यूपी के सीएम आदित्यनाथ जिस एजेंडे पर चल रहे हैं उससे विकास और सुशासन तो नहीं आएगा, उल्टे सांप्रदायिकता और ध्रुवीकरण का माहौल और गहरा जाएगा।

सीएम बनने के बाद योगी आदित्यनाथ से यह उम्मीद थी कि वह इस संवैधानिक पद की गरिमा के मुताबिक काम करेंगे। लेकिन अक्सर वह यह भूल जाते हैं वह राजनीतिक तौर पर देश के सबसे अहम सूबे के मुख्यमंत्री हैं और बजरंग दल या हिंदू युवा वाहिनी के कार्यकर्ता की बात करने लगते हैं।
रविवार को लखनऊ में सुहेलदेव विजयोत्सव कार्यक्रम में आदित्यनाथ ने आरएसएस को सांप्रदायिक करार देने वालों को चुनौती देने वालों से कहा कि संघ को सांप्रदायिक करार देने वाले खुद सांप्रदायिक हैं। संघ नि:स्वार्थ भावना से काम करता है। देश में अब इस बात पर बहस होनी चाहिए कि कौन सांप्रदायिक है और कौन नहीं।
यह पहली बार है जब किसी सीएम ने संवैधानिक पद का दायित्व निभाते हुए संघ को सांप्रदायिक करार देने वालों को सांप्रदायिक कहा हो । सीएम पद पर रहते हुए सार्वजनिक समारोहों में इस तरह के भड़काने और एकतरफा भाषण देकर योगी देश की राजनीति में एक नया एजेंडा सेट कर रहे हैं। दरअसल बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह और योगी आदित्यनाथ 2019 यानी अगले लोकसभा चुनाव तक यूपी में सांप्रदायिक माहौल गर्माए रखना चाहते हैं। इस रणनीति की वजह से योगी आदित्यनाथ के सीएम व्यक्तित्व पर संघ, बजरंग दल या हिंदू वाहिनी दल के कार्यकर्ता वाला व्यक्तित्व हावी हो जाता है।
आदित्यनाथ ने आते ही यूपी के विकास की बात की और आऩन-फानन में कुछ ऐसे फैसले किए, जिससे बात बनने के बजाय बिगड़ गई। अब राज्य में लगातार हिंसा हो रही है। जातीय संघर्ष दोबारा उभर आए हैं। दलितों और ठाकुरों के टकराव से सहारनपुर जैसा संवेदनशील जिला फिर जलने लगा है। राज्य में हत्या और लूट की लगातार वारदातें हो रही हैं। पिछले दो महीनो में लूट की 250 हत्या की 400 और रेप की 390 घटनाएं हो चुकी हैं। सहारनपुर में हिंसक संघर्ष को योगी प्रशासन काबू करने में नाकाम रहा है और इस वजह से उनकी खासी किरकिरी हुई है। लेकिन राज्य की बिगड़ती कानून-व्यवस्था और सांप्रदायिक माहौल को सुधारने ठोस कदम उठाने के बजाय वह भड़काने और उकसाने वाले बयान दे रहे हैं।
लखनऊ के सुहेलदेव विजयोत्सव में दिया गया उनका बयान संघ और बजरंग दल के किसी पुराने कार्यकर्ता के हिंदुत्व एजेंडे की याद दिलाता है। आदित्यनाथ यह भूल गए हैं उन्होंने सीएम बनने के वक्त भारतीय संविधान के नाम पर शपथ ली है न कि संघ के संविधान के नाम पर। यूपी में योगी जिस एजेंडे पर चल रहे हैं उससे विकास और सुशासन तो नहीं आएगा, उल्टे सांप्रदायिकता और ध्रुवीकरण का माहौल और गहरा जाएगा। सहारनपुर में भड़की हिंसा इसकी तसदीक कर रही है। सीएम ने हाल में कहा था कि शासन ‘तिलक’ और ‘टोपी’ में भेद नहीं करेगा। लेकिन उनकी कथनी और करनी में साफ अंतर दिख रहा है।