द टेलीग्राफ ने 6 अक्तूबर को उतारी गई यह तस्वीर पहले पन्ने पर प्रकाशित की है। इसे एसोसिएटेड प्रेस ने जारी किया है। गुरुवार को इंडियन एक्सप्रेस ने पहले पन्ने पर खबर छापी थी कि भारी सुरक्षा के बावजूद कश्मीर में आतंकवादियों ने सेव कारोबार से जुडे लोगों को मार दिया। टेलीग्राफ ने आज इस फोटो के साथ अपना पेज छह देखने के लिए भी लिखा है और इस पन्ने पर तीन कॉलम में लीड है, "घातक संदेश :कश्मीर छोड़ो"।
श्रीनगर डेटलाइन से मुजफ्फर रैना ने इसमे लिखा है, आतंकवादियों ने सेव व्यापारियों को मजदूरों से अलग किया और गैर कश्मीरी सेव व्यापारियों को मार दिया। इनका एक सहयोगी गंभीर रूप से घायल हुआ है। बुधवार की यह खबर इंडियन एक्सप्रेस में कल छपी थी। आज टेलीग्राफ ने लिखा है कि ट्रेन्ज के हमले में 18 गैर स्थानीय मजदूरों को बख्श दिया गया पर साफ संदेश दिया है, जल्दी से जल्दी कश्मीर छोड़ दो।
यह तस्वीर कश्मीर में श्रीनगर के दक्षिण युयान के सेव बगीचे की है। कश्मीर की अर्थव्यवस्था का करीब पांचवां हिस्सा या 20 प्रतिशत सेव के कारोबार से आता है और इससे 3.3 मिलियन (33 लाख) लोगों को आजीविका मिलती है। इस साल 6 अक्तूबर तक तैयार फसल का 10 प्रतिशत से भी कम बाहर जा पाया है। घाटा बढ़ता जा रहा है क्योंकि पांच अगस्त के बाद की कार्रवाई के विरोध में व्यापारियों और चालकों पर दबाव है कि वे इस उद्योग के काम न करें।
इस हफ्ते आतंकवादियों ने कश्मीर के बाहर के लोगों के खिलाफ मारक कार्रवाई शुरू की और सेव के कारोबार से जुड़े दो लोगों के साथ एक मजदूर की हत्या कर दी। गुरुवार को महाराष्ट्र में एक चुनावी रैली में प्रधानमंत्री ने जम्मू और कश्मीर जाना चाहने वालों के लिए व्यवस्था करने की पेशकश की। उन्होंने लोगों से कहा, अगर आप कश्मीर जाना चाहते हैं तो मझे बताइए, मैं व्यवस्था करूंगा। प्रधानमंत्री की व्यवस्था करने की अपील पर कश्मीर जाना चाहने वालों को यह खबर पढ़ लेना चाहिए बशर्ते उनके अखबार में छपी हो। वरना वे तो यही समझेंगे कि सब चंगा सी।
टेलीग्राफ ने इस कैप्शन में नहीं लिखा है पर प्रधानमंत्री ने कल रैली में कहा, कांग्रेस के एक नेता ने कहा था कि जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाए जाने का फैसला देश को बर्बाद कर देगा। तीन महीने हो गए हैं क्या देश बर्बाद हो गया है? सवाल उठता है कि अखबार अगर खबर नहीं देगें तो जनता को कैसे पता चलेगा और प्रधानमंत्री स्वीकार नहीं करेंगे कि हालत खराब है तो कोई क्या करे? अखबारों में आपको प्रधानमंत्री की बात दिखेगी यह तस्वीर शायद ही दिखे। ढूंढ़िए। प्रधानमंत्री का क्या है, उन्होंने तो यह भी कहा था कि 50 दिन में सपनों का भारत मिलेगा। पर मिला क्या? पीएमसी बैंक के ग्राहकों से पूछिए। कश्मीरियों से पूछिए। बेरोजगारों से पूछिए। प्रधानमंत्री तो अब 40 साल की समस्या चार महीने में दूर करने का दावा कर रहे हैं।
टेलीग्राफ की खबर यहां पढ़ सकते हैं...
श्रीनगर डेटलाइन से मुजफ्फर रैना ने इसमे लिखा है, आतंकवादियों ने सेव व्यापारियों को मजदूरों से अलग किया और गैर कश्मीरी सेव व्यापारियों को मार दिया। इनका एक सहयोगी गंभीर रूप से घायल हुआ है। बुधवार की यह खबर इंडियन एक्सप्रेस में कल छपी थी। आज टेलीग्राफ ने लिखा है कि ट्रेन्ज के हमले में 18 गैर स्थानीय मजदूरों को बख्श दिया गया पर साफ संदेश दिया है, जल्दी से जल्दी कश्मीर छोड़ दो।
यह तस्वीर कश्मीर में श्रीनगर के दक्षिण युयान के सेव बगीचे की है। कश्मीर की अर्थव्यवस्था का करीब पांचवां हिस्सा या 20 प्रतिशत सेव के कारोबार से आता है और इससे 3.3 मिलियन (33 लाख) लोगों को आजीविका मिलती है। इस साल 6 अक्तूबर तक तैयार फसल का 10 प्रतिशत से भी कम बाहर जा पाया है। घाटा बढ़ता जा रहा है क्योंकि पांच अगस्त के बाद की कार्रवाई के विरोध में व्यापारियों और चालकों पर दबाव है कि वे इस उद्योग के काम न करें।
इस हफ्ते आतंकवादियों ने कश्मीर के बाहर के लोगों के खिलाफ मारक कार्रवाई शुरू की और सेव के कारोबार से जुड़े दो लोगों के साथ एक मजदूर की हत्या कर दी। गुरुवार को महाराष्ट्र में एक चुनावी रैली में प्रधानमंत्री ने जम्मू और कश्मीर जाना चाहने वालों के लिए व्यवस्था करने की पेशकश की। उन्होंने लोगों से कहा, अगर आप कश्मीर जाना चाहते हैं तो मझे बताइए, मैं व्यवस्था करूंगा। प्रधानमंत्री की व्यवस्था करने की अपील पर कश्मीर जाना चाहने वालों को यह खबर पढ़ लेना चाहिए बशर्ते उनके अखबार में छपी हो। वरना वे तो यही समझेंगे कि सब चंगा सी।
टेलीग्राफ ने इस कैप्शन में नहीं लिखा है पर प्रधानमंत्री ने कल रैली में कहा, कांग्रेस के एक नेता ने कहा था कि जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाए जाने का फैसला देश को बर्बाद कर देगा। तीन महीने हो गए हैं क्या देश बर्बाद हो गया है? सवाल उठता है कि अखबार अगर खबर नहीं देगें तो जनता को कैसे पता चलेगा और प्रधानमंत्री स्वीकार नहीं करेंगे कि हालत खराब है तो कोई क्या करे? अखबारों में आपको प्रधानमंत्री की बात दिखेगी यह तस्वीर शायद ही दिखे। ढूंढ़िए। प्रधानमंत्री का क्या है, उन्होंने तो यह भी कहा था कि 50 दिन में सपनों का भारत मिलेगा। पर मिला क्या? पीएमसी बैंक के ग्राहकों से पूछिए। कश्मीरियों से पूछिए। बेरोजगारों से पूछिए। प्रधानमंत्री तो अब 40 साल की समस्या चार महीने में दूर करने का दावा कर रहे हैं।
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