क्या ''गैर राजनीतिक'' रह पाएगा राम मंदिर उद्घाटन? VHP का घर-घर पहुंचने का आंदोलन तेज

Written by sabrang india | Published on: December 6, 2023
22 जनवरी 2024 को अयोध्या में निर्माणाधीन श्री राम मंदिर में रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा होगी। इसे लेकर तैयारियां जोर शोर से चल रही हैं। लेकिन इसमें खास बात है कि विश्व हिंदू परिषद, आरएसएस व अन्य दक्षिणपंथी संगठन इसके लिए सत्ताधारी पार्टी को श्रेय देने के प्रयासों में अभियान चलाते नजर आ रहे हैं। 



दैनिक जागरण की रिपोर्ट के मुताबिक, विश्व हिंदू परिषद की तरफ से पांच कलश अक्षत तैयार किए गए हैं। इसे रविवार को काशी के लोहता स्थित माधव सेवा प्रकल्प से प्रभारियों को सौंपा जाएगा। प्रांत संगठन मंत्री नितिन ने बताया कि श्रीराम जन्मभूमि न्यास ने एक सप्ताह पूर्व काशी विभाग के काशी उत्तर, दक्षिण, मध्य, ग्रामीण और चंदौली के लिए अयोध्या से आए अक्षत से पांच कलश तैयार किया गया है।
 
घर-घर वितरण के लिए कलश में पांच किलो अक्षत को 40 क्विंटल चावल में देसी घी और हल्दी के साथ मिलाया जाएगा। विहिप महानगर अध्यक्ष कन्हैया सिंह ने बताया कि राइस मिल में स्वच्छ धान का चयन कर चावल तैयार करा कर खरीदा जाएगा। जिले के हर गांव-मोहल्ले के कार्यकर्ताओं को करीब पांच-पांच किलोग्राम चावल का बैग दिया जाएगा। कार्यकर्ता एक जनवरी से 15 जनवरी तक शहर से लेकर गांव तक घर-घर जाकर वितरण करेंगे। लोगों को एक चुटकी चावल, भगवान राम की तस्वीर और आमंत्रण पत्र सौंपेंगे।

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद से ही राम मंदिर को लेकर हिंदुत्ववादी संगठनों द्वारा जिस तरह से प्रचार किया जा रहा है वह प्रकृति में काफी 'आक्रामक' है। इसके अलावा मीडिया द्वारा भी उनके कृत्यों को बढ़ावा देने के प्रयासों में नजर आता है। सत्ताधारी बीजेपी भी राम मंदिर निर्माण को चुनावी रैलियों में भी भुनाती आ रही है, जबकि यह किसी सरकार से नहीं बल्कि सुप्रीम कोर्ट के प्रयासों से संभव हो पाया है। 

सुप्रीम कोर्ट का फैसला:

9 नवंबर 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने एक लंबी सुनवाई के बाद अयोध्या में मंदिर-मस्जिद विवाद पर फैसला सुनाया था। लंबे समय से जारी इस विवाद को तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश जस्टिस रंजन गोगोई की अगुवाई में संवैधानिक पीठ ने इस पर फैसला सुनाया कि विवादित जमीन पर हक हिंदुओं का है। इसके साथ ही सरकार को यह भी आदेश दिया कि मुस्लिम पक्ष को अलग से 5 एकड़ जमीन दी जाए। हालांकि इस फैसले के बाद भी कई पुनर्विचार याचिकाएं दाखिल की गईं लेकिन सुप्रीम कोर्ट में सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया गया। 

लगभग 7,000 लोग आमंत्रित, साधुओं के कुछ सामानों पर प्रतिबंध

द टेलिग्राफ की रिपोर्ट के मुताबिक, राम मंदिर उद्घाटन में भाग लेने के लिए 4,000 साधुओं और संतों सहित देश भर से लगभग 7,000 मेहमानों को कार्यक्रमों में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया गया है, जो 16 जनवरी से शुरू होगा क्योंकि भक्तों के लिए नवनिर्मित मंदिर खोलने से पहले अनुष्ठानों की एक श्रृंखला आयोजित की जाएगी।

“भारत के सभी महत्वपूर्ण मंदिरों के प्रतिनिधि समारोह में भाग लेंगे। हमने मेहमानों के रहने का इंतजाम कर लिया है.' उन्हें सुरक्षा कारणों से कार्यक्रम स्थल पर अपने साथ कुछ भी नहीं ले जाने का सुझाव दिया गया है। इसमें दांडी, छत्र और पादुका शामिल हैं, ”श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने कहा, जिसे मंदिर के निर्माण के लिए 2019 में केंद्र सरकार द्वारा गठित किया गया था।

पीएम मोदी को निमंत्रण पर विपक्ष ने उठाया था सवाल

26 अक्टूबर को राम जन्मभूमि ट्रस्ट की ओर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को श्री राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के लिए निमंत्रित किया गया, जिसको लेकर विपक्ष ने सवाला उठाया था कि कार्यक्रम के लिए सिर्फ एक ही पार्टी को निमंत्रण क्यों भेजा जा रहा है। 

क्या भगवान एक पार्टी तक सीमित

श्रीराम जन्मभूमि ट्रस्ट के पदाधिकारियों द्वारा पीएम मोदी को निमंत्रित करने पर कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद उठाए थे। अपने एक बयान में उन्होंने कहा कि 'क्या निमंत्रण सिर्फ एक पार्टी को जा रहा है? कार्यक्रम में कौन पहुंचेगा और कौन नहीं, इस पर टिप्पणी नहीं की जा सकती, लेकिन अब क्या भगवान एक ही पार्टी तक सीमित हैं? उन्होंने कहा कि निमंत्रण सभी के लिए होना चाहिए, लेकिन इसे सिर्फ एक पार्टी का कार्यक्रम बनाया जा रहा है। क्या यह एक पार्टी का कार्यक्रम है या सिर्फ किसी एक व्यक्ति से संबंधित है? इस दौरान खुर्शीद ने मांग रखी की श्री राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा का निमंत्रण सभी को भेजा जाना चाहिए था।'

विपक्षी नेताओं को भी किया जाएगा आमंत्रित?

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, 26 अक्टूबर को पीएम मोदी को निमंत्रण दिये जाने के बाद विपक्ष द्वारा सवाल उठाए जा रहे थे। इसके बाद 10 नवंबर को विहिप के राष्ट्रीय प्रवक्ता विनोद बंसल की तरफ से बयान आया कि ''राजनीतिक विचारधारा के आधार पर कोई भेदभाव नहीं किया जाएगा। हर इच्छुक व्यक्ति को, चाहे उनकी राजनीतिक संबद्धता कुछ भी हो, पवित्र 'अक्षत' के साथ आमंत्रित किया जाएगा।"

विहिप सूत्रों ने कहा कि संगठन को साधु-संतों ने यह सुनिश्चित करने की सलाह दी है कि राम मंदिर का उद्घाटन एक "गैर-राजनीतिक" कार्यक्रम रहे। विहिप के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, ''यह राम भक्तों का मंदिर है, एक राष्ट्र मंदिर है। विपक्षी नेताओं, मुख्य रूप से कांग्रेस के नेताओं द्वारा यह सवाल उठाए जाने के बाद कि क्या राम मंदिर का उद्घाटन एक "भाजपा कार्यक्रम" बन जाएगा। कुछ दिनों बाद यह घटनाक्रम काफी महत्वपूर्ण हो गया है। यह तब हुआ जब संतों और राम जन्मभूमि तीरथ क्षेत्र के कई अधिकारियों ने प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की और मंदिर के उद्घाटन के लिए निमंत्रण दिया।

अभी तक किसी विपक्षी नेता को ट्रस्ट की तरफ से व्यक्तिगत निमंत्रण भेजे जाने की जानकारी नहीं है। हालांकि, जिस प्रकार से दक्षिणपंथी संगठन और सत्ताधारी दल सारा श्रेय लेने की कोशिश में जुटे हैं इससे साफ है कि इस उद्घाटन समारोह का असर 2024 के लोकसभा चुनाव में भी पड़ेगा। मीडिया जिस प्रकार से मोदी सरकार का महिमामंडन देने में जुटा हुआ है वह राम मंदिर उद्घाटन में पीएम मोदी की उपस्थिति को लेकर चुनावी माहौल बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ेगा।


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