इतिहास विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. विक्रम हरिजन ने कहा कि अगर कोई जातिगत भेदभाव और अंधविश्वास को बढ़ावा देता है तो हम उस पर जरुर बोलेंगे।
साभार : द मूकनायक
इलाहाबाद विश्वविद्यालय में मध्यकालीन एवं आधुनिक इतिहास विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. विक्रम हरिजन को देवी-देवताओं के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी करने के मामले में विश्वविद्यालय की ओर से नोटिस दी गई है। टिप्पणी करने पर प्रोफेसर के खिलाफ कार्रवाई करने की हिदायत दी गई है।
द मूकनायक की रिपोर्ट के अनुसार, पूर्व में प्रो. विक्रम द्वारा सोशल मीडिया पर हिन्दू देवी-देवताओं पर एक टिप्पणी की गई थी, जिसके बाद सोशल मीडिया पर हंगामा खड़ा हो गया था। आरोप था कि उनकी टिप्पणी से हिन्दू धर्म के लोगों की भावना आहत हुई है। हालांकि, बाद में प्रोफेसर द्वारा माफी भी मांगी गई थी।
रिपोर्ट के अनुसार, प्रो. विक्रम द्वारा फिर इस तरह की कोई टिप्पणी न की जाए इसलिए 3 अक्टूबर को कुलपति प्रो. संगीता श्रीवास्तव की अध्यक्षा में कार्य परिषद की बैठक हुई। इसमें यह निर्णय लिया गया कि विश्वविद्यालय की छवि बिगाड़ने में यदि विश्वविद्यालय के किसी शिक्षक या कर्मचारी की संलिप्तता पाई जाती है तो उन्हें सेवानिवृत्ति पर ग्रेच्युटी का लाभ नहीं दिया जाएगा। साथ ही यह भी कहा गया था कि विश्वविद्यालय के कर्मचारी कुलपति की ओर से अनुमोदन के बाद ही सोशल मीडिया पर विश्वविद्यालय के बारे में लिख सकेंगे। इस बैठक में निर्णय लिया गया था कि देवी-देवताओं के खिलाफ अपमानजनक बयान देने के मामले में असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. विक्रम हरिजन को चेतावनी जारी की जाएगी।
ज्ञात हो कि 14 नवंबर को विश्वविद्यालय के रजिस्टार प्रो. आशीष खरे द्वारा जारी एक पत्र के जरिए असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. विक्रम हरिजन को चेतावनी दी गई। इस पत्र में कहा गया कि कार्यकारिणी परिषद ने आपको चेतावनी दी है कि भविष्य में ऐसी गतिविधियों से बचें तथा धर्म एवं संस्कृति जैसे संवेदनशील मुद्दों के संबंध में किसी भी सार्वजनिक या सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर किसी भी प्रकार की भड़काऊ टिप्पणी न करें, क्योंकि इससे विश्वविद्यालय की छवि खराब हो सकती है, यदि भविष्य में आप सोशल मीडिया/प्रिंट मीडिया पर ऐसी निन्दात्मक टिप्पणियां लिखते रहेंगे तो विश्वविद्यालय प्रक्रिया के अनुसार आपके विरुद्ध कठोर अनुशासनात्मक कार्रवाई करने के लिए बाध्य होगा।
इस मामले को लेकर द मूकनायक ने प्रोफेसर डॉ. विक्रम हरिजन से बात की। उन्होंने बताया कि, "यदि धर्म, जाति को अन्धविश्वास को बढ़ावा देगा तो मैं उस पर जरुर बोलूंगा और बोल भी रहा हूं। ऐसा नहीं है कि नोटिस मिलने के बाद मैं रुक गया हूं।"
उन्होंने आगे कहा कि, "किसी एक धर्म के खिलाफ ही नहीं मैं उन सभी धर्मों के खिलाफ बोलता हूं जो जातिगत भेदभाव को बढ़ावा देते हैं। मैंने एक पाठ्यक्रम बनाया है जिसमें एक सेगमेंट है - Religion in Marginal communities. मैं पढ़ाता हूं कि हर धर्म में जो मार्जिनल कम्युनिटीज, हाशिए के लोग हैं उनको कोई जगह ही नहीं मिली है न हिन्दू धर्म में, न इस्लाम में, न सिक्ख में उनके लिए जगह है"।
साभार : द मूकनायक
इलाहाबाद विश्वविद्यालय में मध्यकालीन एवं आधुनिक इतिहास विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. विक्रम हरिजन को देवी-देवताओं के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी करने के मामले में विश्वविद्यालय की ओर से नोटिस दी गई है। टिप्पणी करने पर प्रोफेसर के खिलाफ कार्रवाई करने की हिदायत दी गई है।
द मूकनायक की रिपोर्ट के अनुसार, पूर्व में प्रो. विक्रम द्वारा सोशल मीडिया पर हिन्दू देवी-देवताओं पर एक टिप्पणी की गई थी, जिसके बाद सोशल मीडिया पर हंगामा खड़ा हो गया था। आरोप था कि उनकी टिप्पणी से हिन्दू धर्म के लोगों की भावना आहत हुई है। हालांकि, बाद में प्रोफेसर द्वारा माफी भी मांगी गई थी।
रिपोर्ट के अनुसार, प्रो. विक्रम द्वारा फिर इस तरह की कोई टिप्पणी न की जाए इसलिए 3 अक्टूबर को कुलपति प्रो. संगीता श्रीवास्तव की अध्यक्षा में कार्य परिषद की बैठक हुई। इसमें यह निर्णय लिया गया कि विश्वविद्यालय की छवि बिगाड़ने में यदि विश्वविद्यालय के किसी शिक्षक या कर्मचारी की संलिप्तता पाई जाती है तो उन्हें सेवानिवृत्ति पर ग्रेच्युटी का लाभ नहीं दिया जाएगा। साथ ही यह भी कहा गया था कि विश्वविद्यालय के कर्मचारी कुलपति की ओर से अनुमोदन के बाद ही सोशल मीडिया पर विश्वविद्यालय के बारे में लिख सकेंगे। इस बैठक में निर्णय लिया गया था कि देवी-देवताओं के खिलाफ अपमानजनक बयान देने के मामले में असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. विक्रम हरिजन को चेतावनी जारी की जाएगी।
ज्ञात हो कि 14 नवंबर को विश्वविद्यालय के रजिस्टार प्रो. आशीष खरे द्वारा जारी एक पत्र के जरिए असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. विक्रम हरिजन को चेतावनी दी गई। इस पत्र में कहा गया कि कार्यकारिणी परिषद ने आपको चेतावनी दी है कि भविष्य में ऐसी गतिविधियों से बचें तथा धर्म एवं संस्कृति जैसे संवेदनशील मुद्दों के संबंध में किसी भी सार्वजनिक या सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर किसी भी प्रकार की भड़काऊ टिप्पणी न करें, क्योंकि इससे विश्वविद्यालय की छवि खराब हो सकती है, यदि भविष्य में आप सोशल मीडिया/प्रिंट मीडिया पर ऐसी निन्दात्मक टिप्पणियां लिखते रहेंगे तो विश्वविद्यालय प्रक्रिया के अनुसार आपके विरुद्ध कठोर अनुशासनात्मक कार्रवाई करने के लिए बाध्य होगा।
इस मामले को लेकर द मूकनायक ने प्रोफेसर डॉ. विक्रम हरिजन से बात की। उन्होंने बताया कि, "यदि धर्म, जाति को अन्धविश्वास को बढ़ावा देगा तो मैं उस पर जरुर बोलूंगा और बोल भी रहा हूं। ऐसा नहीं है कि नोटिस मिलने के बाद मैं रुक गया हूं।"
उन्होंने आगे कहा कि, "किसी एक धर्म के खिलाफ ही नहीं मैं उन सभी धर्मों के खिलाफ बोलता हूं जो जातिगत भेदभाव को बढ़ावा देते हैं। मैंने एक पाठ्यक्रम बनाया है जिसमें एक सेगमेंट है - Religion in Marginal communities. मैं पढ़ाता हूं कि हर धर्म में जो मार्जिनल कम्युनिटीज, हाशिए के लोग हैं उनको कोई जगह ही नहीं मिली है न हिन्दू धर्म में, न इस्लाम में, न सिक्ख में उनके लिए जगह है"।