यूनाइटेड क्रिश्चियन फोरम (यूसीएफ) दिल्ली स्थित नागरिक समाज संगठन है जो ईसाई मुद्दों पर केंद्रित है। "हिंसा मॉनिटर रिपोर्ट 2024" के अनुसार, कुल 673 घटनाओं में से केवल 47 एफआईआर दर्ज की गईं।
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साभार : क्रिश्चियन टूडे
भारत में ईसाइयों के खिलाफ हिंसा की घटनाएं काफी ज्यादा हैं। अक्टूबर 2024 के अंत तक यूनाइटेड क्रिश्चियन फोरम (यूसीएफ) हेल्पलाइन पर 673 घटनाएं दर्ज की गई हैं। सबसे अधिक घटनाओं (182) के साथ उत्तर प्रदेश सबसे आगे है, उसके बाद छत्तीसगढ़ (139) का स्थान है।
यूनाइटेड क्रिश्चियन फोरम (यूसीएफ) दिल्ली स्थित नागरिक समाज संगठन है जो ईसाई मुद्दों पर केंद्रित है। "हिंसा मॉनिटर रिपोर्ट 2024" के अनुसार, कुल 673 घटनाओं में से केवल 47 एफआईआर दर्ज की गईं।
मक्तूब से बात करते हुए यूनाइटेड क्रिश्चियन फोरम (यूसीएफ) के राष्ट्रीय समन्वयक एसी माइकल ने कहा, "भारत में ईसाइयों के लिए अपने धर्म का पालन करना मुश्किल हो गया है। पूरे देश में ईसाइयों के खिलाफ हिंसा बढ़ गई है।"
उन्होंने कहा, "साल 2014 में ईसाइयों के खिलाफ हिंसा की घटनाएं सौ से भी कम थीं। 2018 में, यह बढ़कर 292 हो गया, और तब से हर साल यह संख्या बढ़ती जा रही है। पिछले साल 2023 में, हमने लगभग 750 घटनाएं दर्ज कीं जिसका मतलब है कि हमारे देश में हर दिन दो ईसाइयों पर हमला हुआ।"
इन घटनाओं में शारीरिक हिंसा, हत्या, यौन हिंसा, धमकी, सामाजिक बहिष्कार, धार्मिक संपत्तियों को नुकसान पहुंचाना, धार्मिक प्रतीकों का अपमान और प्रार्थना को बाधित करना शामिल है। यूसीएफ ने कहा कि भारत के 28 राज्यों में से 23 में ईसाइयों को अलग-अलग स्तर की हिंसा और भेदभाव का सामना करना पड़ रहा है।
जनवरी 2024 में ईसाइयों के खिलाफ हिंसा की 69 घटनाएं हुईं, इसके बाद फरवरी में 64 घटनाएं, मार्च में 68 घटनाएं और सितंबर में 96 घटनाएं हुईं।
अक्टूबर के आंकड़ों के अनुसार, 12 घटनाएं ऐसी थीं जहां महिलाएं पीड़ित थीं। 14 घटनाएं दलित ईसाइयों से जुड़ी थीं और 24 मामले आदिवासी ईसाइयों से हिंसा के थे।
यहां तक कि राष्ट्रीय राजधानी और उसके आस-पास के क्षेत्र, दिल्ली एनसीआर भी ऐसी घटनाओं से अछूते नहीं रहे, जहां चार घटनाएं दर्ज की गईं।
उन्होंने कहा, "ये ईसाई धर्म को निशाना बनाने वाले समूहों द्वारा हिंसा की संगठित घटनाएं है।"
माइकल ने पुलिस पर एफआईआर दर्ज करने के बजाय पीड़ितों को निशाना बनाने का भी आरोप लगाया।
उन्होंने कहा, "पुलिस अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई करने के बजाय जबरन धर्म परिवर्तन के झूठे आरोपों के तहत पादरियों को हिरासत में लेती है।"
यूनाइटेड स्टेट्स कमीशन ऑन इंटरनेशनल रिलीजियस फ्रीडम (USCIRF) द्वारा जारी 2024 इंडिया कंट्री अपडेट में कहा गया है कि भारत में धार्मिक स्वतंत्रता की स्थिति लगातार बिगड़ती और चिंताजनक होती जा रही है।
ज्ञात हो कि हाल में देश भर में धर्म परिवर्तन का आरोप लगाकर ईसाई धर्म की प्रार्थना सभा को हिंदुत्वादी भीड़ द्वारा बाधित करने का मामला सामने आया है।
प्रभात खबर की रिपोर्ट के अनुसार इस साल अक्टूबर महीने में बिहार में गया जिले के गुरुआ में धर्म परिवर्तन के मामले को लेकर हंगामा हुआ था।
गुरुआ के उपरडीह मुहल्ले के शिवपूजन मैरेज हॉल के पास बजरंग दल के कार्यकर्ताओं मौके पर पहुंच गये और विरोध प्रदर्शन करने लगे थे। बड़ी संख्या में महिलाएं और पुरुष वहां प्रार्थना सभा में शामिल हुए थे। वहां मौजूद लोगों की मानें तो वे मिशनरी का प्रचार-प्रसार कर रहे थे।
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साभार : क्रिश्चियन टूडे
भारत में ईसाइयों के खिलाफ हिंसा की घटनाएं काफी ज्यादा हैं। अक्टूबर 2024 के अंत तक यूनाइटेड क्रिश्चियन फोरम (यूसीएफ) हेल्पलाइन पर 673 घटनाएं दर्ज की गई हैं। सबसे अधिक घटनाओं (182) के साथ उत्तर प्रदेश सबसे आगे है, उसके बाद छत्तीसगढ़ (139) का स्थान है।
यूनाइटेड क्रिश्चियन फोरम (यूसीएफ) दिल्ली स्थित नागरिक समाज संगठन है जो ईसाई मुद्दों पर केंद्रित है। "हिंसा मॉनिटर रिपोर्ट 2024" के अनुसार, कुल 673 घटनाओं में से केवल 47 एफआईआर दर्ज की गईं।
मक्तूब से बात करते हुए यूनाइटेड क्रिश्चियन फोरम (यूसीएफ) के राष्ट्रीय समन्वयक एसी माइकल ने कहा, "भारत में ईसाइयों के लिए अपने धर्म का पालन करना मुश्किल हो गया है। पूरे देश में ईसाइयों के खिलाफ हिंसा बढ़ गई है।"
उन्होंने कहा, "साल 2014 में ईसाइयों के खिलाफ हिंसा की घटनाएं सौ से भी कम थीं। 2018 में, यह बढ़कर 292 हो गया, और तब से हर साल यह संख्या बढ़ती जा रही है। पिछले साल 2023 में, हमने लगभग 750 घटनाएं दर्ज कीं जिसका मतलब है कि हमारे देश में हर दिन दो ईसाइयों पर हमला हुआ।"
इन घटनाओं में शारीरिक हिंसा, हत्या, यौन हिंसा, धमकी, सामाजिक बहिष्कार, धार्मिक संपत्तियों को नुकसान पहुंचाना, धार्मिक प्रतीकों का अपमान और प्रार्थना को बाधित करना शामिल है। यूसीएफ ने कहा कि भारत के 28 राज्यों में से 23 में ईसाइयों को अलग-अलग स्तर की हिंसा और भेदभाव का सामना करना पड़ रहा है।
जनवरी 2024 में ईसाइयों के खिलाफ हिंसा की 69 घटनाएं हुईं, इसके बाद फरवरी में 64 घटनाएं, मार्च में 68 घटनाएं और सितंबर में 96 घटनाएं हुईं।
अक्टूबर के आंकड़ों के अनुसार, 12 घटनाएं ऐसी थीं जहां महिलाएं पीड़ित थीं। 14 घटनाएं दलित ईसाइयों से जुड़ी थीं और 24 मामले आदिवासी ईसाइयों से हिंसा के थे।
यहां तक कि राष्ट्रीय राजधानी और उसके आस-पास के क्षेत्र, दिल्ली एनसीआर भी ऐसी घटनाओं से अछूते नहीं रहे, जहां चार घटनाएं दर्ज की गईं।
उन्होंने कहा, "ये ईसाई धर्म को निशाना बनाने वाले समूहों द्वारा हिंसा की संगठित घटनाएं है।"
माइकल ने पुलिस पर एफआईआर दर्ज करने के बजाय पीड़ितों को निशाना बनाने का भी आरोप लगाया।
उन्होंने कहा, "पुलिस अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई करने के बजाय जबरन धर्म परिवर्तन के झूठे आरोपों के तहत पादरियों को हिरासत में लेती है।"
यूनाइटेड स्टेट्स कमीशन ऑन इंटरनेशनल रिलीजियस फ्रीडम (USCIRF) द्वारा जारी 2024 इंडिया कंट्री अपडेट में कहा गया है कि भारत में धार्मिक स्वतंत्रता की स्थिति लगातार बिगड़ती और चिंताजनक होती जा रही है।
ज्ञात हो कि हाल में देश भर में धर्म परिवर्तन का आरोप लगाकर ईसाई धर्म की प्रार्थना सभा को हिंदुत्वादी भीड़ द्वारा बाधित करने का मामला सामने आया है।
प्रभात खबर की रिपोर्ट के अनुसार इस साल अक्टूबर महीने में बिहार में गया जिले के गुरुआ में धर्म परिवर्तन के मामले को लेकर हंगामा हुआ था।
गुरुआ के उपरडीह मुहल्ले के शिवपूजन मैरेज हॉल के पास बजरंग दल के कार्यकर्ताओं मौके पर पहुंच गये और विरोध प्रदर्शन करने लगे थे। बड़ी संख्या में महिलाएं और पुरुष वहां प्रार्थना सभा में शामिल हुए थे। वहां मौजूद लोगों की मानें तो वे मिशनरी का प्रचार-प्रसार कर रहे थे।