर की ग्लोकल यूनिवर्सिटी खोलने के लिए राज्य सरकार को उन्हें शैक्षिक उत्थान और समाज सेवा के लिए सम्मानित करना चाहिए था वहीं पर उन के ऊपर इस प्रकार की राजनीतिक घेराबंदी अति निंदनीय है. मगर आज की परिस्थितियों में विरोधियों से ऐसी राजनीतिक बड़प्पन की उम्मीद करना बेमानी है. राजनीतिक पार्टियां अक्सर गैंगस्टर एक्टको अपने विरोधियों के खिलाफ इस्तेमाल करती रही हैं. प्रदेश भाजपा सरकार ने भी बसपा के वरिष्ठ नेता के साथ ऐसा ही किया है. हाजी इकबाल और उनके परिवार के सदस्यों के खिलाफ लगा गैंगस्टर एक्टएक राजनीतिक साजिश है और इसका कठोर विरोध होना चाहिए. 

एक गरीब और पिछड़ी-पसमांदा बिरादरी में जन्मे हाजी इकबाल ने बचपन से ही अशिक्षा का दंश झेला है. इसी कारण समृद्धि आने के बाद जहां कुछ लोग होटल या बड़ा व्यापार खोलने की सोचते हैं वहीं उनहोंने क्षेत्र में एक आधुनिक शैक्षिक संस्थान खोल के अशिक्षा और बेरोजगारी के खिलाफ युद्ध का बिगुल बजा दिया. आज उनका ट्रस्ट ग्लोकल स्कूल की स्थापना कर के अंग्रेज़ी मीडियम में क्षेत्र के बच्चों को नर्सरी से इंटर्मीडियट तक की पढ़ाई उपलब्ध करा रहा है. उच्च शिक्षा के लिए 350 एकड़ में फैली ग्लोकल यूनिवर्सिटीमेडिकल, विधि, फ़ार्मेसी, इंजीनियरिंग, मैनेजमेंट आदि डिपार्टमेंटों में 50 से ज़्यादा कोर्स चलाती है. ग्लोकल अस्पताल में सस्ते दरों में क्षेत्र के लोगों का इलाज होता है. 


ग्लोकल यूनिवर्सिटी जहां एक ओर मेरिट और उच्च स्तर की रिसर्च पर समझौता नहीं करती वहीं सामाजिक न्याय और वंचित समाज का भी पूरा खयाल रखती है. तकरीबन 30 प्रतिशत छात्रों की फीस में छूट है और वंचित-बहुजन समाज के छात्र उच्च शिक्षा के छेत्र में कदम रख पा रहे हैं. हाल ही में ग्लोकल यूनिवर्सिटी में डॉ अंबेडकर सेंटर फॉर एक्सक्लूजन स्टडीस एंड ट्रांसफोरमेटिव एक्शन (ACESTA) की नींव रखी गई जिसके तहत फ़ैकल्टि छेत्र की गरीबी और पिछड़ेपन पर शोध कर रही है. 

आगामी 15 अगस्त को ‘जोतिबा फुले स्कॉलरशिप’ का ऐलान होना है जिसके तहत सर्वसमाज के 100 मेधावी परंतु गरीब परिवार के  छात्र-छात्राएँ लाभान्वित होंगे. इस स्कीम में फ्री ट्यूशन फीस के साथ-साथ बेहद सस्ता हॉस्टल और खाना शामिल हैं. 

यूनिवर्सिटी में एग्रिकल्चर के क्षेत्र में कई प्रोजेक्ट्स पर काम चल रहा है जिस से आने वाले दिनों में क्षेत्र के किसान और फल-पट्टी से जुड़े लोग लाभान्वित होंगे. ग्लोकल यूनिवर्सिटी के कारण क्षेत्र के लोगों को रोजगार मिला है और लोकल मार्केट का विस्तार हुआ है. यूनिवर्सिटी के करीब मिर्ज़ापुर और बादशाहीबाग जैसे कस्बों में छात्रों और फ़ैकल्टि की जरूरतों को पूरी करने के लिए कई नई दुकाने, ढाबे, हॉस्टल इत्यादि खुले हैं एवं ज़मीन के दर बढ़े हैं. 

ऐसे में हाजी इकबाल पर लगाया गया गैंगस्टर एक्ट सहारनपुर क्षेत्र के विकास के लिए बुरी खबर है. जहां भाजपा सरकार सिर्फ विकास की जुमलेबाज़ी करती है वहीं हाजी इकबाल ने विकास के क्षेत्र में ठोस काम किया है. जहां उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार ने उच्च शिक्षा का बजट घटाया है वहीं ग्लोकल यूनिवर्सिटी ने बिना सरकारी मदद के छेत्र के लोगों के लिए शिक्षा और रोजगार का प्रबंध किया है.

यूनिवर्सिटी पूरी तरह से आधुनिक और प्रगतिशील है और अपने उपकुलपति प्रोफेसर श्री बंसी लाल रैना की लीडरशिप में आगे बढ़ रही है.ऐसी स्थितिमें तमाम नागरिक और सामाजिक संगठनों, सामाजिक न्याय और सेकुलरिस्म को समर्पित राजनीतिक पार्टियों और इंसाफपसंद लोगों को इस राजनीतिक नाइंसाफी के खिलाफ खड़ा होना चाहिए. 

इस संदर्भ में जहां काँग्रेस और लोक दल से समर्थन की आवाज़ें आना शुरू हुई हैं वहीं बसपा की खामोशी हैरान करने वाली है. ज्ञात रहे की 23 जुलाई को जब हाजी इकबाल और परिवार पर गैंगस्टर एक्टलगा था तब बसपा के प्रदेश अध्यक्ष श्री आर. एस. कुशवाहा सहारनपुर में ही दो दिवसीय सम्मेलन में शिरकत कर रहे थे. मगर अफसोस की उन्होंने एक शब्द भी अपनी ही पार्टी के एमएलसी के समर्थन में नहीं बोला. बहन मायावती की भी खामोशी दुखदायी है. जब दूसरी पार्टियां समर्थन में उतर रही हों तो अपनी ही पार्टी का सौतेला व्यवहार अत्यंत पीड़ादायक है. 

अगर राजनीतिक द्वेष के कारण हाजी इकबाल को सरकारी तंत्र घेरेगा तो इस से हर उस व्यक्ति का मनोबल टूटेगा जो विकास के लिए काम करना चाहता है. प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी लगातार ‘नामदार’ लोगों की जगह ‘कामदार’ लोगों की वकालत करते रहे हैं. उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार ने एक गरीब-पसमांदा परिवार में जन्मे ‘कामदार’ व्यक्ति को अतिउत्साह और सत्ता की घमंड में घेर कर एक ऐसा संदेश दिया है जो 2019 में उस के ऊपर भारी पड़ सकता है. हाजी इकबाल पर हमला छेत्र के विकास और शोषित-बहुजनों पर हमला है. भाजपा आत्मनिरीक्षण करे.        

[ये लेखक के निजी विचार हैं. वे ग्लोकल यूनिवर्सिटी में समाजशास्त्र के प्रोफेसर हैं औरडॉ अंबेडकर सेंटर फॉर एक्सक्लूजन स्टडीस एंड ट्रांसफोरमेटिव एक्शन (ACESTA) के निदेशक हैं]

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