बीते दो साल में 2,400 से ज्यादा स्टुडेंट्स ने बीच में ही छोड़ी IIT की पढ़ाई

Written by Sabrangindia Staff | Published on: August 1, 2019
देशभर के आईआईटी संस्थानों को लेकर एक हैरान करने वाला आंकड़ा सामने आया है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक बीते दो वर्षों में 23 संस्थानों से 2461 छात्र-छात्राओं ने बीच में ही अपनी पढ़ाई छोड़ी है। इनमें से 1171 छात्र अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग से हैं। इसके अलावा सामान्य वर्ग के 1290 छात्रों ने भी अपनी पढ़ाई बीच में छोड़ दी है।  आईआईटी के इन संस्थानों में अंडर ग्रैजुएट कोर्सों में हर साल 8,000 और पोस्ट ग्रैजुएट कोर्सों में 9000 छात्र-छात्राओं को दाखिला दिया जाता है।



समाचार वेबसाइट द प्रिंट की रिपोर्ट के मुताबिक आंकड़ों के अनुसार बीच में पढ़ाई छोड़ने वाले छात्रों की संख्या आईआईटी दिल्ली में सबसे ज्यादा दिखती है। यहां ऐसा करने वालों की संख्या 782 रही है। फिर आईआईटी खड्गपुर की बारी आती है जहां बीते दो सालों में 622 छात्रों ने पढ़ाई अधर में छोड़ी है। इसके बाद आईआईटी बॉम्बे में 190 तो आईआईटी मद्रास में 128 छात्रों ने बीच में पढ़ाई छोड़ी।

शिक्षा मामलों के विशेषज्ञ मानते हैं कि कि कुछ छात्र पढ़ाई का दबाव नहीं झेल पाते तो कई जातिगत भेदभाव के चलते इस तरह का फैसला कर लेते हैं। इसके अलावा पोस्ट ग्रैजुएट कोर्स में दाखिला लेने वाले छात्र अक्सर अपनी नौकरियों की वजह से पढ़ाई पर पूरा ध्यान नहीं दे पाते। ऐसे में उन्हें पढ़ाई छोड़ने का रास्ता चुनना पड़ता है।

खबर के मुताबिक पढ़ाई छोड़ने के इस मामले को मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने गंभीरता से लिया है। मंत्रालय ने इसे देखते हुए इन संस्थानों में अब काउंसलरों की नियुक्ति की है। ये काउंसलर इन संस्थानों में छात्रों की शैक्षणिक प्रगति की निगरानी कर रहे हैं। साथ ही शैक्षिक तौर पर कमजोर छात्रों के लिए अतिरिक्त कक्षाओं का बंदोबस्त करने की जिम्मेदारी भी इन्हें सौंपी गई है। इसके अलावा ये काउंसलर किसी छात्र और उसके परिवार के निजी मुद्दों के समाधान के लिए उनके साथ सलाह-मशविरे का काम भी कर रहे हैं।

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