इस साल गाय और मीट के नाम पर भीड़ द्वारा कुचल कर मार दिए जाने की कई घटनाएं सामने आई हैं. भीड़ में पनपे हिंसा के ये हादसे कई लिहाज़ से चिंताजनक हैं.
पिछले दिनों में असम, बिहार और उत्तर प्रदेश को मिलाकर मॉब लींचिंग की तीन घटनाएं सामने आई हैं. जुलाई 29 से 30 के बीच घटित इन घटनाओं में मुसलमानों को निशाना बनाया गया है. इनमें से दो हमलों में दो लोग अपनी जान भी गंवा चुके हैं. इन दिनों तथाकथित ‘गौरक्षक दल’ पूरे देश में सक्रिय हैं. ये दल बिना किसी भय के इंसाफ़ के नाम पर लींचिंग की घटनाओं को अंजाम देते हैं. मॉब लींचिंग की घटनाएं सिर्फ़ आसान शिकार नहीं ढूंढती हैं बल्कि इनका जानबूझ कर दबे कुचले तबक़े के लोगों को शिकार बनाने का लंबा इतिहास रहा है.
आज देश में गाय की तस्करी, हत्या या मांस खाने के दावों के साथ बड़ी संख्या में मॉब लींचिंग की घटनाएं हो रही हैं. लेकिन इनके अलावा कुछ ऐसी घटनाएं भी हैं जिनमें अपहरण या चोरी जैसी वजहों की बुनियाद पर हिंसा को अंजाम दिया जाता है.
पुलिस की मौजूदगी में भीड़ ने किया हमला, गाय चुराने के जुर्म में एक की हत्या, पांच घायल
30 जुलाई को सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा था जिसमें पुलिस भीड़ को नियंत्रित करने की कोशिश कर रही है और कुछ अधिकारी घायल लोगों को वाहन में ले जा रहें हैं, इसके बावजूद कुछ लोग पीड़ित को पकड़ने के लिए उनका पीछा कर रहे हैं. 25 जुलाई की इस घटना के मुताबिक़ बोरबारी अहोतगौरी गांव के सद्दाम हुसैन नामक एक युवक को कथित रूप से गाय चुराने लिए युवकों ने हिंदू निवासियों ने पीट पीटकर मार डाला. ये सेंट्रल असम के मोरीगांव ज़िले का मामला है. सद्दाम को जहां मार डाला गया वहीं 5 अन्य गंभीर तौर पर घायल हैं.
मकतूब मीडिया की रिपोर्ट के मुताबिक़ सद्दाम अपने साथियों मिराजुल हक़, अनवरूल हक़, शमशुल हक़ और अब्दुल हुसैन के साथ मोटरसाईकिल से घर की तरफ़ वापस आ रहा था. ये दोस्त लोकल कबड्डी का फ़ाइनल मैच देखने के बाद अपने घर से 7 किमी. की दूरी पर नारामरी नामी गांव से लौट रहे थे जब 7-8 लोगों की भीड़ ने उनपर हमला किया. रिपोर्ट के मुताबिक़ इनमें से एक इलाक़े का माना जाना कबड्डी खिलाड़ी है तो अन्य 5 इन खेलों में दिलचस्पी रखते हैं. हिंसा के बाद जीवत बचे 5 दोस्तों ने गाय चुराने या किसी भी संबंधित गतिविधि का हिस्सा होने के इल्ज़ाम से साफ़ इंकार किया है. एक ने बयान में कहा-
‘वह हम सभी को जानते थे, फिर भी उन्होंने हम पर गाय चुराने की इल्ज़ाम लगाया. जब हमने उनसे कहा कि हम चोर नहीं हैं और हम कबड्डी मैच देखने गए थे तो उन्होंने मुझे बुरी तरह पीटा और मेरी आंख की रोशनी भी धुंधली पड़ गई.’
अनवरूल हक़ ने मकतूब मीडिया को बयान देते हुए कहा कि-
‘हम बाईक पर जा रहे थे और बाईक पर जानवर चुराकर ले जाना किसी भी तरह मुमकिन नहीं है. ये साफ़ दिख रहा था कि वो हमें मारना चाहते हैं. मुझे महसूस हुआ कि हमें मारना ही उनका असल मक़सद है इसलिए मैंने अपने दोस्तों से कहा कि वह जीवन बचाने के लिए भागें. मेरी आंखों से साफ़ दिखाई नहीं दे रहा था फिर भी मैंने कहा कि आप अपना जीवन बचाने के लिए भाग जाओ और बाक़ी मैं निपट लूंगा.’
कथित सूचना के मुताबिक़ अनवरूल, शम्सुल और अब्दुल भीड़ से बचने में कामयाब थे लेकिन बाक़ी 3 को गांव के लोगों ने पकड़ लिया था. यहां तक कि जब रात में सद्दाम के बड़े भाई शम्सुद्दीन पुलिस के साथ लिंचिंग की जगह पहुंच गए उसके बाद भी वह पीड़ितों को बचाने में असमर्थ थे. मकतूब मीडिया की रिपोर्ट के मुताबिक़, अगली सुबह 11 बजे के बाद ही पुलिस पीड़ित मुसलमान युवकों को हिंदू गांव से बाहर निकाल सकी है. पुलिस की मौजूदगी में भी भीड़ ने पीड़ितों के शरीर पर हमला किया.
पूरा वीडियो यहां देखें-
इस हिंसक झड़प में 5 साल की पुत्री और 7 साल के पुत्र के पिता सद्दाम की मौत हो गई. सद्दाम के दूसरे बड़े भाई नासिर ने मकतूब मीडिया से कहा कि –
‘केवल 6 लोगों पर ही हमला नहीं हुआ था. इस घटना से अनजान बोरबारी गांव का एक मछली बेचने वाला भी अल सुबह मोरीगांव क़स्बे की तरफ़ जा रहा था. मछली विक्रेता अजमुद्दीन को भी सिर्फ़ ग़लत रास्ता चुनने के कारण हमले का सामना करना पड़ा.’ नासिर ने ये भी बताया कि सद्दाम मज़दूर था जो 4 लोगों का परिवार पालने के लिए कभी मेघालय की कोयले की खदानों में तो कभी दक्षिण के राज्यों में काम करता था.
हिंसक हमले के बाद घायल मिराजुल और बिलाल का अभी अस्पताल में इलाज चल रहा है जबकि इन 6 दोस्तों की दोनों मोटरसाईकिलों को भीड़ ने आग लगा दी. ऐसी सूचना है कि भीड़ ने स्थानीय मीडिया के वाहनों को भी आग लगा दी है.
मकतूब की रिपोर्ट के अनुसार IGP प्रशांत कुमार ने बयान दिया है कि आहोतगौरी गांव में 3 गाय चोरी हो गई थीं और जनता ग़ुस्से में थी. इस वजह से ही मॉब लिंचिंग की घटना हुई.
लिंचिंग में शामिल सभी दोषियों को सख़्त क़ानूनी सज़ा मिलने का दिलासा देते हुए भूयन ने कहा कि-
‘पुलिस के जाने पर भी उनपर हमले हुए हैं. एक पुलिस वाहन भी हमले का शिकार हुआ है. पुलिस दस्ते सुबह यहां से गए और पीड़ित बचा लिए गए.’
इंडिया टुडे की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि पुलिस अब तक इस लिंचिंग मामले में 8 लोगों को गिरफ़्तार कर चुकी है जिसमें एक महिला भी शामिल है. इन गिरफ़्तारियों पर विचार साझा करते हुए पीड़ित अनवारूल ने कहा- ‘जिन्होंने हमपर उस रात हमला किया उन्हें अभी तक गिरफ़्तार नहीं किया गया है, क्या सिर्फ़ ग़रीब होने के कारण हम इंसाफ़ के हक़दार नहीं हैं? क्या हम मुसलमान हैं इसलिए हमें इंसाफ़ नहीं मिल रहा है?’
गौमांस की तस्करी के आरोप में एक अपाहिज भी मॉब लिंचिंग का शिकार
वायर ने एक रिपोर्ट में एक ऐसी घटना का विवरण दिया है जिसमें 55 साल के एक पुरूष को गौ-मांस की तस्करी के कथित दावे के चलते क़रीब 70 लोगों की भीड़ ने मिलकर पीटा है. बिहार के सारण ज़िले में पैग़म्बरपुर गांव की इस घटना में 55 साल के ज़हीरूद्दीन बुरी तरह घायल हो गए. पेशे से ड्राइवर के तौर पर काम करने वाले ज़हीरूद्दीन पहले दवा बनाने वाली कंपनियों को जानवरों की हड्डियां सप्लाई करते थे जिनका फ़ार्मा इंडस्ट्री में इस्तेमाल बिल्कुल आम है. ज़हीरूद्दीन एक टांग से अपाहिज होने के कारण हमले के दौरान भीड़ से भागने में भी नाकामयाब रहे.
28 जुलाई की ये घटना 29 जुलाई को ख़बरों में आ गई थी. वायर की रिपोर्ट के हिसाब से 29 जुलाई को ही जलालपुरा पुलिस स्टेशन में 6 लोगों के ख़िलाफ़ FIR दर्ज की गई. इसमें प्रकाश सिंह, सुनील सिंह, कल्लू, त्रिभुवन सिंह, अनूप सिंह, प्रमोद सिंह के साथ 30 अज्ञात लोगों के ख़िलाफ़ शिकायतें दर्ज की गई हैं. इन सभी पर इंडियन पीनल कोड के 342, 147, 148, 148 और 302 के तहत कारवाई की गई है. ग़ौरतलब है कि इसमें पैग़म्बरपुर गांव के प्रधान सुनील सिंह भी शामिल हैं.
मंदिर में मछली फेंकने के आरोप में 2 नाबालिग़ों पर हमला
31 जुलाई को उत्तर प्रदेश को हापुड़ में भी मॉब लींचिंग की ऐसी ही एक घटना दर्ज की गई है. सूचना है यहां मदरसे के 2 नाबालिग़ बच्चों को मंदिर में मछली का मांस फेंकने के आरोप में ललित कुमार नामक एक पुरूष ने पूरी निर्ममता से पीटा. रिपोर्ट के अनुसार पुलिस ने ललित को गिरफ़्तार कर लिया है.
एक घटना का एक वीडियो भी इंटरनेट पर वायरल है जिसमें एक व्यक्ति भीड़ भरी सड़क पर दो नाबालिग़ बच्चों का कॉलर पकड़कर उन्हें पीट रहा है. वीडियो में इन दो बच्चों के हाथ में कथित तौर पर मांस के पैकेट को भी दिखाया जा रहा है. सड़क पर जमा होकर लोग हिंसा की इस घटना को चुपचाप देख रहे हैं. हालंकि वीडियो के आख़िर में एक पुलिस वाले को भी घटनास्थल की तरफ़ आते देखा जा सकता है.
वीडियो यहां देख सकते हैं
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आज देश में गाय की तस्करी, हत्या या मांस खाने के दावों के साथ बड़ी संख्या में मॉब लींचिंग की घटनाएं हो रही हैं. लेकिन इनके अलावा कुछ ऐसी घटनाएं भी हैं जिनमें अपहरण या चोरी जैसी वजहों की बुनियाद पर हिंसा को अंजाम दिया जाता है.
पुलिस की मौजूदगी में भीड़ ने किया हमला, गाय चुराने के जुर्म में एक की हत्या, पांच घायल
30 जुलाई को सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा था जिसमें पुलिस भीड़ को नियंत्रित करने की कोशिश कर रही है और कुछ अधिकारी घायल लोगों को वाहन में ले जा रहें हैं, इसके बावजूद कुछ लोग पीड़ित को पकड़ने के लिए उनका पीछा कर रहे हैं. 25 जुलाई की इस घटना के मुताबिक़ बोरबारी अहोतगौरी गांव के सद्दाम हुसैन नामक एक युवक को कथित रूप से गाय चुराने लिए युवकों ने हिंदू निवासियों ने पीट पीटकर मार डाला. ये सेंट्रल असम के मोरीगांव ज़िले का मामला है. सद्दाम को जहां मार डाला गया वहीं 5 अन्य गंभीर तौर पर घायल हैं.
मकतूब मीडिया की रिपोर्ट के मुताबिक़ सद्दाम अपने साथियों मिराजुल हक़, अनवरूल हक़, शमशुल हक़ और अब्दुल हुसैन के साथ मोटरसाईकिल से घर की तरफ़ वापस आ रहा था. ये दोस्त लोकल कबड्डी का फ़ाइनल मैच देखने के बाद अपने घर से 7 किमी. की दूरी पर नारामरी नामी गांव से लौट रहे थे जब 7-8 लोगों की भीड़ ने उनपर हमला किया. रिपोर्ट के मुताबिक़ इनमें से एक इलाक़े का माना जाना कबड्डी खिलाड़ी है तो अन्य 5 इन खेलों में दिलचस्पी रखते हैं. हिंसा के बाद जीवत बचे 5 दोस्तों ने गाय चुराने या किसी भी संबंधित गतिविधि का हिस्सा होने के इल्ज़ाम से साफ़ इंकार किया है. एक ने बयान में कहा-
‘वह हम सभी को जानते थे, फिर भी उन्होंने हम पर गाय चुराने की इल्ज़ाम लगाया. जब हमने उनसे कहा कि हम चोर नहीं हैं और हम कबड्डी मैच देखने गए थे तो उन्होंने मुझे बुरी तरह पीटा और मेरी आंख की रोशनी भी धुंधली पड़ गई.’
अनवरूल हक़ ने मकतूब मीडिया को बयान देते हुए कहा कि-
‘हम बाईक पर जा रहे थे और बाईक पर जानवर चुराकर ले जाना किसी भी तरह मुमकिन नहीं है. ये साफ़ दिख रहा था कि वो हमें मारना चाहते हैं. मुझे महसूस हुआ कि हमें मारना ही उनका असल मक़सद है इसलिए मैंने अपने दोस्तों से कहा कि वह जीवन बचाने के लिए भागें. मेरी आंखों से साफ़ दिखाई नहीं दे रहा था फिर भी मैंने कहा कि आप अपना जीवन बचाने के लिए भाग जाओ और बाक़ी मैं निपट लूंगा.’
कथित सूचना के मुताबिक़ अनवरूल, शम्सुल और अब्दुल भीड़ से बचने में कामयाब थे लेकिन बाक़ी 3 को गांव के लोगों ने पकड़ लिया था. यहां तक कि जब रात में सद्दाम के बड़े भाई शम्सुद्दीन पुलिस के साथ लिंचिंग की जगह पहुंच गए उसके बाद भी वह पीड़ितों को बचाने में असमर्थ थे. मकतूब मीडिया की रिपोर्ट के मुताबिक़, अगली सुबह 11 बजे के बाद ही पुलिस पीड़ित मुसलमान युवकों को हिंदू गांव से बाहर निकाल सकी है. पुलिस की मौजूदगी में भी भीड़ ने पीड़ितों के शरीर पर हमला किया.
पूरा वीडियो यहां देखें-
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‘केवल 6 लोगों पर ही हमला नहीं हुआ था. इस घटना से अनजान बोरबारी गांव का एक मछली बेचने वाला भी अल सुबह मोरीगांव क़स्बे की तरफ़ जा रहा था. मछली विक्रेता अजमुद्दीन को भी सिर्फ़ ग़लत रास्ता चुनने के कारण हमले का सामना करना पड़ा.’ नासिर ने ये भी बताया कि सद्दाम मज़दूर था जो 4 लोगों का परिवार पालने के लिए कभी मेघालय की कोयले की खदानों में तो कभी दक्षिण के राज्यों में काम करता था.
हिंसक हमले के बाद घायल मिराजुल और बिलाल का अभी अस्पताल में इलाज चल रहा है जबकि इन 6 दोस्तों की दोनों मोटरसाईकिलों को भीड़ ने आग लगा दी. ऐसी सूचना है कि भीड़ ने स्थानीय मीडिया के वाहनों को भी आग लगा दी है.
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लिंचिंग में शामिल सभी दोषियों को सख़्त क़ानूनी सज़ा मिलने का दिलासा देते हुए भूयन ने कहा कि-
‘पुलिस के जाने पर भी उनपर हमले हुए हैं. एक पुलिस वाहन भी हमले का शिकार हुआ है. पुलिस दस्ते सुबह यहां से गए और पीड़ित बचा लिए गए.’
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गौमांस की तस्करी के आरोप में एक अपाहिज भी मॉब लिंचिंग का शिकार
वायर ने एक रिपोर्ट में एक ऐसी घटना का विवरण दिया है जिसमें 55 साल के एक पुरूष को गौ-मांस की तस्करी के कथित दावे के चलते क़रीब 70 लोगों की भीड़ ने मिलकर पीटा है. बिहार के सारण ज़िले में पैग़म्बरपुर गांव की इस घटना में 55 साल के ज़हीरूद्दीन बुरी तरह घायल हो गए. पेशे से ड्राइवर के तौर पर काम करने वाले ज़हीरूद्दीन पहले दवा बनाने वाली कंपनियों को जानवरों की हड्डियां सप्लाई करते थे जिनका फ़ार्मा इंडस्ट्री में इस्तेमाल बिल्कुल आम है. ज़हीरूद्दीन एक टांग से अपाहिज होने के कारण हमले के दौरान भीड़ से भागने में भी नाकामयाब रहे.
28 जुलाई की ये घटना 29 जुलाई को ख़बरों में आ गई थी. वायर की रिपोर्ट के हिसाब से 29 जुलाई को ही जलालपुरा पुलिस स्टेशन में 6 लोगों के ख़िलाफ़ FIR दर्ज की गई. इसमें प्रकाश सिंह, सुनील सिंह, कल्लू, त्रिभुवन सिंह, अनूप सिंह, प्रमोद सिंह के साथ 30 अज्ञात लोगों के ख़िलाफ़ शिकायतें दर्ज की गई हैं. इन सभी पर इंडियन पीनल कोड के 342, 147, 148, 148 और 302 के तहत कारवाई की गई है. ग़ौरतलब है कि इसमें पैग़म्बरपुर गांव के प्रधान सुनील सिंह भी शामिल हैं.
मंदिर में मछली फेंकने के आरोप में 2 नाबालिग़ों पर हमला
31 जुलाई को उत्तर प्रदेश को हापुड़ में भी मॉब लींचिंग की ऐसी ही एक घटना दर्ज की गई है. सूचना है यहां मदरसे के 2 नाबालिग़ बच्चों को मंदिर में मछली का मांस फेंकने के आरोप में ललित कुमार नामक एक पुरूष ने पूरी निर्ममता से पीटा. रिपोर्ट के अनुसार पुलिस ने ललित को गिरफ़्तार कर लिया है.
एक घटना का एक वीडियो भी इंटरनेट पर वायरल है जिसमें एक व्यक्ति भीड़ भरी सड़क पर दो नाबालिग़ बच्चों का कॉलर पकड़कर उन्हें पीट रहा है. वीडियो में इन दो बच्चों के हाथ में कथित तौर पर मांस के पैकेट को भी दिखाया जा रहा है. सड़क पर जमा होकर लोग हिंसा की इस घटना को चुपचाप देख रहे हैं. हालंकि वीडियो के आख़िर में एक पुलिस वाले को भी घटनास्थल की तरफ़ आते देखा जा सकता है.
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