जलियाँवाला बाग़ से लेकर
जामिया वाला बाग़ देखा...
ए एम यू की दहशत देखी
जे एन यू में आतंक भी...
ऐ ज़ालिमो तुम कितनी ख़िज़ाँ इन बागों में लाओगे ?
तुम कितनी कलियाँ कुचलोगे?
कितने नशेमन उजाड़ोगे?
ऐ दोस्त सदा ये याद रखना,
हर रात के बाद सवेरा है,
तारीकी के बाद उजाला है।
अगर है सर्द रात तो क्या
बहार भी कल को आएगी...
हम लड़ें हैं और जीतें हैं
हम लड़ेंगे और जीतेंगे!
सादिया हाशमी
जामिया वाला बाग़ देखा...
ए एम यू की दहशत देखी
जे एन यू में आतंक भी...
ऐ ज़ालिमो तुम कितनी ख़िज़ाँ इन बागों में लाओगे ?
तुम कितनी कलियाँ कुचलोगे?
कितने नशेमन उजाड़ोगे?
ऐ दोस्त सदा ये याद रखना,
हर रात के बाद सवेरा है,
तारीकी के बाद उजाला है।
अगर है सर्द रात तो क्या
बहार भी कल को आएगी...
हम लड़ें हैं और जीतें हैं
हम लड़ेंगे और जीतेंगे!
सादिया हाशमी