छत्तीसगढ़ में परेशान किसानों का गुस्सा बेकाबू होने लगा है। हालांकि चुनाव नजदीक है और उनके पास किसानों की अनदेखी करने वाली रमन सिंह की भाजपा सरकार को सबक सिखाने का मौका आने वाला है, लेकिन किसानों की परेशानियां इतनी ज्यादा है कि वो अब ही धरना-प्रदर्शन करने पर उतारू हो गए हैं।
जांजगीर-चांपा में तो सिंचाई सुविधा न मिलने से परेशान किसानों ने कलेक्ट्रेट का भी घेराव कर डाला। किसानों का कहना है कि जिले में 88 प्रतिशत रकबे में सिंचाई सुविधा के लिए नहरों का जाल फैला है, लेकिन खेतों को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है और किसान सूखे की मार झेल रहे हैं।
किसान इस हालात के लिए मुख्यमंत्री रमन सिंह सरकार और उनके अफसरों की लापरवाही को दोषी मानते हैं। नहरें टूटी-फूटी हैं जिसके कारण किसानों को पानी नहीं मिल पा रहा है।
किसानों की दिक्कत ये है कि सिंचाई के लिए नहरों में भरपूर पानी होने के बावजूद, ये पानी खेतों तक नहीं पहुंच पा रहा है और हेड एरिया में ही फैल जाता है। हेड एरिया के किसान तो सिंचाई कर लेते हैं, लेकिन अंतिम छोर के किसानों को पानी नहीं मिल पा रहा है।
कुरियारी के परेशान किसान 3 ट्रैक्टरों में सवार होकर कलेक्ट्रेट पहुंचे और पानी की समस्या से संबंधित अपनी मांगों का ज्ञापन कलेक्टर को सौंपा।
पत्रिका की रिपोर्ट के अनुसार, किसानों ने सिंचाई विभाग के कार्यपालन अभियंता कार्यालय का भी घेराव किया। कार्यपालन अभियंता ने किसानों को नहरों में पानी की धार बढ़ाने आश्वासन दिया जिसके बाद किसान वापस लौटे।
जांजगीर-चांपा में तो सिंचाई सुविधा न मिलने से परेशान किसानों ने कलेक्ट्रेट का भी घेराव कर डाला। किसानों का कहना है कि जिले में 88 प्रतिशत रकबे में सिंचाई सुविधा के लिए नहरों का जाल फैला है, लेकिन खेतों को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है और किसान सूखे की मार झेल रहे हैं।
किसान इस हालात के लिए मुख्यमंत्री रमन सिंह सरकार और उनके अफसरों की लापरवाही को दोषी मानते हैं। नहरें टूटी-फूटी हैं जिसके कारण किसानों को पानी नहीं मिल पा रहा है।
किसानों की दिक्कत ये है कि सिंचाई के लिए नहरों में भरपूर पानी होने के बावजूद, ये पानी खेतों तक नहीं पहुंच पा रहा है और हेड एरिया में ही फैल जाता है। हेड एरिया के किसान तो सिंचाई कर लेते हैं, लेकिन अंतिम छोर के किसानों को पानी नहीं मिल पा रहा है।
कुरियारी के परेशान किसान 3 ट्रैक्टरों में सवार होकर कलेक्ट्रेट पहुंचे और पानी की समस्या से संबंधित अपनी मांगों का ज्ञापन कलेक्टर को सौंपा।
पत्रिका की रिपोर्ट के अनुसार, किसानों ने सिंचाई विभाग के कार्यपालन अभियंता कार्यालय का भी घेराव किया। कार्यपालन अभियंता ने किसानों को नहरों में पानी की धार बढ़ाने आश्वासन दिया जिसके बाद किसान वापस लौटे।