दलित युवक और उसकी दादी को कुरूर के नागुनेवली में प्रताड़ित किया गया, सतारा में एक दलित औरत पर हमला किया गया. राजस्थान में 2 और दलितों की हत्या की गई और दलित समुदाय पर हिंसा का ये सिलसिला अब तक जारी है.
पूरे देश में दलित समुदाय पर हिंसा का दौर बेरोक-टोक जारी है. जाति आधारित हिंसा की अनेक घटनाओं ने देश को अपनी चपेट में ले रखा है. इसके अलावा तमिलनाडू में इस महीने में दलित छात्रों पर हमले की दो अन्य घटनाएं भी हुई हैं जिसने देश भर का ध्यान अपनी तरफ़ खींचा है.
करूर, तमिलनाडु
एक युवा लड़के और उसकी दादी पर पिछले हफ़्ते करूर में भयानक हमला किया गया. पुलिस के मुताबिक़ ये 14 साल का दलित लड़का एक मध्यवर्गीय जाति से ताल्लुक़ रखने वाले वाले लड़के से बहस कर रहा था, जिसके बाद सरकारी स्कूल बस में एक बवाल खड़ा हो गया. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक़ 20 लड़कों ने दलित लड़के के घर जाकर उसे और उसकी दादी को प्रताड़ित किया
इस मामले में आरोपियों को इंडियन पीनल कोड के अनेक प्रावधानों के तहत दोषी ठहराया गया है. जिसमें 294 B (रिलेटेड टू आब्सेन एक्ट्स) और 323 (परटेनिंग टू वालंटरी काज़िंग हर्ट) भी शामिल हैं. इसके अलावा उनपर प्रोहिबिशन ऑफ़ हेरेसमेंट ऑफ़ वुमन एक्ट और शेड्यूलड कास्ट्स/शेड्यूलड ट्राइब्स एक्ट (प्रिवेंशन ऑफ़ एट्रोकेसिज़) के तहत भी आरोप लगाए गए हैं.
पुलिस में दर्ज शिकायत में इस दलित लड़के ने अनेक लड़कों पर हमले का आरोप लगाया है जिन्होंने उसपर और उसकी दादी पर हमला किया था. इसके बाद दो लोग, इलिंगो और मनीकंथन और साथ में दो नाबालिग़ बच्चों को पुलिस हिरासत में ले लिया गया है. माता-पिता की मृत्यु के बाद दादी ही इस दलित लड़के की अभिवावक थीं. इस घटना के बाद लड़के और दादी दोनों को कुरूर सरकारी अस्पताल में मेडिकल देखरेख के लिए ट्रांसफ़र कर दिया गया है. हालांकि इस बीच पुलिस ने दावा किया है कि उनपर कोई हमला नहीं हुआ है.
इससे पहले त्रिनुवेली ज़िले के नानगुनेरी में भी एक ऐसी ही घटना सामने आई थी जहां एक लड़के ने दलित बच्चे को प्रताड़ित किया था. इस झड़प में उसकी छोटी बहन भी हिंसा की चपेट में आ गई थी.
वेल्लूर, तमिलनाडु
इसी तरह एक दूसरे मामले में शुक्रवार को तमिलनाडू पुलिस ने 6 नाबालिग़ लड़कों को 17 साल के दलित स्टूडेंट पर हमले में शामिल होने के लिए हिरासत में लिया है. इस मामले में 3 लड़कों द्वारा स्कूल में उत्पीड़न की शिकायत करने वाले ने स्कूल मैनेजमेंट से शिकायत की कि उसपर हंसिया से हमला किया गया है. इंडिया टूडे की रिपोर्ट के मुताबिक़ इस हमले के दौरान पीड़ित की बहन भी घायल हो गई.
घटना के बाद पीड़ित और उसकी बहन को अस्पताल पहुंचाया गया जहां डॉक्टरों ने घोषित किया कि वो ख़तरे के बाहर हैं. पीड़ित और उसकी बहन को इस असाल्ट के बाद काफ़ी चोटें आईं. फिर पीड़ित के परिवार ने अस्पताल के बाहर प्रोटेस्ट किया और हमलावरों के ख़िलाफ़ फ़ौरन कारवाई की मांग की.
तमिलनाडू के चीफ़ मनिस्टर एमके स्टॉलिन ने इस हमले की आलोचना करते हुए कहा कि-
“नानगुनेरी की ये घटना दिल दहला देने वाली है. इससे पता चलता है कि युवा विद्यार्थियों में कैसे जाति का ज़हर भरा हुआ है.” चीफ़ मनिस्टर ने पीड़ित की मां को सहयोग का आश्वासन देते हुए उसकी शिक्षा के लिए उचित सहयोग देने का वादा किया.
हमले करने वाले सभी 6 लड़के मारवार समुदाय के ताल्लुक़ रखते हैं जिनमें से 2 पीड़ित के क्लासमेट्स थे. पीड़ित ने जातिवादी टिप्पणियों का सामना किया था जिसके एवज़ उसे कई दिनों तक स्कूल भी छोड़ना पड़ा था. क्लासटीचर और हेडमिस्ट्रेस के आश्वासन के बावजूद हालत पेचीदा होते गए.
ये हत्यारे हंसिया से लैस थे जिन्होंने पीड़ित के घर में जबरन ही प्रवेश किया था जिसके बाद पीड़ित की बहन बीच-बचाव के लिए सामने आई थी. इसके बाद पुलिस ने संदिग्धों और उनसे जुड़े लोगों को हिरासत में ले लिया था. इन नाबालिग़ों को इंडियन पीनल कोड, जुवेनाइल जस्टिस एक्ट और शेड्यूल कास्ट्स /शेड्यूल ट्राइब्स (प्रिवेंशन ऑफ़ एटोक्रेसी) एक्ट आदि के तहत आरोपी ठहराया गया था.
घटनास्थल का एक फ़ैक्ट फ़ाइडिंग टीम ने मुआयना किया था. दलितों के अधिकार की पैरवी करने वाले एक संगठन ने बताया कि इन हमलावरों का हिंसा का साफ़ इरादा था. इस संगठन ने रिपोर्ट किया कि ये हमलावर हंसिया से लैस थे जिसमें से 3 ने इसका प्रताड़ित करने के दौरान इस्तेमाल भी किया.
ये कोई ऐसी अकेली घटना नहीं है. डेक्कन हेराल्ड के मुताबिक़ NGO के नेता ने नवंबर, 2022 से नवंबर 2023 के बीच शेड्यूल कास्ट और शेड्यूल ट्राइब्स (प्रिवेँशन ऑफ़ एटोक्रेसीज़) के तहत क़रीब 450 ऐसे मामले दर्ज किए गए हैं. इन विचलित करने वाले हादसों ने तमिलनाडू में जातीय हिंसा और भेदभाव की घटनाओं की तरफ ध्यान खींचा है. इन घटनाओं ने शैक्षणिक संस्थानों में दलित स्टूडेंट्स की सुरक्षा के प्रश्न को भी गहरा किया है. फ़िलहाल जारी जांच प्रक्रिया ने इंसाफ़ और एक बहुल समाज की तरफ़ ध्याना खींचा है जिससे सभी नागरिकों के अधिकार और सम्मान की सुरक्षा मुमकिन है.
सतारा, महाराष्ट्र
इसी तरह सतारा, महाराष्ट्र में भी ऐसी ही एक घटना हुई है जिसमें एक दलित महिला ने सार्वजनिक अपमान और उत्पीड़न का सामना किया है. उसका एकमात्र क़सूर ये था कि उसने उधार लिए पैसों को दोबारा वापस मांगने की हिम्मत की.
ये औरत सतारा के मान तालुका की निवासी है. उसने लोगों के एक समूह को कुछ पैसे उधार दिए थे. लेकिन वापसी की गुज़ारिश के बाद उसे मान तालुका में पानावन गांव में 4 हमलावरों के निर्मम हमले का शिकार होना पड़ा. इस विचलित करने वाली घटना को पहले एक वीडियो में रिकार्ड किया गया था. हमलावरों ने उसे प्रताड़ित करने के लिए नुकीले हथियारों का इस्तेमाल किया था और उसे सार्वजनिक स्थान पर पीटा और गाली दी थी. पुलिस ने शिकायत दायर कर दो संदिग्धों को गिरफ़्तार कर लिया. फिर भी दो अपराधी छूट गए हैं जिनकी पुलिस द्वारा तलाश जारी है. सतारा पुलिस सुप्रीटेंडेंट समीर शेख़ के अनुसार इस केस को SC/ST एटोक्रेसी एक्ट और IPC 354 के तहत दायर किया गया है.
गहरे पैठे जाति आधारित भेदभाव और हिंसा की ये घटनाएं समाज और देश में तेज़ी से फैल रही हैं. जहां क़ानूनी कारवाई इंसाफ़ की तरफ़ एक क़दम है वहीं सिस्टमेटिक बदलाव, शिक्षा और जागरूकता कैंपेन्स भी इस तरह के बढ़ते हुए भेदभाव पर क़ाबू करने की कोशिश कर रहे हैं जिससे इस तरह की हिंसा भड़क सकती है.
परबतसर, राजस्थान
दीदवाना कुचामन ज़िले के रणासर गांव में एक हिंसक झड़प के दौरान 2 दलित युवाओं की मौत हो गई और एक गंभीर घायल हो गया. ये सोमवार की घटना है जब हाइस्पीड बोलेरो जीप एक मोटरसाइकिल से टकरा गई. राजस्थान, नागौर के परबतसर में बीडियाड गांव के चुन्नीलाल और राजूराम एक धार्मिक मेले के बाद घर वापस जा रहे थे. फ़्री प्रेस जर्नल के मुताबिक़, रास्ते में एक होटल पर कुछ देर रूकने के दौरान इन लोगों की पुरूषों के एक समूह से मुठभेड़ हो गई थी. बाद में इस झड़प ने तेज़ी पकड़ ली जिसके बाद एक समूह ने इन लोगों का जानबूझकर पीछा किया और अपनी बोलेरो जीप से मोटरसाइकिल को टक्कर मार दी. इसके बाद राजूराम और चुन्नीलाल की मौक़े पर ही असमय मौत हो गई. एक अन्य युवक कृष्णराम भी इस घटना के दौरान घायल हो गया. पुलिस ने इन अपराधियों के ख़िलाफ़ जांच शुरू कर उन्हें हिरासत में ले लिया है. मृत लोगों के परिवारजनों ने इस दुखद घटना के बाद CBI जांच की मांग भी की है. टाइम्स नॉउ की रिपोर्ट के मुताबिक़ इस वाहन ने पीड़ितों को इतनी जोरदार टक्कर मारी कि घटनास्थल पर पैरों को शरीर से अलग पाया गया था.
CJP के मुताबिक़ NCRB रिपोर्ट के डाटा के अनुसार 2021 में शेड्यूल कास्ट्स के प्रति अपराधों में कुल 1.2 प्रतिशत का उछाल आया है. जिसके बाद ऐसे मामलों की संख्या 2020 में 50,291 से बढ़कर अब 50,900 हो गई है. इससे भारत में दलितों की बदहाल दशा उजागर होती है.
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पूरे देश में दलित समुदाय पर हिंसा का दौर बेरोक-टोक जारी है. जाति आधारित हिंसा की अनेक घटनाओं ने देश को अपनी चपेट में ले रखा है. इसके अलावा तमिलनाडू में इस महीने में दलित छात्रों पर हमले की दो अन्य घटनाएं भी हुई हैं जिसने देश भर का ध्यान अपनी तरफ़ खींचा है.
करूर, तमिलनाडु
एक युवा लड़के और उसकी दादी पर पिछले हफ़्ते करूर में भयानक हमला किया गया. पुलिस के मुताबिक़ ये 14 साल का दलित लड़का एक मध्यवर्गीय जाति से ताल्लुक़ रखने वाले वाले लड़के से बहस कर रहा था, जिसके बाद सरकारी स्कूल बस में एक बवाल खड़ा हो गया. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक़ 20 लड़कों ने दलित लड़के के घर जाकर उसे और उसकी दादी को प्रताड़ित किया
इस मामले में आरोपियों को इंडियन पीनल कोड के अनेक प्रावधानों के तहत दोषी ठहराया गया है. जिसमें 294 B (रिलेटेड टू आब्सेन एक्ट्स) और 323 (परटेनिंग टू वालंटरी काज़िंग हर्ट) भी शामिल हैं. इसके अलावा उनपर प्रोहिबिशन ऑफ़ हेरेसमेंट ऑफ़ वुमन एक्ट और शेड्यूलड कास्ट्स/शेड्यूलड ट्राइब्स एक्ट (प्रिवेंशन ऑफ़ एट्रोकेसिज़) के तहत भी आरोप लगाए गए हैं.
पुलिस में दर्ज शिकायत में इस दलित लड़के ने अनेक लड़कों पर हमले का आरोप लगाया है जिन्होंने उसपर और उसकी दादी पर हमला किया था. इसके बाद दो लोग, इलिंगो और मनीकंथन और साथ में दो नाबालिग़ बच्चों को पुलिस हिरासत में ले लिया गया है. माता-पिता की मृत्यु के बाद दादी ही इस दलित लड़के की अभिवावक थीं. इस घटना के बाद लड़के और दादी दोनों को कुरूर सरकारी अस्पताल में मेडिकल देखरेख के लिए ट्रांसफ़र कर दिया गया है. हालांकि इस बीच पुलिस ने दावा किया है कि उनपर कोई हमला नहीं हुआ है.
इससे पहले त्रिनुवेली ज़िले के नानगुनेरी में भी एक ऐसी ही घटना सामने आई थी जहां एक लड़के ने दलित बच्चे को प्रताड़ित किया था. इस झड़प में उसकी छोटी बहन भी हिंसा की चपेट में आ गई थी.
वेल्लूर, तमिलनाडु
इसी तरह एक दूसरे मामले में शुक्रवार को तमिलनाडू पुलिस ने 6 नाबालिग़ लड़कों को 17 साल के दलित स्टूडेंट पर हमले में शामिल होने के लिए हिरासत में लिया है. इस मामले में 3 लड़कों द्वारा स्कूल में उत्पीड़न की शिकायत करने वाले ने स्कूल मैनेजमेंट से शिकायत की कि उसपर हंसिया से हमला किया गया है. इंडिया टूडे की रिपोर्ट के मुताबिक़ इस हमले के दौरान पीड़ित की बहन भी घायल हो गई.
घटना के बाद पीड़ित और उसकी बहन को अस्पताल पहुंचाया गया जहां डॉक्टरों ने घोषित किया कि वो ख़तरे के बाहर हैं. पीड़ित और उसकी बहन को इस असाल्ट के बाद काफ़ी चोटें आईं. फिर पीड़ित के परिवार ने अस्पताल के बाहर प्रोटेस्ट किया और हमलावरों के ख़िलाफ़ फ़ौरन कारवाई की मांग की.
तमिलनाडू के चीफ़ मनिस्टर एमके स्टॉलिन ने इस हमले की आलोचना करते हुए कहा कि-
“नानगुनेरी की ये घटना दिल दहला देने वाली है. इससे पता चलता है कि युवा विद्यार्थियों में कैसे जाति का ज़हर भरा हुआ है.” चीफ़ मनिस्टर ने पीड़ित की मां को सहयोग का आश्वासन देते हुए उसकी शिक्षा के लिए उचित सहयोग देने का वादा किया.
हमले करने वाले सभी 6 लड़के मारवार समुदाय के ताल्लुक़ रखते हैं जिनमें से 2 पीड़ित के क्लासमेट्स थे. पीड़ित ने जातिवादी टिप्पणियों का सामना किया था जिसके एवज़ उसे कई दिनों तक स्कूल भी छोड़ना पड़ा था. क्लासटीचर और हेडमिस्ट्रेस के आश्वासन के बावजूद हालत पेचीदा होते गए.
ये हत्यारे हंसिया से लैस थे जिन्होंने पीड़ित के घर में जबरन ही प्रवेश किया था जिसके बाद पीड़ित की बहन बीच-बचाव के लिए सामने आई थी. इसके बाद पुलिस ने संदिग्धों और उनसे जुड़े लोगों को हिरासत में ले लिया था. इन नाबालिग़ों को इंडियन पीनल कोड, जुवेनाइल जस्टिस एक्ट और शेड्यूल कास्ट्स /शेड्यूल ट्राइब्स (प्रिवेंशन ऑफ़ एटोक्रेसी) एक्ट आदि के तहत आरोपी ठहराया गया था.
घटनास्थल का एक फ़ैक्ट फ़ाइडिंग टीम ने मुआयना किया था. दलितों के अधिकार की पैरवी करने वाले एक संगठन ने बताया कि इन हमलावरों का हिंसा का साफ़ इरादा था. इस संगठन ने रिपोर्ट किया कि ये हमलावर हंसिया से लैस थे जिसमें से 3 ने इसका प्रताड़ित करने के दौरान इस्तेमाल भी किया.
ये कोई ऐसी अकेली घटना नहीं है. डेक्कन हेराल्ड के मुताबिक़ NGO के नेता ने नवंबर, 2022 से नवंबर 2023 के बीच शेड्यूल कास्ट और शेड्यूल ट्राइब्स (प्रिवेँशन ऑफ़ एटोक्रेसीज़) के तहत क़रीब 450 ऐसे मामले दर्ज किए गए हैं. इन विचलित करने वाले हादसों ने तमिलनाडू में जातीय हिंसा और भेदभाव की घटनाओं की तरफ ध्यान खींचा है. इन घटनाओं ने शैक्षणिक संस्थानों में दलित स्टूडेंट्स की सुरक्षा के प्रश्न को भी गहरा किया है. फ़िलहाल जारी जांच प्रक्रिया ने इंसाफ़ और एक बहुल समाज की तरफ़ ध्याना खींचा है जिससे सभी नागरिकों के अधिकार और सम्मान की सुरक्षा मुमकिन है.
सतारा, महाराष्ट्र
इसी तरह सतारा, महाराष्ट्र में भी ऐसी ही एक घटना हुई है जिसमें एक दलित महिला ने सार्वजनिक अपमान और उत्पीड़न का सामना किया है. उसका एकमात्र क़सूर ये था कि उसने उधार लिए पैसों को दोबारा वापस मांगने की हिम्मत की.
ये औरत सतारा के मान तालुका की निवासी है. उसने लोगों के एक समूह को कुछ पैसे उधार दिए थे. लेकिन वापसी की गुज़ारिश के बाद उसे मान तालुका में पानावन गांव में 4 हमलावरों के निर्मम हमले का शिकार होना पड़ा. इस विचलित करने वाली घटना को पहले एक वीडियो में रिकार्ड किया गया था. हमलावरों ने उसे प्रताड़ित करने के लिए नुकीले हथियारों का इस्तेमाल किया था और उसे सार्वजनिक स्थान पर पीटा और गाली दी थी. पुलिस ने शिकायत दायर कर दो संदिग्धों को गिरफ़्तार कर लिया. फिर भी दो अपराधी छूट गए हैं जिनकी पुलिस द्वारा तलाश जारी है. सतारा पुलिस सुप्रीटेंडेंट समीर शेख़ के अनुसार इस केस को SC/ST एटोक्रेसी एक्ट और IPC 354 के तहत दायर किया गया है.
गहरे पैठे जाति आधारित भेदभाव और हिंसा की ये घटनाएं समाज और देश में तेज़ी से फैल रही हैं. जहां क़ानूनी कारवाई इंसाफ़ की तरफ़ एक क़दम है वहीं सिस्टमेटिक बदलाव, शिक्षा और जागरूकता कैंपेन्स भी इस तरह के बढ़ते हुए भेदभाव पर क़ाबू करने की कोशिश कर रहे हैं जिससे इस तरह की हिंसा भड़क सकती है.
परबतसर, राजस्थान
दीदवाना कुचामन ज़िले के रणासर गांव में एक हिंसक झड़प के दौरान 2 दलित युवाओं की मौत हो गई और एक गंभीर घायल हो गया. ये सोमवार की घटना है जब हाइस्पीड बोलेरो जीप एक मोटरसाइकिल से टकरा गई. राजस्थान, नागौर के परबतसर में बीडियाड गांव के चुन्नीलाल और राजूराम एक धार्मिक मेले के बाद घर वापस जा रहे थे. फ़्री प्रेस जर्नल के मुताबिक़, रास्ते में एक होटल पर कुछ देर रूकने के दौरान इन लोगों की पुरूषों के एक समूह से मुठभेड़ हो गई थी. बाद में इस झड़प ने तेज़ी पकड़ ली जिसके बाद एक समूह ने इन लोगों का जानबूझकर पीछा किया और अपनी बोलेरो जीप से मोटरसाइकिल को टक्कर मार दी. इसके बाद राजूराम और चुन्नीलाल की मौक़े पर ही असमय मौत हो गई. एक अन्य युवक कृष्णराम भी इस घटना के दौरान घायल हो गया. पुलिस ने इन अपराधियों के ख़िलाफ़ जांच शुरू कर उन्हें हिरासत में ले लिया है. मृत लोगों के परिवारजनों ने इस दुखद घटना के बाद CBI जांच की मांग भी की है. टाइम्स नॉउ की रिपोर्ट के मुताबिक़ इस वाहन ने पीड़ितों को इतनी जोरदार टक्कर मारी कि घटनास्थल पर पैरों को शरीर से अलग पाया गया था.
CJP के मुताबिक़ NCRB रिपोर्ट के डाटा के अनुसार 2021 में शेड्यूल कास्ट्स के प्रति अपराधों में कुल 1.2 प्रतिशत का उछाल आया है. जिसके बाद ऐसे मामलों की संख्या 2020 में 50,291 से बढ़कर अब 50,900 हो गई है. इससे भारत में दलितों की बदहाल दशा उजागर होती है.
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