कोविड-19 लॉकडाउन के दौरान भी ईसाइयों के खिलाफ हिंसा जारी रही: रिपोर्ट

Written by Sabrangindia Staff | Published on: January 16, 2021
रिलीजियस लिबर्टी कमीशन की वार्षिक रिपोर्ट में यूपी, छत्तीसगढ़, झारखंड, एमपी और तमिलनाडु सबसे खराब रिकॉर्ड वाले राज्य हैं



भारत में ईसाइयों के खिलाफ नफरत और लक्षित हिंसा नामक एक रिपोर्ट में पाया गया है कि भारत की ईसाई अल्पसंख्यक आबादी पर हमले जारी रहे। इतना ही नहीं कोविड-19 लॉकडाउन के दौरान इसमें वृद्धि हुई।

Evangelical फाउंडेशन ऑफ इंडिया की धार्मिक लिबर्टी कमीशन की 2020 की वार्षिक रिपोर्ट में धार्मिक अल्पसंख्यकों के लिए नफरत के माहौल का उल्लेख किया गया है। इसमें कहा गया है, “जबकि मुस्लिम मुख्य लक्ष्य थे, देशभर के कई राज्यों में ईसाई विशेष रूप से पादरियों को हिंसा का सामना करना पड़ा। उनके पूजा स्थलों पर हमला किया गया। राजनीतिक उत्तेजना, पुलिस की अकार्यकुशलता के चलते सतर्कता समूहों ने कोविड-19 के पीक के दौरान देश के कई हिस्सों में कई ईसाई समुदायों के अनुभव को चिह्नित किया।”

इस रिपोर्ट में आगे कहा गया है, "रिलीजियस लिबर्टी कमिशन ने ईएफआई और अन्य ईसाई एजेंसियों के साथ मिलकर पांच साल पहले एक राष्ट्रीय हेल्पलाइन की सह-स्थापना की। इसमें 327 मामलों का दस्तावेजीकरण किया, जिनमें करीब पांच लोगों की जान चली गई, कम से कम छह चर्चों को जला दिया गया या ध्वस्त कर दिया गया। साथ ही इसमें सामाजिक बहिष्कार की 26 घटनाएं दर्ज की गईं। यह किसी भी तरह की घटनाओं की एक विस्तृत सूची नहीं है, क्योंकि बहुत सारे लोग आगे के डर की वजह से धार्मिक उत्पीड़न के मामलों को दर्ज कराने में संकोच या स्पष्ट रूप से मना करते हैं।”

रिपोर्ट उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड, मध्य प्रदेश और तमिलनाडु को कुछ ऐसे राज्यों के रूप में सूचीबद्ध करती है, जहां ईसाईयों के खिलाफ हिंसा के सबसे अधिक मामले दर्ज किए गए हैं। इसमें कहा गया है, “उत्तर प्रदेश एक बार फिर उन क्षेत्रों की सूची में शामिल हो गया है जहाँ ईसाई अल्पसंख्यकों को सबसे अधिक निशाना बनाया गया है। आरएलसी ने 2020 में राज्य में ईसाई समुदाय के खिलाफ 95 घटनाएं दर्ज कीं।”

पूरी रिपोर्ट यहां पढ़ी जा सकती है:

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