पिछले साल 14 अक्टूबर को जेएनयू के माही- मांडवी हॉस्टल में ABVP के लोगों ने M.Sc. बायोटेक के स्टूडेंट नजीब की बुरी तरह पिटाई की और मारने की धमकियाँ दीं. 15 अक्टूबर से नजीब माही- मांडवी हॉस्टल से गायब है. नजीब की माँ जब पुलिस में रिपोर्ट कराने गयीं तब उनको उन ABVP के लड़कों का नाम लिखने से पुलिसवालों ने रोक लिया। उसके बाद जेएनयू छात्रसंघ और वहां मौजूद तमाम गवाहों ने भी अपने बयानों समेत कंप्लेंट पुलिस को दी. 15 तारीख को ही एक कंप्लेंट जेएनयू प्रशासन को दी गयी थी. ये घटना 14-15 अक्टूबर 2017 की है और आज इस घटना को 1 साल होने को आया है. इस बीच भाजपा द्वारा बिठाये गए जेएनयू प्रशासन और पुलिस और सीबीआई ने जांच में जबरदस्त लचरपन दिखाया और ABVP के लोगों को बचाने में ही दिलचस्पी दिखाई। एक साल से चल रही न्याय की लड़ाई में आइये देखते हैं क्या हुआ:
जेएनयू प्रशासन:
1. जेएनयू प्रशासन ने नजीब के गायब होने के बाद कोई भी सक्रिय भूमिका नहीं निभायी। जब छात्र- छात्राओं ने कंप्लेंट किया तब abvp के गुंडों को बचाने की हर संभव कोशिश की. फिर भी प्राक्टर की प्राइमरी रिपोर्ट में ABVP के चार लोगों को दोषी पाया गया. खुद प्रशासन की सिक्योरिटी, वार्डन ने अपनी रिपोर्टों में लिखा कि ABVP के गुंडों ने नजीब को पीटा था, लेकिन भाजपा के पिछलग्गू वीसी ने उस रिपोर्ट को ही बदल दिया।
2. नजीब को लेकर एक भी उनके परिवार से संपर्क नहीं साधा।
3. कोर्ट में भी झूठ बोला।
भाजपा सरकार और पुलिस का रोल
1. पहले दिन से ही पुलिस ने अपना सारा ध्यान ABVP के लोगों को बचाने में लगाया, न कि नजीब को ढूंढने में. पुलिस ने नजीब को पीटने वाले और धमकी देने वालों का नाम FIR में नहीं आने दिया। ABVP के लोगों से कोई पूछताछ नहीं की और न ही उनके कॉल और वहटसअप डिटेल निकाले। ढूंढने के पुलिस ने प्राइमरी स्टेप तक नहीं उठाये। बस जांच को पहले वसंत कुंज थाने से SIT और फिर SIT से उठाकर क्राइम ब्रांच की टेबल पर उठाकर पटक दिया। हर पुलिस एजेंसी ने एक ही तरीके से काम किया। मारपीट और धमकी के एंगेल को इग्नोर किया और जांच को इधर- उधर भटकाते रहे.
2. पुलिस ने बीच- बीच में जाँच को गुमराह करने के लिए कुछ प्लांटेड खबरें भी चलवायीं।
3. कोर्ट की फटकार के बावजूद कुछ भी कंक्रीट नहीं निकाला।
4. CBI ने तो और भी घटिया तरीके से जांच की शुरुआत की और गवाहों के ही बयान लेने में 3 महीने से ज्यादा लगा दिए.
5. इस बीच भाजपा सरकार के लोगों ने इस मामले में संवेदनशीलता दिखाने की बजाय नजीब पर ही तरह- तरह के आरोप लगाए और अपने आईटी सेल को सक्रिय करके उसके बारे में खूब झुठ प्रचारित करवाया।
6. भाजपा के लोगों ने मोटे पैसे खर्च करके ABVP के लोगों को बचाने के लिए बड़े- बड़े वकील खड़े किये।
CBI को केस मिलने के बाद से कोर्ट में 2 डेट हो चुकी हैं, लेकिन CBI की जांच में कुछ भी कंक्रीट नहीं दिखाई पड़ता। पिछले 1 साल के अनुभव से यह तो साफ़ है कि भाजपा सरकार के अंदर आने वाली कोई भी एजेंसी इसकी जांच गम्भीरता से नहीं कर रही है. पिछला एक साल हमारे लिए न्याय की चाहत में अलग- अलग जगहों पर भटकना लेकर आया है, लेकिन अभी भी हमें भरोसा है कि न्याय मिलेगा जरूर।
आप सबसे अपील है कि 13 तारीख को दिल्ली में CBI दफ्तर पर 2 बजे दोपहर को आकर हमारा साथ दें और 15 अक्टूबर को आप जिस भी जगह पर मौजूद हैं वहां पर विरोध प्रदर्शन कर इस लड़ाई को आगे बढ़ाएं।
जेएनयू प्रशासन:
1. जेएनयू प्रशासन ने नजीब के गायब होने के बाद कोई भी सक्रिय भूमिका नहीं निभायी। जब छात्र- छात्राओं ने कंप्लेंट किया तब abvp के गुंडों को बचाने की हर संभव कोशिश की. फिर भी प्राक्टर की प्राइमरी रिपोर्ट में ABVP के चार लोगों को दोषी पाया गया. खुद प्रशासन की सिक्योरिटी, वार्डन ने अपनी रिपोर्टों में लिखा कि ABVP के गुंडों ने नजीब को पीटा था, लेकिन भाजपा के पिछलग्गू वीसी ने उस रिपोर्ट को ही बदल दिया।
2. नजीब को लेकर एक भी उनके परिवार से संपर्क नहीं साधा।
3. कोर्ट में भी झूठ बोला।
भाजपा सरकार और पुलिस का रोल
1. पहले दिन से ही पुलिस ने अपना सारा ध्यान ABVP के लोगों को बचाने में लगाया, न कि नजीब को ढूंढने में. पुलिस ने नजीब को पीटने वाले और धमकी देने वालों का नाम FIR में नहीं आने दिया। ABVP के लोगों से कोई पूछताछ नहीं की और न ही उनके कॉल और वहटसअप डिटेल निकाले। ढूंढने के पुलिस ने प्राइमरी स्टेप तक नहीं उठाये। बस जांच को पहले वसंत कुंज थाने से SIT और फिर SIT से उठाकर क्राइम ब्रांच की टेबल पर उठाकर पटक दिया। हर पुलिस एजेंसी ने एक ही तरीके से काम किया। मारपीट और धमकी के एंगेल को इग्नोर किया और जांच को इधर- उधर भटकाते रहे.
2. पुलिस ने बीच- बीच में जाँच को गुमराह करने के लिए कुछ प्लांटेड खबरें भी चलवायीं।
3. कोर्ट की फटकार के बावजूद कुछ भी कंक्रीट नहीं निकाला।
4. CBI ने तो और भी घटिया तरीके से जांच की शुरुआत की और गवाहों के ही बयान लेने में 3 महीने से ज्यादा लगा दिए.
5. इस बीच भाजपा सरकार के लोगों ने इस मामले में संवेदनशीलता दिखाने की बजाय नजीब पर ही तरह- तरह के आरोप लगाए और अपने आईटी सेल को सक्रिय करके उसके बारे में खूब झुठ प्रचारित करवाया।
6. भाजपा के लोगों ने मोटे पैसे खर्च करके ABVP के लोगों को बचाने के लिए बड़े- बड़े वकील खड़े किये।
CBI को केस मिलने के बाद से कोर्ट में 2 डेट हो चुकी हैं, लेकिन CBI की जांच में कुछ भी कंक्रीट नहीं दिखाई पड़ता। पिछले 1 साल के अनुभव से यह तो साफ़ है कि भाजपा सरकार के अंदर आने वाली कोई भी एजेंसी इसकी जांच गम्भीरता से नहीं कर रही है. पिछला एक साल हमारे लिए न्याय की चाहत में अलग- अलग जगहों पर भटकना लेकर आया है, लेकिन अभी भी हमें भरोसा है कि न्याय मिलेगा जरूर।
आप सबसे अपील है कि 13 तारीख को दिल्ली में CBI दफ्तर पर 2 बजे दोपहर को आकर हमारा साथ दें और 15 अक्टूबर को आप जिस भी जगह पर मौजूद हैं वहां पर विरोध प्रदर्शन कर इस लड़ाई को आगे बढ़ाएं।