मंदिर मस्जिद नहीं, शिक्षा और विज्ञान से देश तरक्की करेगा- ज्ञानवापी मामले पर बोले सपा विधायक

Written by Sabrangindia Staff | Published on: May 23, 2022
वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद का वीडियो सर्वे होने के बाद तमाम साक्ष्य भले ही कोर्ट की निगरानी में हों लेकिन वजू खाने को सील किए जाने पर दक्षिणपंथी ट्रोल्स की बल्ले-बल्ले नजर आ रही है, वहीं अमनपसंद लोग कोर्ट पर विश्वास जता रहे हैं


Image: Video screengrab

पांच महिलाओं द्वारा श्रृंगार गौरी में पूजा करने के अधिकार को लेकर कराए गए वीडियो सर्वे के साक्ष्य अभी कोर्ट में हैं। लेकिन दक्षिणपंथियों द्वारा शायद पहले से ही तय कर लिया गया है कि वहां शिवलिंग मिला है। शिवलिंग मामले पर तर्क-वितर्क और सवाल करने वालों की गिरफ्तारी का दौर जारी है। एक वैकल्पिक मीडिया प्लेटफॉर्म द लाइव टीवी ने अपने यूट्यूब चैनल पर एक वीडियो पोस्ट किया है जिसमें लोग मंदिर मस्जिद के बजाय महंगाई और बेरोजगारी पर सवाल करते नजर आ रहे हैं।

इस वीडियो में यूट्यूब चैनल ने आजमगढ़ की फूलपुर पवई सीट से सपा विधायक रमाकांत यादव से बात की है। इसमें पत्रकार सपा विधायक से सीधा सवाल करते हैं कि ज्ञानवापी का जो मामला चल रहा है उस पर आजम खान से सवाल पूछा जा रहा है, अखिलेश यादव से सवाल पूछा जा रहा है, इस मामले पर आप क्या कहना चाहेंगे? क्या आप बीजेपी की पिच पर ही बात करना चाहेंगे?



पत्रकार के सवाल पर रमाकांत यादव कहते हैं कि हम सामाजिक न्याय पर चलने वाले लोग हैं, हम देश में हिंदू मुसलमान के नाम पर नहीं चलना चाहते हैं, हम कर्म, शिक्षा और विज्ञान पर फोकस रखना चाहते हैं। आज दुनिया के कई देश धर्म से आगे बढ़कर विज्ञान के मामले में तरक्की कर रहे हैं, तमाम खोज कर रहे हैं लेकिन हमारे देश में महादेव का पिंड, शंकर जी के लिंग आदि की खोज हो रही है। इससे देश विकास नहीं करेगा। जब तक हमारा देश विज्ञान पर नहीं चलेगा तब तक हमारे लोगों को बिजली नहीं मिलेगी, साफ पानी नहीं मिलेगा, अच्छे विद्यालय नहीं मिलेंगे तब तक हमारा देश विकास नहीं करेगा।

रमाकांत यादव ने आगे कहा कि ज्ञानवापी से, मथुरा से या अयोध्या से हमारा देश आगे नहीं बढ़ेगा, शिक्षा से आगे बढ़ेगा। हम चाहते हैं कि हमारे बच्चों को अच्छी शिक्षा मिले।

उन्होंने जाति व वर्ण व्यवस्था पर भी सवाल उठाया। शिव के बारे में उन्होंने कहा कि वे निश्चित रूप से ताकतवर आदिवासी राजा थे। बड़ी विडंबना है कि कुछ लोग उनकी पूजा तो करते हैं लेकिन उनका प्रसाद नहीं खाते। उनका प्रसाद शूद्र और आदिवासी बताकर खारिज कर दिया जाता है। मैं इस बात पर न जाकर शिक्षा और रोजगार पर जाना चाहता हूं।

यादव ने कहा कि हमारा देश इन सब बातों से आगे नहीं बढ़ेगा, यह शिक्षा और रोजगार से आगे बढ़ेगा। उन्होंने सवाल किया कि क्या हमारे यहां के बच्चे मेधावी नहीं हैं। लेकिन उन्हें पर्याप्त सुविधा न मिल पाने पर विदेशों का रास्ता अख्तियार करना पड़ रहा है।  

वाराणसी में मोहल्ला बैठकों के जरिए शांति की अपील
मंदिर मस्जिद की बहस से इतर शहर के अमन पसंद लोग शांति बनाए रखने की पहल कर रहे हैं। शांतिप्रिय व सामाजिक सरोकारों से जुड़े नागरिक लगातार इन कोशिशों में जुटे हैं कि किसी भी तरह का सांप्रदायिक विवाद पैदा न हो। इस कड़ी में सामाजिक संगठनों की मदद से 16 मई से शहर में लगातार बैठकें की जा रही हैं। इनमें शिक्षाविद, अपने क्षेत्रों के प्रतिष्ठित लोग, सामाजिक कार्यकर्ता व स्कॉलर्स शामिल हैं। वे लोगों के बीच जाकर जागरुकता फैला रहे हैं और उन्हें किसी भी उकसावे में न आऩे की बात कर रहे हैं।

वज़ू खाना में मिली संरचना "शिवलिंग" नहीं: AIM
वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद का प्रबंधन करने वाली समिति अंजुमन इंतेज़ामिया मस्जिद (एआईएम) दावा कर रही है कि मस्जिद के वज़ू खाना में मिली संरचना "शिवलिंग" नहीं है, बल्कि एक फव्वारे का टूटा हुआ हिस्सा है, वहीं पानी की टंकी में मिली वस्तु को लेकर हुए विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। सोशल मीडिया पर कई लीक तस्वीरों के बावजूद यह सुझाव दे रहा है कि एआईएम के दावों में कुछ सच्चाई हो सकती है।
 
अजय कुमार मिश्रा, जिन्हें वाराणसी की एक अदालत द्वारा वीडियो सर्वेक्षण टीम से एडवोकेट कमिश्नर के पद से हटा दिया गया था, ने वीडियोग्राफर को जानकारी लीक करने के लिए दोषी ठहराया है। एनडीटीवी के साथ एक साक्षात्कार में, मिश्रा ने कहा, "मैं इसके बारे में क्या कर सकता हूं? मैंने कैमरामैन को काम पर रखा, उसने धोखा दिया।”
 
कैमरामैन के खिलाफ आरोप अदालत द्वारा नियुक्त एक अन्य एडवोकेट कमिश्नर विशाल सिंह ने भी लगाए थे, जब एआईएम ने मिश्रा पर पक्षपात करने का आरोप लगाया था और उन्हें हटाने की मांग की थी। रिपोर्ट के मुताबिक, “अजय मिश्रा ने एक वीडियोग्राफर नियुक्त किया था जो मीडिया में बयान दे रहा था और अफवाहें फैला रहा था।”
 
विभाष दुबे नाम के एक कैमरामैन ने 11 मई को आज तक को दिए एक साक्षात्कार में मस्जिद के अंदर जो कुछ मिला था, उसके बारे में कुछ बयान दिए थे। उन्होंने कहा, "कमलों की नक्काशी, और हिंदू धर्म में पूजनीय अन्य आकृतियों के साथ-साथ मस्जिद की पश्चिमी दीवार पर एक मंदिर की घंटी भी पाई गई।" दिलचस्प बात यह है कि जब आजतक ने 16 मई को एक अन्य कैमरामैन गणेश से पूछताछ की थी, तो उन्होंने बस इतना कहा था कि उन्हें इस बारे में बात करने की अनुमति नहीं है और सच्चाई सामने आ जाएगी। उल्लेखनीय है कि गणेश कैमरामैन थे जो मूल रूप से सर्वे टीम का हिस्सा थे। आरोप है कि मिश्रा ने निजी कैमरामैन दुबे को काम पर रखा था।
 
लेकिन तस्वीरों और वीडियो, जो कथित तौर पर विभिन्न प्रकाशनों और समाचार चैनलों पर लीक हुए थे, उन्हें टेलीकास्ट किया गया और साथ ही सोशल मीडिया पर साझा किया गया। हालाँकि, इनमें से कोई भी चित्र और वीडियो किसी भी संबंधित प्राधिकारी द्वारा प्रमाणित नहीं किया गया है।
 
इतना ही नहीं, अपदस्थ एडवोकेट कमिश्नर अजय मिश्रा ने भी अब विशाल सिंह पर उन्हें 'धोखा' देने का आरोप लगाया है। "मैंने कुछ गलत नहीं किया। मुझे विशाल सिंह ने धोखा दिया था। उन्होंने मेरे भरोसेमंद स्वभाव का फायदा उठाया, ”मिश्रा ने एनडीटीवी को बताया,“ हमने कल रात 12 बजे तक एक साथ रिपोर्ट तैयार की। मुझे नहीं पता था कि विशाल सिंह मेरे खिलाफ साजिश कर रहे हैं। मुझे सच में दुख हो रहा है। मैं पक्षपाती नहीं था। मैं सर्वे के बारे में कुछ नहीं कहूंगा।'

बहरहाल, सर्वे को लेकर कोर्ट का फैसला चाहे जो भी हो लेकिन इस मामले को लेकर राइट विंग जिस तरह से उत्साहित नजर आया उससे सवाल उठ रहा है कि क्या यह जानकारी किसी साजिश के तहत लीक की गई थी?

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