राम के नाम पर मुनाफे की कवायद: नेताओं और अधिकारियों ने अयोध्या और आसपास के जिलों में सस्ती ज़मीनें खरीदीं

Written by एल. एस. हरदेनिया | Published on: August 5, 2024
राम मंदिर बनने के पहले नेताओं और अधिकारियों ने अयोध्या और आसपास के जिलों में बड़े पैमाने पर सस्ती ज़मीनें खरीदीं और कइयों ने बड़ी कीमत लेकर ज़मीनें बेच भी दीं



अयोध्या और उसके आसपास बड़े पैमाने पर प्रभावशाली राजनीतिज्ञ अधिकारी, प्रशासनिक अधिकारी और कार्पोरेट हाउसों ने रहवासी और कृषि भूमि खरीदी हैं। जमीन की खरीदियों का यह मामला लोकसभा में अयोध्या से अभी हाल में चुने गये समाजवादी सदस्य ने उठाया। बजट पर बोलते हुए अयोध्या के सांसद अवधेश प्रसाद ने मांग की कि जब से मंदिर बनने की बातचीत प्रारंभ हुई है तब से बहुत लोगों ने वहां जमीनें खरीदी हैं विशेषकर उस दिन से जब सर्वोच्च न्यायालय ने मंदिर बनाने की इजाजत दी थी। प्रसाद का कहना है कि न सिर्फ स्थानीय बल्कि बाहर के लोगों ने भी जमीनें खरीदी हैं। एक उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि जो जमीन 2 करोड़ में खरीदी गई कुछ दिनों के बाद उस जमीन को 18 करोड़ में बेच दिया गया। जमीन खरीदने वालों में भाजपा से संबंधित लोग ही बहुसंख्यक हैं। इन लोगों ने वहां की खेती को पूरी तरह से बर्बाद कर दिया है। उच्च न्यायालय के निर्णय के बाद मंदिर से लगे बहुत बड़े क्षेत्र में जमीनों की कीमते अनापशनाप बड़ गई हैं। कीमतें बढ़ने के पहले निहित स्वार्थों ने बड़े पैमाने पर जमीन खरीदना प्रारंभ कर दिया। मंदिर के आसपास के जिलों गोंडा और बस्ती में भी कीमतें बड़ गई हैं।

जिन राजनीतिज्ञों ने जमीन खरीदी हैं उनमें अरूणाचल प्रदेश के उपमुख्यमंत्री, भूतपूर्व सांसद बृजभूषण सिंह के सांसद पुत्र करण भूषण और बड़ी संख्या में भाजपा के विधायक भी शामिल हैं। उन्होंने मांग की कि इस दरम्यान में हुए जितनी भी जमीनों की खरीद-फरोख्त की गई है उनकी जांच होना चाहिए और जांच ससंद की मिलीजुली समिति के द्वारा होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि बहुत साफ है कि मंदिर के नाम पर धंधा किया गया है। मैं बड़े दुख के साथ कहना चाहूंगा कि अयोध्या का विकास इसलिए रूक गया है कि उसने मेरे जैसे एक दलित को संसद में चुनकर भेजा है। भाजपा की इन्हीं गतिविधियों के कारण अयोध्या के मतदाताओं ने भाजपा को शिकस्त दी है। बड़े लोग जमीनें खरीद सकें इसलिए कई गरीबों की दुकानें और मकान तोड़े गये। उन्होंने पुनः मांग रखी कि सारे मामलों की उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिए।

यहाँ पर 10 जुलाई के इंडियन एक्सप्रेस में छपी जमीन खरीदने वालों की एक संक्षिप्त सूची दी जा रही है जिससे साफ होता है कि अयोध्या के आसपास यह जमीनें किसने खरीदीं?

उत्तरप्रदेश के अतिरिक्त पुलिस मुखिया हैं अमिताभ यश, उनकी मां ने 9.955 हैक्टेयर जमीन महेशपुर और दुर्गागंज में 4.04 करोड़ में खरीदी। यह जमीन राम मंदिर से सिर्फ 8 कि.मी. की दूरी पर है। उत्तरप्रदेश के गृह विभाग के सचिव, उनकी पत्नि डॉ. चेतना गुप्ता ने 253 वर्ग मीटर रहवासी जमीन 35 लाख रूपये में दिनांक 05 अगस्त 2022 को खरीदी। यह जमीन भी मंदिर से सिर्फ 14 कि.मी. दूर है। उत्तरप्रदेश के शिक्षा विभाग के संयुक्त संचालक अरविंद कुमार पांडे और उनकी पत्नि ने 1,051 वर्ग मीटर रहवासी जमीन 64 लाख में खरीदी। यह जमीन भी मंदिर से सिर्फ 7 कि.मी. दूर है। उनकी पत्नि ममता भारतीय जनता पार्टी की नेता हैं और उनका एक होटल भी है। इसी होटल को विस्तार देने के लिए यह जमीन खरीदी गई है। रेलवे के उपचीफ इंजीनियर महाबल प्रसाद के बेटे अंशुल ने 0.304 हैक्टेयर कृषि भूमि खरीदी। यह जमीन भी मंदिर से सिर्फ 7 कि.मी. दूर है। पलाश बंसल पुलिस के अतिरिक्त कप्तान हैं। उनके पिता देशराज बंसल जंगल विभाग के पेंशनयाफ्ता ऑफिसर हैं। उन्होंने 1781.03 वर्ग मीटर रहवासी जमीन खरीदी। यह जमीन भी मंदिर से 15 कि.मी. दूर है। इन्हीं के एक नज़दीकी मित्र ईश्वर बंसल के साथ मिलकर इन्होंने यह जमीन खरीदी थी। पलाश बंसल की अयोध्या में नियुक्ति रही है।

अमेठी के पुलिस कप्तान अनुप कुमार सिंह हैं। इनके ससुराल वाले जिनका नाम शैलेन्द्र सिंह और मंजू सिंह है। इन्होंने इनके साथ मिलकर 4 हैक्टेयर कृषि भूमि खरीदी। जो अयोध्या के मंदिर से 9 कि.मी. दूर है। इन्होंने यह जमीन सितम्बर 2023 में 20 लाख में खरीदी थी। यूपी के ही पुलिस निदेशक रहे यशपाल सिंह। इन्होंने स्वयं 0.427 हैक्टेयर कृषि भूमि और 132.7137 वर्ग मीटर रहवासी जमीन खरीदी। यह जमीन मंदिर से 14 कि.मी. दूर है। 2020 और 2023 में 73 लाख में यह जमीन खरीदीं गईं। इनकी पत्नि नीता सिंह समाजवादी पार्टी से विधायक रह चुकी हैं। अनुराग त्रिपाठी जो उत्तर मध्य रेलवे के बड़े अधिकारी हैं, उनके पिता मदन मोहन त्रिपाठी ने 1.57 हैक्टेयर कृषि भूमि और 640 वर्ग मीटर रहवासी जमीन खरीदी। यह जमीन भी मंदिर से 15 कि.मी. दूर है। ये दोनों सौदे 2.33 करोड़ में हुए। यह सौदे भी 2023 में हुए। जयदीप आर्य हरियाणा के योग आयोग के अध्यक्ष हैं। उन्होंने चार लोगों के साथ मिलकर 3.035 हैक्टेयर जमीन खरीदी। आर्य बाबा रामदेव के नजदीकी सहयोगी हैं। योग आयोग की स्थापना हरियाणा सरकार ने की। जमीन खरीदने में उनके दूसरे साथी राकेश भी बाबा रामदेव के भारत स्वाभीमान ट्रस्ट में सहयोगी हैं। इन्होंने यह जमीन 22 लाख में खरीदी। ये दोनों सम्पत्तियाँ मंदिर के नज़दीक हैं। अजय सिंह उत्तर प्रदेश में भाजपा के विधायक हैं। उनके भाई और उनके भतीजे सिद्धार्थ ने 0.455 हैक्टेयर कृषि भूमि वर्ष 2023 में 47 लाख रूपये में खरीदी। जो मंदिर से 8 कि.मी. दूर है। विजय लक्ष्मी जायसवाल भाजपा की नेता हैं और एक नगर पंचायत की अध्यक्ष हैं। उनके संबंधी हैं मदन जायसवाल, उन्होंने 8.71 हैक्टेयर कृषि भूमि 1.3 करोड़ में अपने अन्य रिश्तेदारों के साथ मिलकर खरीदी, जो मंदिर से लगभग 7 कि.मी. दूर है।

इसके अतिरिक्त मंदिर के आसपास जमीन खरीदने वालों में राजेश अग्रहारी, भाजपा के नेता जो एक जिला पंचायत के अध्यक्ष हैं। जितेन्द्र कुमार बब्लू भैया जो बसपा के पूर्व विधायक, चन्द्र प्रकाश शुक्ला जो भाजपा के पूर्व विधायक हैं। समाजवादी पार्टी के पूर्व विधान परिषद सदस्य राकेश कुमार, बहुजन समाज पार्टी के पूर्व विधान परिषद सदस्य श्याम नारायण सिंह, नेताओं और अधिकारियों के अतिरिक्त कई बड़े-बड़े कार्पोरेट हाउसों ने भी यहाँ जमीन खरीदी है। इनमें अडानी ग्रुप, व्यक्ति विकास केन्द्र नाम की संस्था, एक बड़े होटल के मालिक भी शामिल हैं। यह सूची इंडियन एक्सप्रेस में छपी है।

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