आर्थिक आधार पर आरक्षण का सच और झूठ

Written by सत्येंद्र पीए | Published on: November 16, 2017
आप बड़े चालाक हैं। स्वतंत्रता के बाद 30 साल तक संसद में बात करते रहे कि आरक्षण आर्थिक आधार पर होना चाहिए।

Reservation
 
हम कहते रहे कि क्या आप रेलवे स्टेशन से भिखारी पकड़कर आई ए एस बनाना चाहते हैं ?

आप कहते रहे कि नहीं, हम मिनिमम क्वालिफिकेशन तय कर गरीबों में कम्पटीशन कराकर योग्य गरीब चुनेंगे!

हम कहते रहे कि भारत मे जातीय आधार पर भेदभाव किया गया है जिससे सामाजिक शैक्षणिक विषमता रही है।

हम कहते रहे कि साहेब आप बहुत चालू हैं। हमारे यहां एमजी इंटर कालेज में 100% कायस्थ, एमपी इंटर कालेज में 100% क्षत्रिय पुरुष मास्टर हैं। आप चाहते हैं कि आपकी बात मान लें। 30% आरक्षण आर्थिक आधार पर हो जाए। उसके बाद आप 70% क्षत्रिय, कायस्थ पुरुष योग्यता के आधार पर और 30% क्षत्रिय, कायस्थ पुरुष गरीबी के आधार पर रख लें? हम कहां जाएंगे?

साहेब सचमुच आप बहुत चालाक हैं। 30 साल संसद में चर्चा कर टाइम काट दिए। 30 साल आरक्षण लागू हुए हुआ। अभी केंद्र सरकार की नौकरियों में सिर्फ 12% ओबीसी हैं। पावर सेंटर्स यानी सचिवालय में आईएएस खोजें तो एक भी नहीं घुसने दिया अब तक, किसी सेंट्रल यूनिवर्सिटी में कुलपति तक नहीं बनने दिया। इस पर चर्चा न कराकर ओबीसी को भी बहका रहे हैं कि सारा आरक्षण अहीर खा गए क्योंकि वो आर्थिक रूप से सक्षम हैं ? बताइए न कि देश मे कितनी सेंट्रल यूनिवर्सिटी, iim, iit हैं और उन पर हेड कितने अहीर हैं?

आप सचमुच बहुत नीच, कमीने और गिरे हुए हैं। आपको मां बहन की गाली नहीं दे सकता क्योंकि मां बहन को भी आप नीच समझते हैं। उनको भी पढ़ने लिखने और सत्ता और रोजगार के गलियारे में आपने घुसने न दिया।
 
50 लोगों के खाने के लिए सिर्फ 40 रोटी है और 5 ही लोग पूरा भकोस रहे हैं यह गलत है। 50 लोगों के लिए जब तक 500 रोटी का इंतजाम नहीं हो जाता तब तक 40 मे ही मिल बांटकर खाने में क्या तकलीफ है?

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