सुप्रीम कोर्ट पहुंचा जामिया में हिंसा का मामला, सुनवाई कल

Written by sabrang india | Published on: December 16, 2019
नई दिल्ली। सिटीजनशिप अमेंडमेंट एक्ट के खिलाफ दिल्ली स्थित जामिया मिलिया इस्लामिया में प्रदर्शन के बाद ​हुई हिंसा का मामला आज 16 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट कल सुनवाई करेगा।



मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष वरिष्ठ अधिवक्ता इंदिरा जयसिंह ने जामिया मिलिया इस्लामिया और अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय की हिंसक घटनाओं का उल्लेख करते हुए कहा कि SC इस मुद्दे को संज्ञान में ले। इंदिरा जयसिंह ने कहा कि यह देशभर में बहुत गंभीर मानवाधिकार उल्लंघन का मसला है, इस पर सुप्रीम कोर्ट त्वरित कार्रवाई करे।’

चीफ जस्टिस एसए बोबडे से जामिया हिंसा मामले की जांच के लिए कमेटी गठित करने के साथ ही छात्रों के खिलाफ कार्रवाई पर रोक लगाने की मांग की गई है। सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (एससीबीए) के सदस्यों समेत कई वकीलों ने कोर्ट में इस मामले को उठाने का निर्णय लिया।

इस मामले को सुनते हुए सीजेआई एसए बोबडे बोले, 'हम अधिकारों का निर्धारण करेंगे, लेकिन दंगों के माहौल में नहीं। सबसे पहले दंगों को रोका जाना चाहिए और फिर हम इस पर संज्ञान लेंगे। हम अधिकारों और शांतिपूर्ण प्रदर्शनों के खिलाफ नहीं हैं।'

चीफ जस्टिस ने कहा, सार्वजनिक सम्पत्ति का नुकसान हुआ है। ये अहमियत नहीं रखता कि किसने किया है। हम इस पर विचार करेंगे और देखेंगे कि क्या किया जा सकता है, लेकिन इस तरह सार्वजनिक सम्पति को नुकसान पहुंचाना बन्द होना चाहिए। कोर्ट ने मंगलवार को इस मामले की सुनवाई के लिए सहमति जताई। सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को चेतावनी दी कि अगर सार्वजनिक सम्पति को नुकसान पहुचाना जारी रहा तो कोर्ट मामले को नहीं सुनेगा। 

चीफ जस्टिस एस। ए। बोबड़े ने यह भी कहा, हम किसी को आरोपी नहीं बता रहे। बस यह कह रहे हैं कि हिंसा रुकनी चाहिए। हम ये भी नहीं कह रहे हैं कि पुलिस या छात्र निर्दोष हैं। CJI ने कहा कि आप छात्र हैं इसलिए आपको हिंसा का अधिकार नहीं मिल जाता है। अगर हिंसा नहीं रुकी तो वह इस मामले में सुनवाई नहीं करेंगे।

गौरतलब है कि जामिया मिल्लिया इस्लामिया में रविवार 15 दिसंबर को हुई हिंसा के बाद आज 16 दिसंबर को भी स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है और कई छात्र-छात्राएं अपने घरों की तरफ रुख कर रहे हैं। वे अब विश्वविद्यालय परिसर में भी खुद को सुरक्षित महसूस नहीं कर रहे। विश्वविद्यालय प्रशासन ने फिलहाल पांच जनवरी तक शीतकालीन अवकाश की घोषणा कर दी है और परीक्षाएं भी स्थगित कर दी गई हैं।

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