आप किन आतंकियों को ढूंढ रहे हैं? ये आतंकी खुले घूम रहे हैं..

Written by मयंक सक्सेना | Published on: February 23, 2016

मैं यह आलेख रवीश कुमार और उनके अद्भुत प्राइम टाइम शो के लिए लिख रहा था, लेकिन रवीश से माफी मांगते हुए, ये वादा कर रहा हूं कि उनके ऊपर (अच्छा-बुरा-अनुभव-यादें सब) लिखा गया लेख भी जल्दी ही सामने होगा, फिलहाल आज तक-इंडिया टुडे द्वारा किए गए दिल्ली के तीन आतंकियों के स्टिंग ऑपरेशन पर लिखना ज़्यादा ज़रूरी हो चला है। जिन आतंकियों के बारे में यह स्टिंग ऑपरेशन और मेरा लेख बात करेगा, वे दिल्ली की अलग-अलग अदालतों में काम करते हैं। इनके नाम-शक्ल आप पहचानते ही हैं, इनकी आंखों और दिल में जो नफ़रत और वहशत है, उसके बारे में इस स्टिंग को देख कर, आप जान जाएंगे और इनके कपड़े वकीलों की तरह हैं। लेकिन यकीन मानिए, ये वकील नहीं हैं, जो संविधान सम्मत न्याय के लिए लड़ते हों, ये तीनों ठीक उन भाड़े के गुंडो के जैसे ही नकली वकील हैं, जिन को यह नकली वकील बना कर, अदालत के परिसर में हिंसा करने के लिए लाते हैं।



समाचार चैनल आज तक की स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम ने जब तीन स्वघोषित और डिग्री प्राप्त वकीलों, विक्रम सिंह चौहान, ओम शर्मा और यशपाल सिंह से छिपे हुए कैमरे के साथ मुलाक़ात की, तो इनके अंदर का ज़हर, पागलपन और दुस्साहस सामने आ गया। इनकी भाषा और बात सुनते हुए, इनके लिए दिल में आतंकवादी के अलावा कोई शब्द नहीं आया। सवाल भी उभरे...लेकिन सवालों पर बात बाद में, पहले बात इस पर कि इन तीनों ने क्या कहा?

http://aajtak.intoday.in/video/exclusive-sting-operation-patiala-house-o...

(For an English transcript of what the rogue lawyers said during the sting operation, click here: http://indiatoday.intoday.in/story/exclusive-kanhaiya-wet-his-pants-whil...)

विक्रम सिंह चौहान को तो लगभग हम सभी जानते ही हैं, ये वही वकील है, जिसने लगातार दो दिन तक पटियाला हाउस अदालत में पत्रकारों और कन्हैया समेत जेएनयू के अध्यापकों और वाम दलों के नेताओं के साथ मारपीट की। इसने व्हॉट्सएप और फेसबुक के ज़रिए अदालत में वकीलों की हिंसक भीड़ इकट्ठी की। लेकिन इसने जो किया, वह पूरी तरह तो आपको पता ही नहीं है, इसकी बातों को सुनिए और अंदाज़ा लगाइए कि आखिर यह वकील है या फिर अपराधी? विक्रम सिंह चौहान, आज तक के अंडर कवर पत्रकार से कहता है,




“हमने कन्हैया कुमार को उस दिन तीन घंटे पीटा. उसको बोला. बोल भारत माता की जय. और उसने बोला. न बोलता तो मैं जाने नहीं देता. इतना मारा कि उसने पैंट में पेशाब कर दी. इस दौरान पुलिस ने हमें सपोर्ट किया. कोई भी हिंदुस्तानी करता. कुछ सिपाही और सीआरपीफ के लोग खड़े थे. वे भी बोले. सर गुड सर.

पटियाला हाउस कोर्ट में ज्यादा वकील नहीं होते. 100-150 होते हैं. उनमें से आधे तो चालान में ही लगे रहते हैं. हमने तो बम का सोच रखा था. बुला रखे थे द्वारका और रोहिणी से लोग. इसके लिए फेसबुक पर लिखा लगातार.

अब हम कुछ और बड़ा करेंगे. प्लानिंग करके करेंगे. खुदीराम बोस 17 साल का था. भगत सिंह 23 के भी नहीं थे. हम भी करेंगे.”

सबसे पहले, ज़रा बीच के हिस्से पर ग़ौर कीजिए...ये कह रहा है कि इसने द्वारका और रोहिणी (दिल्ली के उपनगर) से बम फेंकने के लिए लड़के बुला रखे थे। आपको अंदाज़ा है कि यह वकील कितनी आपराधिक स्वीकारोक्ति कर रहा है? ज़रा सोचिए कि आखिर किस तरह की आतंकी तैयारी है, इन आत्मघोषित राष्ट्रभक्तों की? यह व्यक्ति अपने आपराधिक कृत्य के लिए भगत सिंह की दुहाई देता है, जबकि इसकी बात और हरक़तों ही नहीं, इसके राजनैतिक झुकाव और सोच से भी ज़ाहिर है कि इसने भगत सिंह का लिखा एक शब्द भी कभी नहीं पढ़ा होगा।

अब ज़रा शुरुआती हिस्सा पढ़िए, यह कन्हैया कुमार को पटियाला हाउस अदालत के अंदर कई घंटे और कई बार पीटने की बात कुबूल करता है। यह कोई सड़क पर हुई मारपीट नहीं है, बल्कि अदालत के अंदर, सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद की गई हिंसा का मामला है, जो बेहद संगीन धाराओं के अंतर्गत आता है। और तो और, यह साफ कर रहा है कि पुलिस का इनको पूरा सहयोग था। यानी कि दिल्ली के पुलिस कमिश्नर बी एस बस्सी के दावों की भी ये धज्जियां उड़ा रहा है।

लेकिन सबसे ख़तरनाक़ बात है, इसके बयान का तीसरा हिस्सा, जिसमें यह कुछ बड़ा और योजनाबद्ध करने की बात कर रहा है। बिना योजना के जो, सैकड़ों गुंडों की हिंसक भीड़ खड़ी कर दे, जो अदालत के परिसर में देश के कानून और संविधान की धज्जियां उड़ा दे, और तो और जो व्यक्ति बम मारने वालों को अदालत परिसर में बुला ले, वह जब कुछ योजनाबद्ध तरीके से करने की साज़िश कर रहा हो, तो यह कितना भयंकर आतंकवादी कृत्य होगा, ज़रा सोच कर देखिए...

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