खालिद सैफी और इशरत जहां को दिल्ली पुलिस द्वारा झूठे मामलों में फंसाने के विरुद्ध निंदा प्रस्ताव

Written by Sabrangindia Staff | Published on: March 23, 2020
मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को लगातार प्रताड़ित करने औऱ झूठे मामलों में फंसाने का खुलासा



शनिवार 21 मार्च को कड़कड़डूमा कोर्ट में इशरत जहां औऱ खालिद सैफी के जमानत आवेदन पर आदेश आऩा लंबित था। यह आदेश देर से आया जिसमें इशरत जहां को तो जमानत दे दी गई लेकिन खालिद सैफी को जांच अधूरी होने का हवाला देते हुए जमानत नहीं मिली। 

लेकिन इस बीच दिल्ली पुलिस की विशेष शाखा ने आश्चर्यजनक तरीके से खालिद सैफी और इशरत जहां के विरुद्ध एक अन्य मामला दायर कर दिया और इसमें कहा गया है कि वे पूरी दिल्ली में जो हिंसा हुई है, उसके मास्टरमाइंड हैं। उन्हें पटियाला हाउस कोर्ट में उनकी तरफ से किसी वकील की उपस्थिति के बगैर पेश कर दिया गया और स्पेशल सेल ने एकतरफा उनकी छह दिन की पुलिस रिमांड ले ली। 

यूनाइटेड अगेंस्ट हेट ने इस मामले में दिल्ली पुलिस पर आरोप लगाया है कि दोनों को झूठे मुकदमे लादकर जेल भेजा गया। इसके साथ ही खालिद सैफी और इशरत जहां की तत्काल रिहाई की मांग करते हुए कहा कि दिल्ली हिंसा की जांच के लिए उच्च न्यायालय के न्यायधीश के मार्गदर्शन में एक स्वतंत्र जांच दल बनाकर जांच कराई जाए। 

बता दें कि 26 फरवरी को खालिद सैफी को जगतपुरी पुलिस ने गिरफ्तार किया था और उन्हें थाने के अंदर निर्ममता से प्रताड़ित किया गया था। खालिद आज भी व्हीलचेयर पर चल रहे हैं और उनके पैर में फ्रैक्चर व गंभीर चोट हैं। खालिद का स्वास्थ्य दिनोंदिन खराब रो रहा है क्योंकि उन्हें कई जगह चोट हैं और वह पहले से डायबिटीज की बीमारी से जूझ रहे हैं। दिल्ली पुलिस कुतर्क कर रही है कि यदि खालिद को चोट लगी थी तो उन्होंने पहली पेशी के दौरान जिक्र क्यों नहीं किया। जबकि हकीकत यह है कि खालिद सैफी की पहली पेशी कोर्ट के कमरे में नहीं बल्कि कोर्ट परिसर की पार्किंग में की गई थी जहां पर किसी भी वकील को पहुंचने की अनुमति नहीं थी। 

यूनाइटेड अगेंस्ट हेट ने निंदा प्रस्ताव में कहा कि यह सभी जानते हैं कि 23 से 25 फरवरी के बीच दिल्ली में हुई भयानक हिंसा और लूटमार में शामिल संघी गुंडों को पकड़ने से दिल्ली पुलिस परहेज कर रही है और अब इन मामलों में झूठे तरीके से सामाजिक व मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को फंसाया जा रहा है।

हम दिल्ली पुलिस के ऐसे झूठे आक्रामक और फर्जी कार्यों का विरोध करते हैं क्योंकि इससे न केवल वास्तविक अपराधी छूट रहे हैं बल्कि समाज के लिए काम करने वालों को प्रताड़ित किया जा रहा है। 

जब देश एक भीषण स्वास्थ्य के संकट से गुजर रहा है, जब लोगों को आम स्थानों पर जाने से रोका जा रहा है, जब अदालतें न्यूनतम काम कर रही हैं, तब ऐसी परिस्थिति में मानव अधिकार औऱ सामाजिक कार्यकर्ताओं को पुलिस द्वारा गलत तरीके से गिरफ्तार करना और उन्हें जरूरी न्यायिक सुविधाएं उपलब्ध न कराना बेहद शर्मनाक है। 

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