इंदौर। जेएनयू के पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और आरएसएस पर जमकर निशाना साधा। उन्होने धर्म और जाति के नाम पर देशवासियों को बांटने के खिलाफ और देश को बचाने की जंग का ऐलान किया। कन्हैया ने केंद्र और राज्य सरकार के साथ ही आरएसएस को भी खुली चुनौती दी कि उन्हें और उनसे जुड़े मुठ्ठीभर युवाओं को रोक सको तो रोक लो। कन्हैया आनंद मोहन माथुर सभाग्रह में हमारे समय की चुनौतियां और हमारी भूमिका विषय पर संबोधित कर रहे थे। हिंदूवादी संगठनों के तमाम विरोध के बावजूद पुलिस प्रशासन की कड़ी सुरक्षा और लाठीचार्ज के बाद उनका कार्यक्रम हो पाया।
मुख्य बातें-
कन्हैया ने कहा कि आज आजाद भारत में हर किसी को अपनी बात रखने का अधिकार है लेकिन सरकार अपने खिलाफ एक भी शब्द सुनने का साहस नहीं रखती। इसीलिए कुछ भाड़े के लोगों को भेजकर उन्हें डराने और मुंह काला करने की धमकी दी जाती है लेकिन हमारे रगों में लाल रंग हैं और हम काली कालिख से नहीं डरते।
उन्होने कहा, इस देश में हमें सरकार से सवाल पूछने से कोई नहीं रोक सकता, जहां गलत होगा, हम सवाल पूछेंगे और सरकार को जवाब देना होगा। आज केंद्र में राज्य में शहर में सब जगह आपकी सरकार है, फिर भी हम इंदौर में प्रोग्राम कर रहे हैं। देश के संविधान निर्माता बाबा साहब डॉ. अंबेडकर ने जो अधिकार हर इंसान को दिए, ये उस संविधान को सरकार बदल नहीं सकती।
कन्हैया ने कहा कि कुत्ते को घी नहीं बचता हमारे यहां..सत्ता में आये हैं, अपना रंग दिखा रहे हैं। हम भारत के लोग हैं.. आरएसएस का कौ सा व्यक्ति है जो फांसी चढ़ा हो, बता दीजिए। कन्हैया ने विनायक सावरकर और नाथूराम गोडसे की विचारधारा को अपनाने वाली आरएसएस को जमकर आड़े हाथ लिया। साथ ही राम के नाम पर, गाय के नाम पर फैलाई जा रही अराजकता को भी सरकार की कायरता का परिणाम बताया।
कन्हैया ने कहा कि हम देश को तोड़ने का प्रयास नहीं कर रहे हैं, बल्कि देश बचाने का काम कर रहे हैं। देश तोड़ने का काम संसद में हो रहा है। सच बोलने का केवल साहस किया है, सवाल पूछा है। वो हमसे इतने डरे हैं कि देश के लोगों ही कभी आतंकवादी कभी देशद्रोही कभी पाकिस्तानी बताते हैं।
कन्हैया के मुताबिक उन्होने जेएनयू में कभी देश विरोधी नारे नहीं लगाए। सरकार के इशारे पर पुलिस प्रशासन ने उन्हें गिरफ्तार तो कर लिया लेकिन कोर्ट के सामने वे इस बात को साबित नहीं कर पाए कि वहां कोई देश विरोधी नारे लगाए गए।
उन्होने कहा, हम सीना ठोंक के कहते हैं कि जेएनयू में नारे लगते हैं लेकिन देश विरोधी नहीं, बल्कि देश को जोड़ने और कमजोरों की आवाज उठाने के लिए नारे लगाए जाते हैं। जब रोहित वेमुला के साथ गलत होता है तब नारे लगते हैं, जब जुनैद के साथ गलत होता है तब नारे लगाते हैं, जब किसान के साथ गलत होता है तब नारे लगाते हैं। जब बेकसूरों पर जुल्म होता है तब नारे लगाते हैं..और आगे भी लगते रहेंगे।
साभार: नेशनल दस्तक
- जेएनयू के छात्र संघ अध्यक्ष का भाजपा, आरएसएस और पीएम मोदी पर निशाना
- कन्हैया ने कहा- गाय के नाम पर फैलाई जा रही है अराजकता
- कन्हैया ने कहा-सीना ठोंक कर कहते हैं कि जेएनयू में लगते हैं नारे
कन्हैया ने कहा कि आज आजाद भारत में हर किसी को अपनी बात रखने का अधिकार है लेकिन सरकार अपने खिलाफ एक भी शब्द सुनने का साहस नहीं रखती। इसीलिए कुछ भाड़े के लोगों को भेजकर उन्हें डराने और मुंह काला करने की धमकी दी जाती है लेकिन हमारे रगों में लाल रंग हैं और हम काली कालिख से नहीं डरते।
कन्हैया ने कहा कि हम देश को तोड़ने का प्रयास नहीं कर रहे हैं, बल्कि देश बचाने का काम कर रहे हैं। देश तोड़ने का काम संसद में हो रहा है। सच बोलने का केवल साहस किया है, सवाल पूछा है। वो हमसे इतने डरे हैं कि देश के लोगों ही कभी आतंकवादी कभी देशद्रोही कभी पाकिस्तानी बताते हैं।
कन्हैया के मुताबिक उन्होने जेएनयू में कभी देश विरोधी नारे नहीं लगाए। सरकार के इशारे पर पुलिस प्रशासन ने उन्हें गिरफ्तार तो कर लिया लेकिन कोर्ट के सामने वे इस बात को साबित नहीं कर पाए कि वहां कोई देश विरोधी नारे लगाए गए।
उन्होने कहा, हम सीना ठोंक के कहते हैं कि जेएनयू में नारे लगते हैं लेकिन देश विरोधी नहीं, बल्कि देश को जोड़ने और कमजोरों की आवाज उठाने के लिए नारे लगाए जाते हैं। जब रोहित वेमुला के साथ गलत होता है तब नारे लगते हैं, जब जुनैद के साथ गलत होता है तब नारे लगाते हैं, जब किसान के साथ गलत होता है तब नारे लगाते हैं। जब बेकसूरों पर जुल्म होता है तब नारे लगाते हैं..और आगे भी लगते रहेंगे।
साभार: नेशनल दस्तक