शाहीन बाग में CAA के विरोध में आंदोलनरत महिलाओं के समर्थन में उमड़ा जनसैलाब

Written by Sabrangindia Staff | Published on: January 13, 2020
नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली के शाहीन बाग इलाके में तकरीबन एक महीने से नागरिकता कानून और एनआरसी का विरोध प्रदर्शन चल रहा है। शाहीन बाग में चल रहे प्रदर्शन में महिलाएं सबसे आगे हैं। महिलाएं रात-दिन सरिता विहार कालिंदी कुंज रोड पर बैठ अपना विरोध प्रदर्शन दर्ज करा रही हैं। रविवार शाम शाहीन बाग में तिरंगा लिए हजारों लोगों का जन सैलाब नजर आया। सरिता विहार-कालिंदी कुंज रोड पर काफी भीड़ जुटी। यहां बड़ी संख्या में लोग शाहीन बाग की महिलाओं को समर्थन देने पहुंचे थे।



रविवार शाम शाहीन बाग की महिलाओं और वहां प्रदर्शन पर बैठे लोगों को समर्थन देने के लिए शशि थरूर और सुभाष चोपड़ा भी पहुंचे। शशि थरूर शाहीन बाग जाने से पहले जामिया मिलिया इस्लामिया के छात्रों के बीच पहुंचे। यहां शशि थरूर ने जामिया मिल्लिया इस्लामिया के छात्रों के साथ एकजुटता प्रदर्शित करते हुए कहा कि इन छात्रों पर 15 दिसंबर की पुलिस कार्रवाई ‘राष्ट्र पर एक धब्बा है’। यहां से निकलने के बाद शशि थरूर मेट्रो से जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय पहुंचे और यहां उन्होंने छात्रों के साथ एकजुटता दिखाई।

शशि थरूर ने संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) को भेदभावपूर्ण बताया। उन्होंने कहा कि यह महात्मा गांधी द्वारा दिए गए एकता के आदर्शों के खिलाफ है। कांग्रेस नेता ने कहा, ‘‘15 दिसंबर को जो कुछ हुआ वह राष्ट्र पर एक धब्बा है। बगैर किसी उकसावे के, कुलपति को सूचित किए बगैर पुलिस हॉस्टल में घुसी और छात्रों पर हमला किया। लाइब्रेरी में पढ़ रहे छात्रों पर हमला किया गया। यह शर्मनाक है और कहीं से भी स्वीकार्य नहीं है।’’

नागरिकता कानून को आड़े हाथों लेते हुए शशि थरूर ने कहा कि केंद्र सरकार का कदम भेदभावपूर्ण है और एक समुदाय को हाशिये पर धकेलने की कोशिश है। उन्होंने कहा, ‘‘यही कारण है कि हमने संसद में इस विधेयक को पेश किए जाने का विरोध किया क्योंकि इसने नागरिकता कानून में पहली बार धर्म को शामिल किया है।’’

शशि थरूर ने कहा, ‘‘बीजेपी नीत सरकार द्वारा सीएए में धर्म को शामिल किए जाने तक इसका (धर्म का) नागरिकता कानून में कहीं कोई जिक्र नहीं था। यह कुछ ऐसी चीज है जिसे हम स्वीकार नहीं कर सकते।’’ उन्होंने कहा, ‘‘सीएए महात्मा गांधी के आदर्शों से विश्वासघात है, जिन्होंने राष्ट्र की एकता के लिए, हिंदू-मुस्लिम एकता के लिए अपना जीवन बलिदान कर दिया। भारत, जिसे महात्मा गांधी देखना चाहते थे, सीएए में धर्म को शामिल किए जाने पर वह भारत नहीं होगा।’’

बाकी ख़बरें