उदयपुर में आदिवासी बच्चियों को नहीं मिल रहा इंसाफ

Written by Mahendra Narayan Singh Yadav | Published on: August 9, 2018
राजस्थान में छत्तीसगढ़ की ही तरह आदिवासी लड़कियों का शोषण बहुत आम बात हो चुकी है। खास बात यह भी है कि अगर ये लड़कियां कानून से मदद मांगने जाती भी हैं तो भी इनको न्याय नहीं मिलता।

Adivasi girl child

पत्रिका की रिपोर्ट के मुताबिक, उदयपुर जिले में बलात्कार और पॉक्सो एक्ट के मामलों में मुश्किल से 30 प्रतिशत में ही सज़ा हो पा रही है, जबकि ऐसे मामले लगातार सामने आते रहते हैं।

उदयपुर जिले के पॉक्सो एक्ट मामले सबसे ज्यादा झाड़ोल, कोटड़ा और ऋषभदेव से सामने आए हैं।

आदिवासी बच्चियों को काम के बहाने गुजरात ले जाना और फिर वहां यौन शोषण करना आम बात है। मामला पुलिस तक जाता भी है तो समझौता करके मामला रफा-दफा करने का दबाव पड़ने लगता है।

रिपोर्ट के मुताबिक, मजदूरी के लिए गुजरात जाने वाली आदिवासी बच्चियों के शोषण की घटनाएं लगातार बढ़ रही है। उन्हें मजदूरी के लिए गुजरात ले जाने वाले दलाल इनका सौदा करते हैं। ऐसे कई मामले सामने आ चुके हैं, लेकिन इन्हें रोकने की कोई कारगर कोशिश नहीं होती।

कुछ पीडि़ताओं ने गुजरात और उदयपुर में पुलिस में मामले दर्ज भी कराए लेकिन गरीबी के कारण उनका बार-बार पेशियों पर आ पाना ही मुमकिन नहीं हो पाता और ऐसे में आरोपी आराम से बच निकलते हैं।

रिपोर्ट में बताया गया है कि गुजरात में बीटी कॉटन की खेती और जीनिंग के लिए दक्षिण राजस्थान के डूंगरपुर, उदयपुर और बांसवाड़ा जिले से हर साल पंद्रह से बीस साल की बच्चियां और युवतियां लाई जाती हैं। गुजरात की पुलिस वहां मामले दर्ज करने से बचती है। कोई मामला दर्ज होता भी है तो उनमें पीड़िताओं को बार-बार थाने बुलाया जाता है जिससे परेशान होकर वे समझौता करना ही उचित मानती है।

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