जाति आधारित जनगणना की याचिका पर SC ने केंद्र को नोटिस जारी कर जवाब मांगा

Written by Sabrangindia Staff | Published on: February 27, 2021
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने उस याचिका पर केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब दाखिल करने को कहा है जिसमें गुहार लगाई है कि केंद्र सरकार को निर्देश दिया जाए कि वह 2021 की जनगणना में पिछड़ा वर्ग (बैकवर्ड क्लास) जाति की अलग से गणना की जाए ताकि उनके लिए सरकारी योजनाओं का अमल सुनिश्चित हो सके।



सुप्रीम कोर्ट में दाखिल अर्जी में कहा गया है कि केद्र सरकार के सामाजिक न्याय मंत्रालय को निर्देश दिया जाना चाहिए कि वह 2021 की जनगणना में बैकवर्ड क्लास का अलग से जातिवार गिनती हो।

याचिकाकार्ता के वकील ने कहा कि इससे पहले ऐसे मामले में सुप्रीम कोर्ट नोटिस जारी कर चुका है। चीफ जस्टिस एसए बोबडे की अगुआई वाली बेंच के सामने ये मामला शुक्रवार को सुनवाई के लिए आया। याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग और केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब दाखिल करने को कहा है।

याचिकाकर्ता ने कहा कि बैकवर्ड क्लास के लिए जातिवार तरीके से गणना होनी चाहिए। इससे उन्हें एजुकेशन और नौकरी आदि में मिलने वाले रिजर्वेशन और पंचायती चुनाव आदि में सहूलियत होगी। याचिका में कहा गया है कि 2021 की जनगणना होने वाली है। उसके लिए जो प्रोफॉर्मा तय किया गया है उसमें 32 कैटिगरी बनाई गई हैं। इसमें हिंदू, मुसलमान, एससी व एसटी आदि कैटिगरी है लेकिन अन्य पिछड़ा वर्ग नहीं है। ऐसे में जातिवार गणना होनी चाहिए और पिछड़े वर्ग की कैटिगरी होनी चाहिए।

याचिका में कहा गया है कि केंद्र सरकार और राज्य सरकारों की कई स्कीम ऐसी हैं जिसमें एजुकेशन, नौकरी, आर्थिक और राजनीतिक क्षेत्र में पिछड़ा वर्ग को लाभ देने की योजना है। इसका मकसद ये है कि पिछड़ा वर्ग को गरीबी रेखा से बाहर लाया जाए। बजट में स्कीम में फंड का अलॉटमेंट भी होता है लेकिन हर साल बजट शेयरिंग में परेशानी हो रही है क्योंकि जाति आधारित बैकवर्ड क्लास की गणना या सर्वे नहीं है। याचिका में कहा गया है कि जाति आधारित डीटेल नहीं होने के कारण राज्य की लोकल्याणकारी स्कीम का लाभ सही लोगों तक नहीं पहुंच पा रहा है।

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