प्रयागराज। भारत में प्रतिभाओं की कमी नहीं है लेकिन प्रशासनिक मदद की वजह से प्रतिभाएं सिमट कर रह जाती हैं। ऐसी ही एक लड़की है मुस्कान यादव। मुस्कान यादव का सॉफ्ट टेनिस की वर्ल्ड चैंपियनशिप के लिए भारतीय टीम में चयन होने के बावजूद गोल्डन गर्ल का चेहरा इन दिनों मुरझाया हुआ है। निम्न मध्यमवर्गीय परिवार की इलाहाबाद विश्वविद्यालय में बीएससी प्रथम वर्ष की छात्रा मुस्कान यादव आर्थिक सहयोग के लिए मंगलवार को डीएसडब्ल्यू कार्यालय पहुंची और जब मदद का कोई ठोस आश्वासन नहीं मिला तो वह फफक कर रो पड़ी।
गोविंदपुर में अप्ट्रॉन चौराहे पर चाय-पान की दुकान लगाने वाले अमर सिंह यादव के छह बच्चों में चौथे नंबर की मुस्कान को सॉफ्ट टेनिस वर्ल्ड चैंपियनशिप के लिए चीन जाना है। एमेच्योर साफ्ट टेनिस फेडरेशन ऑफ इंडिया की ओर से स्टेट फेडरेशन को भारतीय टीम में चयनित सदस्यों के नाम भेजे गए हैं और कहा गया कि प्रत्येक सदस्य के रहने, खाने-पीने, वीजा आदि के लिए एक लाख 20 हजार रुपये जमा करा दें। मुस्कान को फेडरेशन और सरकार से कोई मदद नहीं मिली तो वह मंगलवार को इलाहाबाद विश्वविद्यालय (इविवि) के डीएसडब्ल्यू कार्यालय पहुंची।
मुस्कान ने इविवि प्रशासन से आर्थिक सहयोग मांगा, लेकिन विश्वविद्यालय प्रशासन के सामने इस तरह का पहला मामला सामने आया, सो डीएसडब्ल्यू प्रो. हर्ष कुमार ने मुस्कान का आवेदन उच्चाधिकारियों के पास भेज दिया। अब कुलपति ही इस पर कोई निर्णय लेंगे और मुस्कान को 20 सितंबर तक धनराशि जमा करनी है। अगर उसे मदद नहीं मिली तो वह अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत का प्रतिनिधित्व करने से वंचित रह जाएगी। यह चैंपियनशिप चीन में 25 अक्तूबर से एक नवंबर तक आयोजित की जानी है।
मुस्कान को 13 से 17 अक्तूबर तक अहमदाबाद में आयोजित होने जा रही पहली साउथ एशियन सॉफ्ट टेनिस चैंपियनशिप के लिए भी यूपी में अकेले चुना गया है। इससे पूर्व मुस्कान ने नवंबर 2018 में कोरिया में आयोजित थर्ड जूनियर सॉफ्ट टेनिस चैंपियनशिप में चौथा स्थान स्थान हासिल किया था जबकि इस वर्ष 23 से 31 मार्च तक लखनऊ में आयोजित 16वीं सीनियर सॉफ्ट टेनिस चैंपियनशिप में व्यक्तिगत और टीम स्पर्धा दोनों में गोल्ड मेडल जीता था।
मुस्कान के लिए छात्र जुटा रहे चंदा
मुस्कान को आर्थिक सहयोग दिलाने के लिए मंगलवार को पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष ऋचा सिंह, निवर्तमान उपाध्यक्ष अखिलेश यादव समेत तमाम छात्रों ने डीएसडब्ल्यू से मुलाकात की। उन्होंने कहा कि जब छात्रों की फीस में स्पोर्ट्स के नाम पर 50 रुपये, गरीब छात्र के नाम पर दस रुपये लिए जाते हैं तो इस धनराशि से मुस्कान की मदद क्यों नहीं की जा रही है। बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ और खेलो इंडिया जैसी खोखली योजनाएं विश्वविद्यालय एवं स्टेट फेडरेशन के रवैये से अपने मूल रूप में दिख गई। छात्र ने कहा कि विश्वविद्यालय प्रशासन मदद नहीं करता है तो वे चंदा जुटाएंगे। छात्रों ने चंदा जुटाने का काम भी शुरू कर दिया और तमाम लोग मुस्कान की मदद के लिए आगे भी आए हैं। छात्रों ने अपील की है कि शहर के नागरिक मुस्कान की मदद के लिए आगे आएं।
गोविंदपुर में अप्ट्रॉन चौराहे पर चाय-पान की दुकान लगाने वाले अमर सिंह यादव के छह बच्चों में चौथे नंबर की मुस्कान को सॉफ्ट टेनिस वर्ल्ड चैंपियनशिप के लिए चीन जाना है। एमेच्योर साफ्ट टेनिस फेडरेशन ऑफ इंडिया की ओर से स्टेट फेडरेशन को भारतीय टीम में चयनित सदस्यों के नाम भेजे गए हैं और कहा गया कि प्रत्येक सदस्य के रहने, खाने-पीने, वीजा आदि के लिए एक लाख 20 हजार रुपये जमा करा दें। मुस्कान को फेडरेशन और सरकार से कोई मदद नहीं मिली तो वह मंगलवार को इलाहाबाद विश्वविद्यालय (इविवि) के डीएसडब्ल्यू कार्यालय पहुंची।
मुस्कान ने इविवि प्रशासन से आर्थिक सहयोग मांगा, लेकिन विश्वविद्यालय प्रशासन के सामने इस तरह का पहला मामला सामने आया, सो डीएसडब्ल्यू प्रो. हर्ष कुमार ने मुस्कान का आवेदन उच्चाधिकारियों के पास भेज दिया। अब कुलपति ही इस पर कोई निर्णय लेंगे और मुस्कान को 20 सितंबर तक धनराशि जमा करनी है। अगर उसे मदद नहीं मिली तो वह अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत का प्रतिनिधित्व करने से वंचित रह जाएगी। यह चैंपियनशिप चीन में 25 अक्तूबर से एक नवंबर तक आयोजित की जानी है।
मुस्कान को 13 से 17 अक्तूबर तक अहमदाबाद में आयोजित होने जा रही पहली साउथ एशियन सॉफ्ट टेनिस चैंपियनशिप के लिए भी यूपी में अकेले चुना गया है। इससे पूर्व मुस्कान ने नवंबर 2018 में कोरिया में आयोजित थर्ड जूनियर सॉफ्ट टेनिस चैंपियनशिप में चौथा स्थान स्थान हासिल किया था जबकि इस वर्ष 23 से 31 मार्च तक लखनऊ में आयोजित 16वीं सीनियर सॉफ्ट टेनिस चैंपियनशिप में व्यक्तिगत और टीम स्पर्धा दोनों में गोल्ड मेडल जीता था।
मुस्कान के लिए छात्र जुटा रहे चंदा
मुस्कान को आर्थिक सहयोग दिलाने के लिए मंगलवार को पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष ऋचा सिंह, निवर्तमान उपाध्यक्ष अखिलेश यादव समेत तमाम छात्रों ने डीएसडब्ल्यू से मुलाकात की। उन्होंने कहा कि जब छात्रों की फीस में स्पोर्ट्स के नाम पर 50 रुपये, गरीब छात्र के नाम पर दस रुपये लिए जाते हैं तो इस धनराशि से मुस्कान की मदद क्यों नहीं की जा रही है। बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ और खेलो इंडिया जैसी खोखली योजनाएं विश्वविद्यालय एवं स्टेट फेडरेशन के रवैये से अपने मूल रूप में दिख गई। छात्र ने कहा कि विश्वविद्यालय प्रशासन मदद नहीं करता है तो वे चंदा जुटाएंगे। छात्रों ने चंदा जुटाने का काम भी शुरू कर दिया और तमाम लोग मुस्कान की मदद के लिए आगे भी आए हैं। छात्रों ने अपील की है कि शहर के नागरिक मुस्कान की मदद के लिए आगे आएं।