छत्तीसगढ़ को केंद्र ने खाद्य सुरक्षा कानून लागू करने में ढिलाई बरतने पर फटकार लगाई है। राज्य के खाद्य एवं औषधि विभाग को कानून के तहत सभी जिलों में अधिकारी नियुक्त करने थे, लेकिन उसने केवल 2 अधिकारियों को ही सारे 27 जिलों की कमान सौंपकर औपचारिकता पूरी कर ली थी। इस लापरवाही पर केंद्रीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण ने राज्य सरकार को फटकार लगाई है।
केंद्रीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण के सीईओ ने छत्तीसगढ़ के मुख्य सचिव को पत्र लिखकर कहा है कि राज्य में स्थिति बिलकुल उत्साहजनक नहीं है और 27 जिलों और 146 ब्लॉक में केवल दो अभिहित अधिकारी और 58 खाद्य सुरक्षा अधिकारी तैनात किए गए हैं।
नईदुनिया के मुताबिक, सीईओ पवन अग्रवाल ने लिखा है कि छत्तीसगढ़ में 30 अभिहित अधिकारी और 112 पूर्णकालिक खाद्य सुरक्षा अधिकारी होने चाहिए और कर्मचारियों की कमी राज्य सरकार की लापरवाही है।
छत्तीसगढ़ राज्य वित्त आयोग के पूर्व अध्यक्ष वीरेंद्र पांडेय ने भी इस मामले को गंभीर बताया है। पांडेय ने आरोप लगाया है कि दोनों अभिहित अधिकारियों की नियुक्ति भी नियमों का उल्लंघन करते हुए की गई है। उन्होंने काह कि अजय शंकर कन्नौजे और अश्विनी देवांगन को 2016 में प्रतिनियुक्ति दी
गई थी और उसके बाद विभाग से एनओसी के बिना ही इनकी प्रतिनियुक्ति जारी रखी जा रही है। दोनों अधिकारियों तीन-तीन महीने के लिए सेवा विस्तार दिया जाता है।
दरअसल प्रदेश में अभिहित अधिकारी और खाद्य सुरक्षा अधिकारी के 112 पद मंजूर हैं, लेकिन विभाग के अफसरों की लापरवाही और सरकार की अनदेखी के कारण इनकी नियुक्ति नहीं हो पा रही है।
केंद्र सरकार ने 2011 में खाद्य सुरक्षा कानून लागू किया था और अधिकारियों की नियुक्ति के लिए 5 साल का समय दिया था।
इसके पहले छत्तीसगढ़ सरकार ने खाद्य सुरक्षा अपीलीय प्राधिकरण को भी मंजूरी देने में 7 साल लगा दिए थे, जबकि हाईकोर्ट ने प्राधिकरण के गठन का आदेश दे दिया था। 2010 में शुरु हुई ये प्रक्रिया सात साल में पूरी हो सकी थी।
छत्तीसगढ़ सरकार पर खाद्य सुरक्षा कानून का पालन न करने का आरोप लंबे समय से लगता आ रहा है लेकिन सरकार ने इसकी कभी कोई परवाह नहीं की। इस राज्य में राशन कार्ड घोटाला भी काफी चर्चित रहा लेकिन बाद में मामला रफा-दफा कर दिया गया।
कांग्रेस का कहना रहा है कि रमन सिंह पीडीएस का देश में सबसे सफल मॉडल होने का दावा करते हैं, लेकिन उनके पास इस बात का जवाब नहीं है कि 56 लाख परिवार वाले राज्य में 72 लाख परिवारों के राशन कार्ड कैसे बन गए।
केंद्रीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण के सीईओ ने छत्तीसगढ़ के मुख्य सचिव को पत्र लिखकर कहा है कि राज्य में स्थिति बिलकुल उत्साहजनक नहीं है और 27 जिलों और 146 ब्लॉक में केवल दो अभिहित अधिकारी और 58 खाद्य सुरक्षा अधिकारी तैनात किए गए हैं।
नईदुनिया के मुताबिक, सीईओ पवन अग्रवाल ने लिखा है कि छत्तीसगढ़ में 30 अभिहित अधिकारी और 112 पूर्णकालिक खाद्य सुरक्षा अधिकारी होने चाहिए और कर्मचारियों की कमी राज्य सरकार की लापरवाही है।
छत्तीसगढ़ राज्य वित्त आयोग के पूर्व अध्यक्ष वीरेंद्र पांडेय ने भी इस मामले को गंभीर बताया है। पांडेय ने आरोप लगाया है कि दोनों अभिहित अधिकारियों की नियुक्ति भी नियमों का उल्लंघन करते हुए की गई है। उन्होंने काह कि अजय शंकर कन्नौजे और अश्विनी देवांगन को 2016 में प्रतिनियुक्ति दी
गई थी और उसके बाद विभाग से एनओसी के बिना ही इनकी प्रतिनियुक्ति जारी रखी जा रही है। दोनों अधिकारियों तीन-तीन महीने के लिए सेवा विस्तार दिया जाता है।
दरअसल प्रदेश में अभिहित अधिकारी और खाद्य सुरक्षा अधिकारी के 112 पद मंजूर हैं, लेकिन विभाग के अफसरों की लापरवाही और सरकार की अनदेखी के कारण इनकी नियुक्ति नहीं हो पा रही है।
केंद्र सरकार ने 2011 में खाद्य सुरक्षा कानून लागू किया था और अधिकारियों की नियुक्ति के लिए 5 साल का समय दिया था।
इसके पहले छत्तीसगढ़ सरकार ने खाद्य सुरक्षा अपीलीय प्राधिकरण को भी मंजूरी देने में 7 साल लगा दिए थे, जबकि हाईकोर्ट ने प्राधिकरण के गठन का आदेश दे दिया था। 2010 में शुरु हुई ये प्रक्रिया सात साल में पूरी हो सकी थी।
छत्तीसगढ़ सरकार पर खाद्य सुरक्षा कानून का पालन न करने का आरोप लंबे समय से लगता आ रहा है लेकिन सरकार ने इसकी कभी कोई परवाह नहीं की। इस राज्य में राशन कार्ड घोटाला भी काफी चर्चित रहा लेकिन बाद में मामला रफा-दफा कर दिया गया।
कांग्रेस का कहना रहा है कि रमन सिंह पीडीएस का देश में सबसे सफल मॉडल होने का दावा करते हैं, लेकिन उनके पास इस बात का जवाब नहीं है कि 56 लाख परिवार वाले राज्य में 72 लाख परिवारों के राशन कार्ड कैसे बन गए।