कर्नाटक आदि भाजपा शासित राज्य, कानून व्यवस्था को लेकर भले योगी मॉडल अपनाने जैसी लाख बातें करें लेकिन हकीकत में योगी की, पुलिस को खुली छूट वाली 'ठोको नीति' खुद प्रदेश व प्रदेशवासियों के लिए नासूर साबित हो रही हैं। इस 'ठोको नीति' का नतीजा हैं कि प्रदेश में अपराध और अपराधियों के साथ अब पुलिस भी बेलगाम हो चली हैं। यह सब कोई और नहीं बल्कि खुद भाजपा के नेता कह व मान रहे हैं। वह भी सार्वजनिक तौर से। जी हां, कानपुर विकास दुबे प्रकरण की बात एकबारी ना भी करें तो भी हत्या, बलात्कार, अपहरण, छेड़छाड़ व उत्पीड़न की घटनाएं प्रदेश में आम हो चलीं हैं। थानों में भ्रष्टाचार का ग्राफ पहले से कहीं ऊपर हैं। सांसद व विधायकों तक की सुनवाई नहीं हो रहीं हैं लेकिन सबसे खास बात यह हैं कि योगी की इस 'ठोको नीति' की जद में अब उसके खुद (भाजपा) के नेता भी आने लगे हैं।
कहावत भी हैं कि बेलगाम सांड अपने मालिक तक को नहीं छोड़ता हैं। वेस्ट यूपी के अलीगढ़ व बागपत ज़िले में हाल में घटित घटनाओं से जहां देशभर में पुलिसिया इकबाल और कानून व्यवस्था दोनों की खूब छीछालेदार हो रही है वहीं, पुलिस के 'ठोको नीति' वाले दंभ के साथ सत्ताधारी भाजपा नेताओं की बेबसी भी बखूबी उजागर हो जा रही हैं।
अलीगढ़ के गौंडा थाना प्रकरण को लें तो यहां पुलिस ने इगलास के भाजपा विधायक राजकुमार सहयोगी को ही धुन (पिट) दिया। विधायक का आरोप हैं कि 3-3 दरोगाओं ने उन्हें मारा, पीटा और उनके कपड़े तक फाड़ दिए। हालांकि पुलिस का आरोप है कि पहले विधायक द्वारा अभद्रता की गई। थप्पड़ मारने का भी आरोप है। खैर, सच जांच में साफ होगा लेकिन घटना की जो वीडियो वायरल हो रही हैं, उसमें पुलिस का रवैया चिंतित करने वाला हैं। मसलन पुलिस इंस्पेक्टर विधायक को औकात का हवाला देते हुए, वर्दी उतारकर लड़ने का चैलेंज दे रहे हैं। फिर कहते हैं कि छवि क्या है तेरी। इस पर विधायक कहते हैं कि छवि वह बताएंगे। इंस्पेक्टर कहते हैं कि जा, जाकर चौराहे पर पता कर ले। पता कर। इंस्पेक्टर यही नहीं रुकते। कहते हैं कि हमारी ही फोर्स (गनर) लिए घूम रहा है। इसके बाद अपने किसी उच्चाधिकारी से फोन पर बात करते हुए इंस्पेक्टर कहते हैं कि वह, इन्हें (इगलास विधायक को) सम्मान दे देकर दुःखी हो गए हैं। खैर, सांसद सतीश गौतम के विधायक के समर्थन में उतरने से बात मुख्यमंत्री तक गईं और इंस्पेक्टर के निलंबन पर मामला शांत हुआ। लेकिन इस सब ने योगी सरकार में टूटती मर्यादाओं के साथ कानून व्यवस्था की भी कलई खोल दी है, से शायद ही कोई इनकार करें।
बागपत ज़िले की बात करें तो हाल और खराब है। केंद्रीय मंत्री व भाजपा सांसद से लेकर विधायक तक चिल्ला रहे हैं कि ज़िले में कानून व्यवस्था गर्त में जा चुकी हैं। अपराध और अपराधी दोनों नियंत्रण से बाहर हैं। पुलिस को इनपुट दिए जा रहे हैं लेकिन कार्रवाई तो दूर, पुलिस उनकी सुन तक नहीं रही है। उल्टे बदमाशों की बजाय आम निर्दोष लोगों को सताया जा रहा है और युवा पीढ़ी को अपराध की आग में धकेलने का काम किया जा रहा है। भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष संजय खोखर की गोली मारकर हुई हत्या के बाद तो ज़िले में दहशत का आलम है। इसे लेकर भाजपा नेताओं के मीडिया में दिए हालिया बयानों व सार्वजनिक वक्तव्यों को देखें तो कानून व्यवस्था की बिगड़ी हकीकत आसानी से समझी जानी जा सकती है।
मसलन, मुंबई पुलिस कमिश्नर रहे पूर्व केंद्रीय मंत्री व सांसद डॉ सत्यपाल सिंह कहते हैं कि ज़िले में अवैध हथियारों की भरमार हैं। हर गांव में अवैध हथियार हैं। युवा अपराध की राह पकड़ रहे हैं लेकिन पुलिस मस्त व भ्रष्टाचार में लिप्त है। कहा- वह दो साल से जांच की मांग कर रहे हैं। मुख्यमंत्री को मिलकर व चिट्ठी लिखकर बता चुके हैं। लेकिन जांच नहीं हुई।
केंद्रीय मंत्री व मुजफ्फरनगर सांसद डॉ संजीव बालियान कहते हैं कि बागपत में माहौल बेहद खराब हो चला है। युवा पीढ़ी को अपराध की आग में धकेलने का काम किया जा रहा है। अपराध की जड़ों पर प्रहार को अच्छे अधिकारियों की तैनाती की जरूरत है। बागपत से भाजपा विधायक योगेश धामा खुद को ही खतरा होने की बात कह रहे हैं। उन्होंने कहा- वह मुख्यमंत्री व डीजीपी को बता चुके हैं। ज़िले में संदिग्ध लोग घूम रहे हैं जिसका इनपुट वह पुलिस को भी दे चुके हैं लेकिन कोई कार्रवाई नहीं है। संदिग्धों ने उनके प्रतिनिधि राजीव दांगी का पीछा तक किया। पूर्व जिलाध्यक्ष संजय खोखर को भी सुरक्षा नहीं मिली।
भाजपा के वर्तमान जिलाध्यक्ष सूरजपाल गुर्जर कहते हैं कि पुलिस ढीली है और अपराधी खुलकर खेल रहे हैं। उन्होंने कहा- प्रदेश अध्यक्ष आदि नेताओं को जानकारी दी है। बड़ौत विधायक केपी मलिक कहते हैं कि पुलिस ठीक काम नहीं कर रही है जिससे आम आदमी दहशत में है। यही नहीं, विधायक प्रतिनिधि राजीव दांगी के बाद, खुद सांसद प्रतिनिधि ठाकुर प्रदीप सिंह भी अपनी जान का खतरा जताते हुए सुरक्षा की मांग कर चुके हैं।
कहावत भी हैं कि बेलगाम सांड अपने मालिक तक को नहीं छोड़ता हैं। वेस्ट यूपी के अलीगढ़ व बागपत ज़िले में हाल में घटित घटनाओं से जहां देशभर में पुलिसिया इकबाल और कानून व्यवस्था दोनों की खूब छीछालेदार हो रही है वहीं, पुलिस के 'ठोको नीति' वाले दंभ के साथ सत्ताधारी भाजपा नेताओं की बेबसी भी बखूबी उजागर हो जा रही हैं।
अलीगढ़ के गौंडा थाना प्रकरण को लें तो यहां पुलिस ने इगलास के भाजपा विधायक राजकुमार सहयोगी को ही धुन (पिट) दिया। विधायक का आरोप हैं कि 3-3 दरोगाओं ने उन्हें मारा, पीटा और उनके कपड़े तक फाड़ दिए। हालांकि पुलिस का आरोप है कि पहले विधायक द्वारा अभद्रता की गई। थप्पड़ मारने का भी आरोप है। खैर, सच जांच में साफ होगा लेकिन घटना की जो वीडियो वायरल हो रही हैं, उसमें पुलिस का रवैया चिंतित करने वाला हैं। मसलन पुलिस इंस्पेक्टर विधायक को औकात का हवाला देते हुए, वर्दी उतारकर लड़ने का चैलेंज दे रहे हैं। फिर कहते हैं कि छवि क्या है तेरी। इस पर विधायक कहते हैं कि छवि वह बताएंगे। इंस्पेक्टर कहते हैं कि जा, जाकर चौराहे पर पता कर ले। पता कर। इंस्पेक्टर यही नहीं रुकते। कहते हैं कि हमारी ही फोर्स (गनर) लिए घूम रहा है। इसके बाद अपने किसी उच्चाधिकारी से फोन पर बात करते हुए इंस्पेक्टर कहते हैं कि वह, इन्हें (इगलास विधायक को) सम्मान दे देकर दुःखी हो गए हैं। खैर, सांसद सतीश गौतम के विधायक के समर्थन में उतरने से बात मुख्यमंत्री तक गईं और इंस्पेक्टर के निलंबन पर मामला शांत हुआ। लेकिन इस सब ने योगी सरकार में टूटती मर्यादाओं के साथ कानून व्यवस्था की भी कलई खोल दी है, से शायद ही कोई इनकार करें।
बागपत ज़िले की बात करें तो हाल और खराब है। केंद्रीय मंत्री व भाजपा सांसद से लेकर विधायक तक चिल्ला रहे हैं कि ज़िले में कानून व्यवस्था गर्त में जा चुकी हैं। अपराध और अपराधी दोनों नियंत्रण से बाहर हैं। पुलिस को इनपुट दिए जा रहे हैं लेकिन कार्रवाई तो दूर, पुलिस उनकी सुन तक नहीं रही है। उल्टे बदमाशों की बजाय आम निर्दोष लोगों को सताया जा रहा है और युवा पीढ़ी को अपराध की आग में धकेलने का काम किया जा रहा है। भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष संजय खोखर की गोली मारकर हुई हत्या के बाद तो ज़िले में दहशत का आलम है। इसे लेकर भाजपा नेताओं के मीडिया में दिए हालिया बयानों व सार्वजनिक वक्तव्यों को देखें तो कानून व्यवस्था की बिगड़ी हकीकत आसानी से समझी जानी जा सकती है।
मसलन, मुंबई पुलिस कमिश्नर रहे पूर्व केंद्रीय मंत्री व सांसद डॉ सत्यपाल सिंह कहते हैं कि ज़िले में अवैध हथियारों की भरमार हैं। हर गांव में अवैध हथियार हैं। युवा अपराध की राह पकड़ रहे हैं लेकिन पुलिस मस्त व भ्रष्टाचार में लिप्त है। कहा- वह दो साल से जांच की मांग कर रहे हैं। मुख्यमंत्री को मिलकर व चिट्ठी लिखकर बता चुके हैं। लेकिन जांच नहीं हुई।
केंद्रीय मंत्री व मुजफ्फरनगर सांसद डॉ संजीव बालियान कहते हैं कि बागपत में माहौल बेहद खराब हो चला है। युवा पीढ़ी को अपराध की आग में धकेलने का काम किया जा रहा है। अपराध की जड़ों पर प्रहार को अच्छे अधिकारियों की तैनाती की जरूरत है। बागपत से भाजपा विधायक योगेश धामा खुद को ही खतरा होने की बात कह रहे हैं। उन्होंने कहा- वह मुख्यमंत्री व डीजीपी को बता चुके हैं। ज़िले में संदिग्ध लोग घूम रहे हैं जिसका इनपुट वह पुलिस को भी दे चुके हैं लेकिन कोई कार्रवाई नहीं है। संदिग्धों ने उनके प्रतिनिधि राजीव दांगी का पीछा तक किया। पूर्व जिलाध्यक्ष संजय खोखर को भी सुरक्षा नहीं मिली।
भाजपा के वर्तमान जिलाध्यक्ष सूरजपाल गुर्जर कहते हैं कि पुलिस ढीली है और अपराधी खुलकर खेल रहे हैं। उन्होंने कहा- प्रदेश अध्यक्ष आदि नेताओं को जानकारी दी है। बड़ौत विधायक केपी मलिक कहते हैं कि पुलिस ठीक काम नहीं कर रही है जिससे आम आदमी दहशत में है। यही नहीं, विधायक प्रतिनिधि राजीव दांगी के बाद, खुद सांसद प्रतिनिधि ठाकुर प्रदीप सिंह भी अपनी जान का खतरा जताते हुए सुरक्षा की मांग कर चुके हैं।