विश्वगुरु की महानता और राफेल सौदा

Written by Sanjay Sarman Jothe | Published on: August 10, 2018
भक्त: ऋषिवर ये राफेल विमान पहले विदेशी सहयोग से भारत मे बनने थे, ताकि भारत कुछ समय बाद विमान निर्माण में आत्मनिर्भर हो जाये। किंतु अब यह नहीं होगा। सभी विमान तैयार हालत में खरीदे जायेगे, क्या यह बात "मेक इन इंडिया" के खिलाफ नहीं हो गयी?



ऋषिवर: विधर्मियों के झांसे में न फसो वत्स, तथ्यों के मर्म को समझो, मेक इन इंडिया से भी हजारों साल पहले इस देश के दिव्य पुरुषों ने "वसुधैव कुटुंबकम" की बात कही थी। मेक इन इंडिया दुसरी प्राथमिकता है, पहली प्राथमिकता "वसुधैव कुटुंब" का निर्माण है।

इस विराट कुटुंब के निर्माण का शुभारंभ प्राइवेट सेक्टर को रक्षा सौदे और रक्षा निर्माण में शामिल करके किया गया है।

दूसरे चरण में और उदारता दिखाते हुए "हम ही बनाएंगे" जैसे अहंकार पूर्ण निर्णय को बदल कर "मिलजुलकर बनाएंगे" का निर्णय लिया गया।

अब तीसरे चरण में विश्वगुरु की महानता देखिये की अत्यंत विनम्रता से कह रहे हैं कि "आप ही बनाइये" इसे कहते हैं कुटुंब विस्तार और अपने नए बंधुओ पर विश्वास व्यक्त करते हुए उनका दिल जीतना।

ये विश्वगुरु के ऊंचे सनातन आदर्श हैं बच्चा, इन्हें विधर्मी और राष्ट्रद्रोही लोग नही समझ सकते। हम धन को तुच्छ समझते हैं, एक रुपये की चीज हम एक करोड़ में भी खरीद सकते हैं, बशर्ते कि बेचने वाला हमारे उच्च आदर्शों से प्रभावित होकर हमारे वसुधैव कुटुंब का अंग बन जाये।

याद रखो वह प्राचीन आर्य प्रतिज्ञा - "कृण्वन्ते विश्वमार्यम" अर्थात पूरे विश्व को आर्य आदर्श सिखाना है।

आज कुछ जाबांज अगर विश्वगुरु के महत आदर्शों को प्रचारित करते हुए थोड़ा बहुत आर्थिक नुकसान उठा भी रहे हैं तो इसे सँस्कृति की सेवा में दिए गए बलिदान की भांति देखा जाना चाहिए।

फिर से सुनो, मेक इन इंडिया से भी बड़ी बात है "वसुधैव कुटुंब" पूरा जगत ही अपना है, राफेल कहीं भी बने कोई भी कितने भी रुपयों में बनाये ये कोई मुद्दा ही नहीं है। वे सब देश और लोग अपने ही हैं, विराट विश्वपुरुष इस तरह देशों और मनुष्यों के टुच्चे भेद नहीं करते।

समझे वत्स!

भक्त: अहो ऋषिवर, विश्वगुरु की विराटता और महान आदर्शो को जानकर आज मैं पुनः धन्य हुआ।

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