दलित शब्‍द पर जारी एडवाइजरी से नाराज केंद्रीय मंत्री, जाएंगे सुप्रीम कोर्ट

Written by Sabrangindia Staff | Published on: September 11, 2018
नई दिल्‍ली: सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय द्वारा उच्च न्यायालय के निर्णय के आधार पर दलित शब्द की जगह अनुसूचित जाति शब्द का इस्तेमाल करने को लेकर जारी किए गए परामर्श पर केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले लगातार नाराजगी जाहिर कर रहे हैं। अब उन्‍होंने इस परामर्श के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने की बात कह डाली है। इस मामले पर सोशल मीडिया पर भी लगातार आलोचना का दौर जारी है। खुद दलित समुदाय से आने वाले लोग इसका विरोध कर रहे हैं। 


केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्यमंत्री ने मंगलवार को कहा कि, अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति शब्‍द का इस्‍तेमाल सरकारी रिकॉर्डस में भी किया जाता है, लेकिन हमारा मत है कि दलित शब्‍द का प्रयोग किया जाना चाहिए। रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया दलित शब्‍द के प्रयोग पर रोक को लेकर जारी की गई एडवाइजरी के लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख करेगी और वहां इसे चुनौती देगी।

उल्‍लेखनीय है कि इससे पहले बीते 6 सितंबर को भी केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्य मंत्री रामदास आठवले ने कहा था कि बॉम्बे उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ द्वारा बोलचाल में एवं मीडिया में दलित शब्द के इस्तेमाल पर पाबंदी लगाए जाने के फैसले के खिलाफ उनकी पार्टी आरपीआई (ए) सुप्रीम कोर्ट में अपील करेगी।
 
अठावले ने एक बयान में कहा, 'सरकारी कामकाज में अनुसूचित जाति शब्द का इस्तेमाल उचित है और मैं इससे सहमत हूं लेकिन व्यवहारिक भाषा में दलित शब्द का इस्तेमाल करने या नहीं करने का फैसला आम जनमानस के ऊपर छोड़ देना चाहिए।'

अठावले ने कहा, 'मैं दलित पैंथर का नेता रहा हूं। दलित शब्द केवल एक जाति विशेष के लिए नहीं बना है बल्कि गरीब, मजदूर ,किसान ,झुग्गी झोपड़ी एवं समाज की मुख्यधारा से वंचित रहने वाले व्यक्ति दलित होते हैं, और दलित शब्द से समाज के युवा अपने आपको गौरवान्वित भी महसूस करते हैं और आगे बढ़ने के लिए निरंतर प्रयासरत रहते हैं। ' उन्होंने कहा कि बॉम्बे उच्च न्यायालय की नागपुर पीठ के निर्णय के खिलाफ जल्द ही उच्चतम न्यायालय में याचिका दाखिल की जाएगी।

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