संस्कृति

August 4, 2017
आजकल जब समाचार देखते हैं तो विश्वास ही नहीं होता कि ये इक्कीसवीं सदी के भारत में हो रही घटनाओं का समाचार है! आजकल राजस्थान और उत्तर प्रदेश के कोने कोने में अफवाह फैल गई कि कोई अनजान साया, प्रेतात्मा, डायन या दैविक शक्ति, सोती हुई औरतों की चोटियाँ काट रही हैं, कहीं कहीं तो ये अफवाह भी फैल रही है, कि जिनकी चोटी काटी जा रही है उनकी मृत्यु भी हो जाती है. हद तो ये है कि उत्तर प्रदेश के गाँव में...
August 4, 2017
लिंच काल...यह लिंच काल है, लिंच काल की शुरुआत भारत में 2013 के शुरुआती दिनों में हुई...धर्मवीर भारती के कालजयी काव्य नाटक 'अंधा युग' की स्थापना के शब्दों में माफ़ी के साथ व्यंग्यपूर्ण खिलवाड़ करते हुए कहें, तो  जिस युग का वर्णन इस कृति में है उसके विषय में किसी पुराण में कहा है : ततश्चानुदिनमल्पाल्प ह्रास व्यवच्छेददाद्धर्मार्थयोर्जगतस्संक्षयो भविष्यति।’ उस भविष्य...
August 1, 2017
क्या ये प्रेमचंद हमारे जमाने की जरूरत नहीं हैं? वैसे, हमारे वक्त में प्रेमचंद का क्या काम? जाहिर है, ऐसा लग सकता है।  प्रेमचंद का इंतकाल 1936 में यानी आज से 81 साल पहले हुआ था। जो भी लिखा 81 साल पहले ही लिखा। उस वक्त देश गुलाम था। अंग्रेजों का राज था। आजादी की लड़ाई तरह-तरह से लड़ी जा रही थी। आँखों में नया भारत बनाने का ख्वाब था। जाहिर है, उस वक्त की समाजी-सियासी जरूरत कुछ और ही रही...
July 11, 2017
अहमदाबाद को भारत का पहला ‘विरासत शहर’ घोषित किए जाने पर गुजरात के मुख्यमंत्री जश्न मना रहे हैं। ये भीड़तंत्र का शासन था जब उनकी पार्टी के नेतृत्व में साल 2002 के कुछ ही दिनों में गुजरात के 270 ऐसे प्रतीकों और भारतीय धार्मिक समरूपता को नष्ट करने की अनुमति दी गई थी। The Rani Sipri Mosque in Ahmedabad: Wikimedia Commons 8 जुलाई को प्रकाशित द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक अहमदाबाद...
June 23, 2017
संस्कृति हमारे जीवन का एक अत्यंत चित्ताकर्षक हिस्सा होता है। संस्कृति को समझने के लिए हमें लोगों के जीवन जीने के तरीके और उनकी खानपान की आदतों, उनकी वेशभूषा, उनके संगीत, उनकी भाषा, उनके साहित्य, उनकी वास्तुकला और उनके धर्म को समझना होता है। हमारे जैसे बहुवादी और विविधवर्णी देश की संस्कृति, एक ‘मोज़ेक’ की तरह है और यह मोजे़क हमें हमारी संस्कृति की जटिलताओं को समझने में मदद कर सकता है।...
June 10, 2017
विभिन्न समुदायों को धार्मिक आधार पर ध्रुवीकृत करना और हिन्दू समुदाय में नीची जातियों का निम्न दर्जा बनाए  रखना, हिन्दू राष्ट्रवाद का प्रमुख एजेंडा है। इसी एजेंडे के तहत, मुस्लिम राजाओं को विदेशी आक्रांताओं के रूप में प्रस्तुत कर उनका दानवीकरण किया जाता रहा है। यह भी कहा जाता है कि उन्होंने भारत के लोगों को जबरदस्ती मुसलमान बनाने का प्रयास किया और इसी के नतीजे में, जाति प्रथा अस्तित्व...
June 10, 2017
कॉरपोरेट मीडिया और पत्रकारों का एक बड़ा गर्व मोदी और उनकी सरकार का घोषित प्रवक्ता बन गया है। जो गिने-चुने मीडिया घराने और पत्रकार सवाल उठा रहे हैं उनका मुंह बंद करने की कोशिश हो रही है। सरकार के आगे बिछने से इनकार करने वाले एनडीटीवी पर शिकंजे की कोशिश का जोरदार विरोध शुरू हो गया है। पहले पठानकोट पर हमले में सेना की लापरवाही उजागर करने वाले  इस चैनल की बांहें मरोड़ने की कोशिश और अब इसकी एंकर...
June 10, 2017
संघ के नेताओं का ही कहना है कि सरकार किसानों की समस्याओं को समझना ही नहीं चाहती। उसकी इस बेरुखी ने ही किसान आंदोलन को इतना उग्र कर दिया है।   मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में आंदोलन कर रहे किसानों  को राहत देने के बजाय सरकार उनका मुंह चिढ़ाने की कोशिश में लगी है। किसानों को स्थायी राहत देने के उपाय घोषित करने की जगह उसने अखबारों में करोड़ों रुपये खर्च कर दो पेजों के विज्ञापनों में...
June 10, 2017
पता नहीं, अमित शाह कल को अगर मंत्री बने तो अपने दफ्तर में गांधी जी तस्वीर लगाएंगे या गोलवलकर की। हो सकता है कि वह मंत्री के तौर पर महात्मा गांधी की मूर्तियों पर फूल चढ़ाने से यह कह कर इनकार कर दें कि गांधी राष्ट्रपिता नहीं चतुर बनिया थे। बीजेपी के लिए महात्मा गांधी सिर्फ एक चतुर बनिया थे, जो कांग्रेस की कमजोरियों को अच्छी तरह समझते थे। कांग्रेस कभी भी सिद्धांतों की पार्टी नहीं रही और उसे सिर्फ...
June 10, 2017
जसिन्ता केरकेट्टा ने गाँधी पीस फाउंडेशन में दिए अपने वक्तव्य मैं झारखंड के उरांव आदिवासी समूदाय से आती हूं और हिंदी में कविताएं लिखती हूं। मैं हिंदी में कविताएं लिखती हूं इसलिए आदिवासी साहित्य की परिभाषा गढ़ने वाले लोगों के अनुसार मेरी कविताओं का टोन आदिवासी न होकर सवर्ण है। दलित समूदाय के बीच जब होती हूं तो वे मुझे दलित कवि कहते हैं। हिंदी भाषा में लिखने-पढ़ने वालों के बीच होती हूं तो वे मुझे...