केरल, पंजाब, राजस्थान के बाद अब पश्चिम बंगाल विधानसभा में पारित हुआ CAA विरोधी प्रस्ताव

Written by Sabrangindia Staff | Published on: January 28, 2020
कोलकाताः नागरिकता संशोधन विधेयक (सीएए) के विरोध में विपक्षी दल लगातार लामबंदी कर रहे हैं और गैर भाजपा शासित राज्यों में इसके विरोध में प्रस्ताव पारित किए जा रहे हैं। केरल, पंजाब और राजस्थान के बाद अब पश्चिम बंगाल विधानसभा में सोमवार को सीएए के विरोध में प्रस्ताव पारित किया गया। इससे पहले केरल, पंजाब और राजस्थान विधानसभाओं में भी इसी तरह का प्रस्ताव पारित हो चुका है।



संसदीय मामलों के मंत्री पार्थ चटर्जी ने विधानसभा में प्रस्ताव पेश किया। प्रस्ताव में केंद्र सरकार से इस संशोधित कानून को रद्द करने के साथ राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) को क्रियान्वित करने और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) को अपडेट करने की योजनाओं को निरस्त करने की भी अपील की।

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने विधानसभा में कहा, ‘नागरिकता संशोधन कानून जनविरोधी है और इस कानून को तुरंत निरस्त किया जाना चाहिए।’ बनर्जी ने केंद्र सरकार को चुनौती भी दी कि वह उनकी सरकार को बर्खास्त करके दिखाए। उन्होंने सीएए विरोधी प्रस्ताव पर अपने संबोधन में कहा, ‘दिल्ली में हुई एनपीआर बैठक में शामिल नहीं होने का बंगाल में दम था। अगर भाजपा चाहती है तो वह मेरी सरकार को बर्खास्त कर सकती है।’

बनर्जी ने कहा, ‘देश को बचाने के लिए मतभेदों को दूर रख एक साथ लड़ने का समय आ गया है।’ इस महीने की शुरुआत में कोलकाता में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ उनकी बैठक पर विपक्ष की आलोचना पर बनर्जी ने कहा, ‘वह प्रोटोकॉल के तहत हुई बैठक थी। मैंने प्रोटोकॉल के अनुरूप प्रधानमंत्री मोदी से मुलाकात की।’

बनर्जी ने प्रधानमंत्री मोदी के साथ बैठक पर हुए विरोध पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि वह अकेली ऐसी नेता थीं, जिसने प्रधानमंत्री से मुलाकात की और नागरिकता संशोधन कानून को वापस लेने के लिए उन्हें दोबारा सोचने को कहा।

मालूम हो कि पश्चिम बंगाल सरकार सीएए, एनपीआर और एनआरसी को लेकर हमेशा मुखर रही है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इनके विरोध में कई रैलियां कर चुकी हैं और जोर देकर कहा है कि नागरिकता कानून और एनपीआर पश्चिम बंगाल में लागू नहीं होगा।

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